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Death Certificate: अलीगढ़ में बना पूर्व पीएम के करीबी पूर्व सांसद का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र, रिपोर्ट दर्ज

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Mon, 01 Dec 2025 03:56 PM IST
सार

वसीम अहमद का परिवार अलीगढ़ आकर बस गया। यहां रहकर एएमयू में पढ़ाई के बीच वे राजनीति में सक्रिय हुए। जनता दल में वीपी सिंह के साथ जुड़कर राजनीति की शुरुआत करने वाले वसीम अहमद बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। राज्यसभा सदस्य रहते वे एएमयू कोर्ट व ईसी के सदस्य भी रहे थे।

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Fake death certificate of former MP, close to former PM, made in Aligarh
अलीगढ़ नगर निगम - फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
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पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के बेहद करीबियों में शामिल रहे पूर्व राज्यसभा सदस्य स्व. वसीम अहमद का अलीगढ़ में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बन गया। इस मामले में उनकी पत्नी व साले पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। साथ में नगर निगम की भूमिका भी संदिग्ध है। इसकी शिकायत के आधार पर एक तरफ नगर निगम ने जांच शुरू कर दी है। वहीं प्रारंभिक रूप में फर्जीवाड़ा स्पष्ट प्रतीत होने पर पुलिस ने पत्नी व साले पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट कराते हुए नगला रोड दोदपुर उमर अपार्टमेंट के भाजपा नेता सैय्यद अशहर इस्लाम राजा ने कराई है, जिसमें कहा है कि उनके मामा पूर्व सांसद वसीम अहमद का करीब 70 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 2021 को सिविल लाइंस स्थित अपने घर पर कोविड काल में हृदयाघात से देहांत हुआ था। उससे पहले उनके मामा ने जून 2014 में दिल्ली के अबुल फजल एंकलेब शाहीन बाग हाल जेद्दा सऊदी अरब निवासी शिक्षिका फराह बानो से 65 वर्ष की आयु में निकाह किया था। मगर शादी के बाद से ही उनके मामा उनकी नीयत भांप गए थे कि वे उनके नाम, संपत्ति, शोहरत के लिए इस निकाह को राजी हुई हैं। 
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निकाह के बाद दो माह वे उनके साथ सऊदी अरब रहे। वहां उन्होंने अपने सांसद सेवा या खातों में कहीं भी फराह बानो का नाम नहीं डलवाया था। हां, निकाहनामा के आधार पर पासपोर्ट व आधार कार्ड में जरूर फराह का नाम आ गया था। वापस भारत आने के बाद वे अपने भाई नसीम अहमद के पास अलीगढ़ रहने लगे। यहां से शरीयत के अनुसार उन्होंने फराह को तलाक भी दे दिया। मगर वे मामा की मृत्यु के बाद कभी अलीगढ़ नहीं आईं। मगर तरह तरह के नोटिस भेजने लगीं। इसी बीच उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी व भाई ने मलखान सिंह जिला अस्पताल से जुलाई 2021 में फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। जब उसकी जानकारी हुई तो सीएमएस स्तर से जांच में मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी करार देकर लिखित में दिया गया। इस बीच हमने अपने मामा का मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम से 24 नवंबर 2022 को बनवा लिया। जिसमें हमारे परिवार के सदस्यों के दस्तावेज, गवाहों व पार्षद तक की रिपोर्ट लगी। 

कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस से उनके मामा के मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर एक जांच उनके पास आई। जिससे पता चला कि 13 मार्च 2023 में फराह बानो व उनके भाई मुस्तजाब मलिक ने नगर निगम में फर्जी तरीके से आवेदन देकर हमारे द्वारा बनवाया गया मृत्यु प्रमाण पत्र निरस्त कराकर नया मृत्यु प्रमाण पत्र उन्हीं दस्तावेजों पर बनवा लिया। जिन दस्तावेजों पर हमने पहले प्रमाण पत्र बनवाया था। पूरी पत्रावली का प्रयोग इस फर्जीवाड़े में किया गया। जिसमें नगर निगम की भूमिका भी संदिग्ध रही। बिना जांच के नगर निगम ने नया प्रमाण पत्र बना दिया। यह उन्होंने गलत नीयत से किया गया। इस मामले में सीएम स्तर से शिकायत के बाद जांच के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की गई। सीओ तृतीय सर्वम सिंह के अनुसार मामले में प्रारंभिक जांच में फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र बनना उजागर हुआ है। जिसमें नगर निगम की भूमिका भी संदिग्ध है। अब विवेचना में अब अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

नगर निगम द्वारा की जा रही जांच
इस मामले में नगर निगम ने भी गंभीर रुख अपनाया है। मामले में नगर आयुक्त ने उप नगर आयुक्त को जांच दी है। उनके स्तर से पूरे मामले में जांच की जा रही है कि किस तरह से यह फर्जीवाड़ा हुआ है।

एएमयू कोर्ट के सदस्य भी रहे थे वसीम अहमद
मूल रूप से एटा पटियाली के वसीम अहमद का परिवार अलीगढ़ आकर बस गया। यहां रहकर एएमयू में पढ़ाई के बीच वे राजनीति में सक्रिय हुए। जनता दल में वीपी सिंह के साथ जुड़कर राजनीति की शुरुआत करने वाले वसीम अहमद बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। राज्यसभा सदस्य रहते वे एएमयू कोर्ट व ईसी के सदस्य भी रहे थे। एएमयू मामलों में वे खासे सक्रिय रहते थे।

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