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अंधेरगर्दी: पांच साल पहले मर चुके 179 लोगों पर दर्ज कराई बिजली चोरी की रिपोर्ट, ऐसे खुली पोल

अभिषेक शर्मा, अमर उजाला, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Tue, 22 Apr 2025 01:25 PM IST
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सार

अजीब है बिजली विभाग व विजिलेंस की टीम, पांच साल पहले मर चुके लोगों को ही बिजली चोरी का आरोपी बना दिया। जब मामले की विवेचना शुरू होती है तो आरोपी की मुकदमे से पूर्व में ही मृत्यु का तथ्य प्रकाश में आता है तो बिना समय गंवाए एफआर लगा दी जाती है।

Report of electricity theft against dead persons
बिजली चोरी प्रतीकात्मक - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इसे विद्युत व विजिलेंस टीम की लापरवाही ही कहेंगे। चेकिंग में बिजली चोरी पकडऩे वाली टीम आंख मूंद कर मृतकों को ही बिजली चोरी का आरोपी बना दे रही है। अलीगढ़ में इस प्रकार के 179 मामले सामने आ चुके हैं। विभागीय इंजीनियर और विजिलेंस टीम के दरोगाओं के इन कारनामों की पोल भी तब खुली जब अदालत में मुकदमों में लगी एफआर (अंतिम रिपोर्ट) की समीक्षा हुई। अदालत ने इसे बिजली विभाग के लोगों की बड़ी लापरवाही मानते हुए एफआर को अस्वीकार कर दिया और यह सभी मुकदमे एडीजे विशेष ईसी एक्ट संजय कुमार यादव की अदालत से दोबारा से विवेचना के लिए वापस भेजे जा रहे हैं।
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विद्युत टीमें अपना गुडवर्क दिखाने व अफसरों के आगे नंबर बढ़ाने को किस कदर आंकड़ों का खेल करती हैं। इसकी गवाही ये आंकड़े दे रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में अदालत में कुल 6463 मुकदमे पहुंचे, जिनमें से 1710 में अंतिम रिपोर्ट पिछले वर्ष स्वीकारी गईं। वहीं इस वर्ष अप्रैल में अभी तक 892 मुकदमे अदालत पहुंचे, जिनमें से 838 एफआर अदालत ने स्वीकार की हैं। इसी तरह के आंकड़े बढ़ाने के फेर में टीमें मृतकों को भी बिजली चोरी का आरोपी बना दे रही हैं। मुकदमा कराते समय बस इस बात का ध्यान रखा जाता है कि संयोजन किसके नाम से है या वह भवन किसके नाम से है। जिसमें बिजली प्रयोग हो रही थी। इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि कहीं उसी मृत्यु तो नहीं हो गई। जब विवेचना शुरू होती है तो आरोपी की मुकदमे से पूर्व में ही मृत्यु का तथ्य प्रकाश में आता है तो बिना समय गंवाए एफआर लगा दी जाती है।
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अदालत में समीक्षा में ऐसे मुकदमों में इस तर्क के साथ आपत्ति लगाई जाती है कि अगर संयोजनधारक या भवन स्वामी की मृत्यु हो चुकी थी तो वर्तमान में बिजली प्रयोग कर रहे व्यक्ति पर आरोप लगाकर चार्जशीट किस वजह से नहीं भेजी गई। इसी तर्क के आधार पर अदालत में एफआर पर आपत्ति स्वीकारी जाती है। साथ में मुकदमे पुन:विवेचना के लिए अदालत स्तर से वापस भेजे जा रहे हैं।-प्रमोद कुलश्रेष्ठ, अधिवक्ता विद्युत विभाग

ये बिल्कुल गलत प्रक्रिया है कि चेकिंग के लिए गई टीम यह सत्यापन नहीं करती कि जिस व्यक्ति के नाम संयोजन है, वह जीवित है या नहीं। इसका सत्यापन करना ही चाहिए। तभी मुकदमा दर्ज करना चाहिए। इसे लेकर टीमों को नए सिरे से निर्देश जारी किए जाएंगे।-एके वर्मा चीफ इंजीनियर

अंदेशा ये भी

विवेचना में ऐसे मामलों में एफआर लगाने के पीछे अंदेशा ये भी है कि कहीं उस भवन में वर्तमान में रह रहे व्यक्ति से सांठगांठकर एफआर तो नहीं लगाई जा रही। इस अंदेशे को जांच के बाद ही सच उजागर किया जा सकता है।

गवाही दे रहे ये कुछ आंकड़े
-वर्ष 2023-24 में 100 मृतकों पर दर्ज कराए गए मुकदमों में एफआर लगाई
-वर्ष 2024-25 में 72 मृतकों पर दर्ज कराए गए मुकदमों में एफआर लगाई
-वर्ष 2025-26 में अब तक 7 मृतकों पर दर्ज कराए गए मुकदमों में एफआर लगाई

ये तथ्य भी जानें
चेकिंग में बिजली चोरी पकड़े जाने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। अगर विवेचना के बीच में आरोपी विभाग द्वारा निर्धारित शमन जमा करता है तो मुकदमे में एफआर लगाकर भेज दी जाती है, जिसमें शमन जमा करने का उल्लेख होता है। इस आधार पर अदालत में एफआर आसानी से स्वीकार होती है। सालाना बिजली चोरी के मुकदमों में दस से बारह करोड़ रुपये शमन वसूली का आंकड़ा अनुमानित है।

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