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UP :  हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना पर बदायूं के एसएसपी से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sat, 20 Dec 2025 11:59 AM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 40 साल पुराने एक आपराधिक मामले में आदेश का पालन नहीं करने और न्यायिक शिष्टाचार का उल्लंघन करने पर बदायूं के एसएसपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

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High Court seeks personal affidavit from Badaun SSP for disobeying order
अदालत(सांकेतिक) - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 40 साल पुराने एक आपराधिक मामले में आदेश का पालन नहीं करने और न्यायिक शिष्टाचार का उल्लंघन करने पर बदायूं के एसएसपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने आनंद प्रकाश की अपील पर दिया है।

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बदायूं निवासी अपीलकर्ता आनंद प्रकाश को हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उसने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। कोर्ट ने अपील में दायर जमानत प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए उसे जमानत दी थी। जेल से बाहर निकलने के बाद से वह लापता है। इस पर हाईकोर्ट ने वारंट जारी किया था। एसएसपी को निर्देश दिया था कि वे अपीलकर्ता के खिलाफ जमानती वारंट तामील कराएं। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि वारंट तब तक वापस नहीं किया जाएगा, जब तक पुलिस शपथ पत्र पर यह न कहे कि अपीलकर्ता की मृत्यु हो गई है या वह देश छोड़कर चला गया है।
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हाईकोर्ट के आदेश पर सीजेएम ने एसएसपी को पत्र भेजा था पर उन्होंने खुद जवाब देने के बजाय एक उप-निरीक्षक के माध्यम से पत्र भिजवाया। रिपोर्ट में कहा गया था कि अपीलकर्ता नहीं मिल रहा है, जबकि कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया था कि बिना मृत्यु या देश छोड़ने के प्रमाण के वारंट को निष्पादित नहीं मानकर वापस नहीं किया जा सकता। नाराज कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया अवमानना माना है। एसएसपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि क्यों ने उनके खिलाफ सिविल अवमानना का मामला चलाया जाए? अपीलकर्ता को पकड़ने में विफल क्यों रहे। सीजेएम के पत्र का उत्तर उन्होंने स्वयं देने के बजाय अधीनस्थ से क्यों दिलवाया। 

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