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High Court : हाईकोर्ट ने व्यापारियों को दी राहत, कहा- केवल पोर्टल पर नोटिस अपलोड करना पर्याप्त तामील नहीं

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Tue, 30 Dec 2025 07:15 AM IST
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सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जीएसटी पोर्टल पर केवल नोटिस या आदेश अपलोड कर देना कानूनी रूप से पूर्ण सूचना नहीं माना जा सकता। जब तक नोटिस या आदेश वास्तव में करदाता की जानकारी में न आ जाए तब तक अपील दायर करने की समय-सीमा शुरू नहीं होगी।

High Court gives relief to traders, says merely uploading notice on portal is not sufficient service
इलाहाबाद हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जीएसटी पोर्टल पर केवल नोटिस या आदेश अपलोड कर देना कानूनी रूप से पूर्ण सूचना नहीं माना जा सकता। जब तक नोटिस या आदेश वास्तव में करदाता की जानकारी में न आ जाए तब तक अपील दायर करने की समय-सीमा शुरू नहीं होगी। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने गाजियाबाद की मेसर्स बैम्बिनो एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड सहित 13 याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। यह आदेश यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह व न्यायमूर्ति इंद्रजीत शुक्ला की खंडपीठ ने दिया।

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याचियों की ओर से जीएसटी विभाग को शिकायत की गई कि विभाग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस और अंतिम आदेश नहीं दिए बल्कि सिर्फ जीएसटी के पोर्टल पर अपलोड कर दिया। इसके चलते उन्हें समय पर नोटिस और आदेश की जानकारी नहीं हो पाई। ऐसे में जब विभाग ने वसूली की कार्रवाई शुरू की तब उन्हें आदेशों का पता चला लेकिन तब तक अपील करने की निर्धारित 120 दिनों की अवधि समाप्त हो चुकी थी। इसके खिलाफ याची फर्मों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

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कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद माना कि बिना उचित सूचना के एकपक्षीय आदेश पारित करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। अदालत ने संज्ञान लिया कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां हिंदी मुख्य भाषा है, जीएसटी पोर्टल पूरी तरह अंग्रेजी में है। ऐसे में छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए पोर्टल के विभिन्न ''टैब'' में जाकर नोटिस ढूंढना कठिन है। ऐसे में कोर्ट ने इन सभी मामलों में एकपक्षीय आदेशों को रद्द कर दिया और व्यापारियों को अपील दायर करने के लिए नया अवसर प्रदान किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि करदाता विवादित टैक्स की 10 प्रतिशत राशि जमा करते हैं, तो उनके मामलों की नए सिरे से सुनवाई की जाए।

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