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हाईकोर्ट : यौन शोषण में अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर, एससी/एसटी एक्ट पर पॉस्को एक्ट प्रभावी

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Wed, 18 Oct 2023 04:40 PM IST
सार

कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट पर पॉक्सो अधिनियम को प्रभावी बताया। इसी के साथ ही न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने 14 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर किशोरी से बलात्कार करने के आरोपी/याची शिक्षक दीपक प्रकाश सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

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Anticipatory bail application in sexual exploitation case rejected, POSCO Act effective on SC/ST Act.
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिका के यौन शोषण के खिलाफ दाखिल अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जहां किसी आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम के साथ अगर एससी/एसटी के तहत मामला दर्ज किया गया है तो पूर्व का प्रावधान बाद वाले पर लागू होगा। ऐसे आरोपी की ओर से दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य है।

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कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट पर पॉक्सो अधिनियम को प्रभावी बताया। इसी के साथ ही न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने 14 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर किशोरी से बलात्कार करने के आरोपी/याची शिक्षक दीपक प्रकाश सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
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इस मामले में याची के खिलाफ जौनपुर के थाना जाफराबाद थाने में आईपीसी की धारा 354, 376, पाक्सो की धारा 7/8 और एससीएसटी की धारा 3(2)(वीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी। याची ने गिरफ्तारी से बचाव के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी।

एससी-एसटी एक्ट पर उठाई गई थी आपत्ति

सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता की ओर से आपत्ति उठाई गई। कहा गया कि एससी/एसटी एक्ट के तहत यह याचिका पोषणीय नहीं है। विचार किया गया कि जहां एसएसी/एसटी अधिनियम के तहत आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर रोक लगती है। वहीं, पॉक्सो में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। कोर्ट ने पाया कि किसी भी असंगतता के मामले में पॉक्सो अधिनियम किसी भी अन्य कानून से अधिक प्रभावित होगा। इस मामले में पृथ्वी राज चौहान बनाम संघ और अन्य और रिंकू बनाम यूपी राज्य के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों का हवाला दिया गया।

कोर्ट ने कहा कि जहां किसी आरोपी पर एससी/एसटी अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया है तो पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष अदालत के पास जमानत याचिका निस्तारित करने का अधिकार क्षेत्र होगा। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में नाबालिग के साथ बलात्कार किया, जिससे शिक्षकों के प्रति लोगों का मन में डर का माहौल पैदा होगा। ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

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