AMU: दिल्ली के 48 बैंक में किया शोध, बैंकों के विलय से कर्मचारी संतुष्ट, नौकरी के प्रति चिंतित
शोध में दो प्रमुख सवालों पर ध्यान केंद्रित किया गया। क्या बैंक विलय के बाद कर्मचारी संतुष्ट हैं और उनकी संतुष्टि पर संगठनात्मक विशेषताओं का कितना प्रभाव पड़ता है। आयु, लिंग, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, कार्य का स्वरूप, मासिक आय और कार्य अनुभव जैसे कारकों को कर्मचारियों की संतुष्टि या असंतुष्टि का आधार बनाया।
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बैंकिंग सेक्टर में पिछले दो दशक में महिलाओं ने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है। एएमयू के एक शोध में पाया गया कि बैंकों के विलय से कर्मचारी संतुष्ट हैं, लेकिन नौकरी की सुरक्षा के प्रति उनकी चिंता बढ़ रही है।
एएमयू के सोशल वर्क विभाग के अरहम हसन रिजवी ने पांच साल तक शोध किया। इसमें दिल्ली के 48 बैंकों में कर्मचारियों की स्थिति का अध्ययन किया, जिसके बाद परिणाम आया कि महिलाओं की संख्या दो दशक में 45 से 135 तक हो गई। तकनीकी संसाधनों का असमान वितरण, बढ़ता कार्यभार, प्रशिक्षण की कमी और नौकरी के प्रति असुरक्षा कर्मचारियों की संतुष्टि को प्रभावित कर रही है। शोध में प्रश्नावली, केस स्टडी और चर्चा से आंकड़े एकत्र किए गए।
विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद ताहिर के निर्देशन में यह शोध हुआ। शोधार्थी अरहम ने बताया कि 2001 से 2023 के बीच बैंकों में हुई नियुक्ति, साक्षात्कार, कार्यशैली पर अध्ययन किया। इन बैकों में अब 408 कर्मचारी हैं। शोध में दो प्रमुख सवालों पर ध्यान केंद्रित किया गया। क्या बैंक विलय के बाद कर्मचारी संतुष्ट हैं और उनकी संतुष्टि पर संगठनात्मक विशेषताओं का कितना प्रभाव पड़ता है। आयु, लिंग, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, कार्य का स्वरूप, मासिक आय और कार्य अनुभव जैसे कारकों को कर्मचारियों की संतुष्टि या असंतुष्टि का आधार बनाया।
शोध के हिसाब से बैंकिंग सेवा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, जो नारी सशक्तीकरण को और मजबूत करती है। बैंक विलय से संस्थागत दक्षता तो बढ़ी, लेकिन कर्मचारियों की संतुष्टि और कार्य संतुलन पर गंभीर असर पड़ा है। अगर सरकार और बैंक प्रबंधन समय रहते इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाते, तो इसका असर बैंकिंग सेवाओं और कर्मचारियों की उत्पादकता पर पड़ सकता है। -डॉ. मोहम्मद ताहिर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एएमयू
शोध में दिए गए सुझाव
- तबादला और पदोन्नत नीति में सुधार।
- नई भर्तियों पर जोर।
- पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह लागू करना।
- वेतन और स्टाफ सुविधाओं की समीक्षा।
- बेहतर प्रशिक्षण और सकारात्मक कार्य संस्कृति।
- कर्मचारियों की मानसिक और सामाजिक भलाई पर ध्यान
