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Prayagraj : पहली बार बिना ओपन हार्ट सर्जरी के किया दिल का इलाज, एसआरएन के डॉक्टरों ने रचा नया कीर्तिमान

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Thu, 16 Oct 2025 02:38 PM IST
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सार

Prayagraj News : एसआरएन अस्पताल के चिकित्सकों ने नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। युवक के दिन में बने छह मिमी के छेद को बिना ओपेन हॉर्ट सर्जरी के ही पतली नली के माध्यम से बंद कर दिया। प्रयागराज मंडल में यह पहला मामला है। इस तरह की तकनीक देश के चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही उपलब्ध है। इसमें अब प्रयागराज का एसआरएन अस्पताल भी शामिल हो गया है। 

For first time, hole in the heart was closed without open heart surgery, creating new history at SRN Hospital
बिना ओपने हार्ट सर्जरी के दिल का छेद बंद करने वाली चिकित्सकों की टीम। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) के कार्डियक कैथ लैब में डॉक्टरों की टीम ने एक बड़ा चिकित्सीय कारनामा कर दिखाया। 21 वर्षीय युवक के दिल में मौजूद 6 मिमी के छेद (वीएसडी) को बिना ओपन हार्ट सर्जरी के सफलतापूर्वक बंद किया गया। यह प्रयागराज मंडल में इस प्रकार का पहला मामला है, जिसने चिकित्सा जगत में नई उम्मीदें जगा दी हैं।

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मरीज को पहले ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी गई थी, जिससे वह और उसका परिवार काफी परेशान थे, लेकिन एसआरएन के युवा कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विमल निषाद और डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने हिम्मत और कौशल का परिचय देते हुए आधुनिक तकनीक से कैथ लैब में ही यह जटिल प्रक्रिया पूरी कर दी। इस प्रक्रिया में मरीज का सीना नहीं खोला गया, बल्कि एक पतली नली (कैथेटर) के माध्यम से हृदय तक पहुंचकर विशेष उपकरण से छेद को बंद किया गया। टीम में टेक्नीशियन ओमवीर और योगेश ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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विभागाध्यक्ष डॉ. पीयूष सक्सेना ने बताया कि यह प्रयागराज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अब ऐसे मरीजों को बड़े ऑपरेशन और लंबे रिकवरी पीरियड से नहीं गुजरना पड़ेगा। यह तकनीक सुरक्षित, सरल और कम खर्चीली है। उन्होंने कहा कि एसआरएन अस्पताल अब उन चुनिंदा केंद्रों में शामिल हो गया है जहां बिना ओपन सर्जरी के हृदय के जन्मजात छेद का इलाज संभव है।

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विमल निषाद ने बताया कि यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि हृदय का छेद बहुत नाज़ुक स्थान पर था। उन्होंने कहा कि हमें कई घंटे तक कैथ लैब में बैठकर हर स्टेप की सावधानीपूर्वक योजना बनानी पड़ी। डिवाइस का साइज और पोजिशन तय करने में ज़रा सी गलती भी गंभीर जटिलता पैदा कर सकती थी। पूरी टीम ने शांत मन से काम किया और जब स्क्रीन पर छेद पूरी तरह बंद होता दिखाई दिया, वह पल हमारे लिए बेहद भावुक था।

मरीज के परिजनों ने भावुक होकर कहा कि डॉक्टरों ने हमारे बेटे को नई ज़िंदगी दी है। हमें लगा था कि बड़ा ऑपरेशन कराना पड़ेगा, पर बिना सीना खोले ही सब हो गया। यह किसी चमत्कार से कम नहींl

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