High Court: अनुकंपा नौकरी के लिए 12 साल बाद हाईकोर्ट पहुंचा युवक, याचिका खारिज, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पुराने सेवा विवाद में दाखिल की गई समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 4,430 दिन (करीब 12 साल) की देरी से दाखिल याचिका के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पुराने सेवा विवाद में दाखिल की गई समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 4,430 दिन (करीब 12 साल) की देरी से दाखिल याचिका के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने सहारनपुर निवासी की समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। मामला सहारनपुर जिले के मूल निवासी मुल्की राज से जुड़ा है।
मुल्की राज ने साल 1996 में हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने अपनी सेवा से जुड़े विवाद को चुनौती दी थी। इस मामले में उन्हें कुछ समय के लिए अंतरिम राहत भी मिली। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस रिट याचिका को 10 सितंबर 2013 को पूरी सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था। इसके बाद मुल्की राज ने न तो इस आदेश के खिलाफ कोई अपील की और न ही समीक्षा याचिका दाखिल की।
मुल्की राज साल 2018 तक सेवा में रहे। 2021 में उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद उनके बेटे ने हाईकोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल की कि वर्ष 2013 का कोर्ट आदेश उनकी अनुकंपा नियुक्ति (सरकारी नौकरी) के रास्ते में बाधा बन रहा है। हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इतने लंबे समय बाद समीक्षा याचिका दाखिल करने का आधार अनुकंपा नौकरी नहीं हो सकती। वहीं, कोर्ट ने कहा कि मूल याचिकाकर्ता ने अपने जीवनकाल में फैसले को चुनौती नहीं दी तो उसके बेटे को इस मामले में समीक्षा याचिका दाखिल करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने देरी माफी आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि 4,430 दिन की देरी को लेकर याचिका में दिए गए कारण अस्पष्ट और कमजोर हैं। देरी माफी आवेदन खारिज होने के साथ ही समीक्षा याचिका भी स्वतः खारिज हो गई। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सहारनपुर में जमा करने का आदेश दिया।