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Aligarh News: फैक्टरियों का गेट बंद कर देर रात तक चलती रही जांच, आवागमन रोका
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रति का नगला के निकट महाकाल कॉनकास्ट की फैक्टरी के बाहर खड़ीं सेंट्रल जीएसटी के अफसरों की गाड़िय
- फोटो : Samvad
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सासनी क्षेत्र में संचालित स्वीकेंस फैरो प्राइवेट लिमिटेड व रति का नगला के निकट संचालित महाकाल नाम की लोहा गलाने की फैक्टरियों पर मंगलवार की दोपहर से शुरू हुई सेंट्रल जीएसटी टीम की जांच देर रात तक चलती रही। दोनों फैक्टरियों के गेट बंद कर दिए गए हैं और लोगों की आवाजाही पर रोक दी गई।
लोहा कारोबार में जीएसटी चोरी और फर्जी बिलिंग से जुड़ी शिकायतों के बाद यह कार्रवाई की गई है। बताया जा रहा है कि लखनऊ, मुरादाबाद और हाथरस सहित कई जिलों में लोहे से जुड़ी फर्मों के जरिये करोड़ों रुपये के फर्जी लेनदेन का खुलासा हुआ था।
पिछले दिनों की गई प्राथमिक जांच में हाथरस जनपद से भी तीन संदिग्ध फर्मों के नाम सामने आए थे, जिसके बाद सेंट्रल जीएसटी की टीम सक्रिय हुई। टीम ने फैक्टरी में उपलब्ध खाताबही, ई-वे बिल, टैक्स इनवॉयस और कंप्यूटर रिकॉर्ड की जांच की। इस दौरान उत्पादन व बिक्री से जुड़ी जानकारी की भी बारीकी से जांच की गई।
कार्रवाई की खबर मिलते ही शहर के अन्य लोहा कारोबारियों में खलबली मच गई। कई व्यापारियों ने अपने दस्तावेजों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जिले की कुछ और औद्योगिक इकाइयां भी सेंट्रल जीएसटी के रडार पर आ सकती हैं।
खबर लिखे जाने तक कार्रवाई जारी थी। सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों ने छापे से संबंधित कोई भी जानकारी दिए जाने से इन्कार कर दिया। उपायुक्त राज्य कर आरके सिंह ने बताया कि जिन फैक्टरियों पर छापा मारा जा रहा है, वे दोनों ही सेंट्रल जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत हैं।
प्रदेशभर में 341 करोड़ की हो चुकी है कर चोरी
कर चोरी के रैकेट का खुलासा होने के बाद सामने आया था कि गिरोह अब तक करीब 341 करोड़ रुपये की कर चोरी कर चुका है। इस संबंध में लखनऊ व मुरादाबाद में नौ लोगों पर मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है। इस रैकेट ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में करीब 122 बोगस फर्म खोलीं थीं। इनमें हाथरस की भी तीन फर्में शामिल हैं। यह फर्में दो मोबाइल नंबरों पर खोली गईं थीं।
118 करोड़ का किया कागजी कारोबार
लोहा कारोबार के लिए खोली गईं फर्मों के जरिये करीब 118 करोड़ रुपये का कागजी कारोबार सामने आया था। इस रैकेट के तार देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से जुड़े होने की बात सामने आई थी। लोहे से लदे कुछ ट्रकों को पकड़ने के बाद इस रैकेट का राज्य जीएसटी की ओर से खुलासा गया था, जबकि अधिकांश फर्म सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत हैं।
रेडीमेड गारमेंट्स के नाम पर लिए गए थे हाथरस में पंजीयन
