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Prayagraj : कागजों में मृत 400 बुजुर्ग हैं जिंदा, प्रशासन की लापरवाही से पेंशन से रहे वंचित

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Thu, 16 Oct 2025 03:12 PM IST
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सार

बुढ़ापे में जब सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब अगर व्यवस्था ही आपको मृत घोषित कर दे तो अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाता है। इसका दर्द जिले के 400 बुजुर्ग झेल रहे हैं।

400 elderly people, who are dead on paper, are alive but deprived of pension due to administrative negligence
वृद्धावस्था पेंशन। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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बुढ़ापे में जब सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब अगर व्यवस्था ही आपको मृत घोषित कर दे तो अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो जाता है। इसका दर्द जिले के 400 बुजुर्ग झेल रहे हैं। इन्हें सत्यापन के दौरान गांव की राजनीति और अफसरों की लापरवाही के चलते कागजों में मृत घोषित कर दिया है। नतीजतन इनकी पेंशन रुकने के साथ इलाज के लिए भी मुसीबत बढ़ गई और गुजर-बसर तक मुश्किल हो गया। वृद्धावस्था पेंशन ऐसे बुजुर्गों के लिए जीवन रेखा है जिनका कोई स्थायी सहारा नहीं है। जिले में 1.63 लाख से अधिक पेंशनधारी हैं लेकिन वर्ष 2020 से 2025 के बीच हुए सत्यापन में 400 से अधिक बुजुर्गों को मृत घोषित कर दिया गया जबकि ये जीवित हैं।

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समाज कल्याण विभाग को मृतकों की सूची मिली तो इनकी पेंशन तत्काल बंद कर दी गई। बाद में शिकायत हुई तो विभाग ने सभी 400 बुजुर्गों की पेंशन मंजूर कराकर जानकारी शासन को भेज दी। इनमें से अब तक 53 की पेंशन बहाल हो चुकी है। बाकी की पेंशन अब भी सिस्टम में उलझी है। कभी फोटो जमा कराई जा रही है तो कभी गवाह लेकर अधिकारियों के चक्कर कटाए जा रहे हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर एक पंचायत सचिव को निलंबित किया गया है। समाज कल्याण विभाग के पर्यवेक्षक पर भी कार्रवाई हुई है।

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केस एक

75 वर्षीय शांति देवी, फूलपुर के नसरतपुर गांव की रहने वाली हैं। इन्हें मई 2024 में मृत घोषित कर दिया गया। 23 जून से इनकी पेंशन बंद हो गई। इनके बेटों के अनुसार, अम्मा खुद ब्लॉक ऑफिस गईं और अफसर से बोलीं कि देख लो बेटा, मैं जिंदा हूं। फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ा।

केस दो

67 वर्षीय किताबुनिशा को भी मरे हुए लोगों की सूची में डाल दिया गया। उन्हें तब पता चला जब पेंशन अकाउंट में नहीं आई। समाज कल्याण विभाग की खामोशी ने इनकी तकलीफें और बढ़ा दीं।

केस तीन

76 वर्षीय बैजनाथ ने को पेंशन रुकने की तारीख भी याद है। वह आंखों में गुस्सा और बेबसी लिए बताते हैं कि सरकार पेंशन देती है लेकिन जब लेने जाओ तो बोल दिया जाता है कि तुम मृत हो।

केस चार

86 वर्षीय धनपति को डीएम के निर्देश पर दोबारा जांच में जीवित पाया गया। अक्टूबर 2025 में उनकी पेंशन फिर शुरू हुई लेकिन उनका सवाल है कि अब कौन भरोसा करे कि अगली बार फिर कागजों में मृत घोषित नहीं किया जाएगा।

सत्यापन के दौरान 400 बुजुर्गों को मृत बताए जाने के बाद वर्ष 2020 से 2025 के बीच में पेंशन बंद कर दी गई थी। मामला संज्ञान में आने के बाद सभी की पेंशन दोबारा मंजूर कर शासन को जानकारी दे दी गई है। 53 लोगों की पेंशन उनके खाते में पहुंच चुकी है। शेष लोगों की भी जल्द पहुंचने की उम्मीद है। डीएम के निर्देश पर एक सचिव और पर्यवेक्षक के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। - रामशंकर पटेल, जिला समाज कल्याण अधिकारी

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