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High Court : मृतक किसान की मुख्य आजीविका कृषि थी या नहीं...योजना का लाभ देने का यही आधार

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sat, 20 Dec 2025 12:05 PM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ देते वक्त यह देखना जरूरी है कि मृतक की मुख्य आजीविका कृषि थी या नहीं। केवल कृषि भूमि उसके नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज थी, यह महत्वपूर्ण नहीं है।

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High Court: Whether the deceased farmer's main livelihood was agriculture or not...this is the basis
अदालत का फैसला। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ देते वक्त यह देखना जरूरी है कि मृतक की मुख्य आजीविका कृषि थी या नहीं। केवल कृषि भूमि उसके नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज थी, यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने कन्नौज निवासी एक महिला की याचिका पर की।

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याचिकाकर्ता के किसान पति की 29 अगस्त 2020 को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनके निधन के बाद अब परिवार में वृद्ध पिता, पत्नी और तीन नाबालिग बच्चे हैं। कृषि भूमि मृतक के दादा के नाम पर दर्ज थी। उसी पर किसान खेती कर परिवार का पालन-पोषण करता था। पति की मृत्यु के बाद महिला ने मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत मुआवजे के लिए आवेदन किया। इस पर जिला प्रशासन ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि मृतक की आजीविका कृषि नहीं, बल्कि वह एक जनरल स्टोर की दुकान पर काम करता था। उसके नाम जमीन दर्ज नहीं है।
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इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि 28 फरवरी 2020 के शासनादेश से स्पष्ट है कि योजना का उद्देश्य दुर्घटना में मृत किसानों के आश्रितों को आर्थिक सहायता देना है। योजना में यह कहीं अनिवार्य नहीं किया गया है कि भूमि मृतक किसान के नाम पर ही दर्ज हो। ग्रामीण परिवेश में यह सामान्य बात है कि कृषि भूमि परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य के नाम पर दर्ज रहती है। खेती का कार्य संयुक्त रूप से अन्य सदस्य करते हैं। ऐसे में केवल भूमि के नाम के आधार पर किसी को योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर दावा खारिज किया गया, जो बिना समुचित जांच के तैयार की गई थी। न तो ग्रामीणों के बयान लिए गए और न ही यह रिपोर्ट याचिकाकर्ता को दी गई। इससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति ने वही जमीन 2011 में ट्रैक्टर खरीदते समय बैंक के पास गिरवी रखी थी। अधिकारियों को इसकी ठीक से जांच करनी चाहिए थी न कि याचिकाकर्ता के दावे को लापरवाही से खारिज कर देना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं की उदार और उद्देश्यपूर्ण व्याख्या की जानी चाहिए, ताकि उनका लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे और तकनीकी आधार पर उन्हें वंचित न किया जाए। कोर्ट ने कन्नौज के डीएम के 25 अगस्त 2021 को पारित आदेश और 31 जुलाई 2021 के सूचना आदेश को निरस्त कर कहा कि वह याचिकाकर्ता के दावे पर कानून के अनुसार पुनः विचार करें। याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दें और आवश्यक हो तो समुचित जांच कर आठ सप्ताह में निर्णय लें।

क्या है मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना?

यूपी सरकार की ओर से 2020 में शुरू की गई मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का मुख्य उद्देश्य दुर्घटना में मारे जाने वाले किसानों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत किसान की मौत होने पर उसके आश्रितों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता मिलती है।

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