रैकेट चलाने वालों ने पंजीयन लेने के लिए पांच फीसदी कर वाले उत्पाद रेडीमेड गारमेंट्स के एचएसएन नंबरों को डाला था, ताकि पंजीयन अधिकारी आसानी से बिना किसी जांच के पंजीयन स्वीकार कर लें, जबकि लोहा व मेटल आदि पर 18 फीसदी कर है, लेकिन इनके कर की दरें अधिक होने के कारण पंजीयन के लिए अधिक गंभीरता से जांच की जाती है। इन कारोबार में कच्चा माल (कबाड़) आम लोगों के घरों से आता है, इसलिए इनपुट की जांच मुश्किल होती है।
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लोहा कारोबार में जीएसटी चोरी और फर्जी बिलिंग से जुड़ी शिकायतों के बाद यह कार्रवाई की गई है। बताया जा रहा है कि लखनऊ, मुरादाबाद और हाथरस सहित कई जिलों में लोहे से जुड़ी फर्मों के जरिये करोड़ों रुपये के फर्जी लेनदेन का खुलासा हुआ था।
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पिछले दिनों की गई प्राथमिक जांच में हाथरस जनपद से भी तीन संदिग्ध फर्मों के नाम सामने आए थे, जिसके बाद सेंट्रल जीएसटी की टीम सक्रिय हुई। टीम ने फैक्टरी में उपलब्ध खाताबही, ई-वे बिल, टैक्स इनवॉयस और कंप्यूटर रिकॉर्ड की जांच की। इस दौरान उत्पादन व बिक्री से जुड़ी जानकारी की भी बारीकी से जांच की गई।
कार्रवाई की खबर मिलते ही शहर के अन्य लोहा कारोबारियों में खलबली मच गई। कई व्यापारियों ने अपने दस्तावेजों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जिले की कुछ और औद्योगिक इकाइयां भी सेंट्रल जीएसटी के रडार पर आ सकती हैं।
खबर लिखे जाने तक कार्रवाई जारी थी। सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों ने छापे से संबंधित कोई भी जानकारी दिए जाने से इन्कार कर दिया। उपायुक्त राज्य कर आरके सिंह ने बताया कि जिन फैक्टरियों पर छापा मारा जा रहा है, वे दोनों ही सेंट्रल जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत हैं।
प्रदेशभर में 341 करोड़ की हो चुकी है कर चोरी
कर चोरी के रैकेट का खुलासा होने के बाद सामने आया था कि गिरोह अब तक करीब 341 करोड़ रुपये की कर चोरी कर चुका है। इस संबंध में लखनऊ व मुरादाबाद में नौ लोगों पर मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है। इस रैकेट ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में करीब 122 बोगस फर्म खोलीं थीं। इनमें हाथरस की भी तीन फर्में शामिल हैं। यह फर्में दो मोबाइल नंबरों पर खोली गईं थीं।
118 करोड़ का किया कागजी कारोबार
लोहा कारोबार के लिए खोली गईं फर्मों के जरिये करीब 118 करोड़ रुपये का कागजी कारोबार सामने आया था। इस रैकेट के तार देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से जुड़े होने की बात सामने आई थी। लोहे से लदे कुछ ट्रकों को पकड़ने के बाद इस रैकेट का राज्य जीएसटी की ओर से खुलासा गया था, जबकि अधिकांश फर्म सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत हैं।
रेडीमेड गारमेंट्स के नाम पर लिए गए थे हाथरस में पंजीयन
रैकेट चलाने वालों ने पंजीयन लेने के लिए पांच फीसदी कर वाले उत्पाद रेडीमेड गारमेंट्स के एचएसएन नंबरों को डाला था, ताकि पंजीयन अधिकारी आसानी से बिना किसी जांच के पंजीयन स्वीकार कर लें, जबकि लोहा व मेटल आदि पर 18 फीसदी कर है, लेकिन इनके कर की दरें अधिक होने के कारण पंजीयन के लिए अधिक गंभीरता से जांच की जाती है। इन कारोबार में कच्चा माल (कबाड़) आम लोगों के घरों से आता है, इसलिए इनपुट की जांच मुश्किल होती है।