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High Court : मोदीनगर बस बम धमाके में इलियास की उम्रकैद की सजा रद्द, कोर्ट बोला- भारी मन से कर रहे बरी

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Wed, 19 Nov 2025 04:23 PM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन दशक पुराने बहुचर्चित गाजियाबाद के मोदीनगर में बस बम धमाका कांड में उम्रकैद पाए मोहम्मद इलियास को दोषमुक्त करते हुए बरी करने का आदेश दिया है।

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Ilyas's life sentence in the Modinagar bus bomb blast case in Ghaziabad has been cancelled; the court said it
इलाहाबाद हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन दशक पुराने बहुचर्चित गाजियाबाद के मोदीनगर में बस बम धमाका कांड में उम्रकैद पाए मोहम्मद इलियास को दोषमुक्त करते हुए बरी करने का आदेश दिया है। 51 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने कहा कि 18 लोगों की जान लेने वाली इस दिल दहलाने वाली घटना में अभियोजन पक्ष किसी भी तरह इलियास की संलिप्तता साबित नहीं कर पाया। लिहाजा, अदालत भारी मन से आरोपी को बरी करने का आदेश दे रही है।

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इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने इलियास की ओर से ट्रायल कोर्ट के दंडादेश के खिलाफ दाखिल अपील स्वीकार कर ली। कोर्ट ने कहा कि पुलिस के सामने दिया गया इलियास का कथित इकबाल-ए-जुर्म भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत पूरी तरह अस्वीकार्य है। 1996 में इस घटना के समय टाडा कानून लागू नहीं था। इसलिए पुलिस या वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष की गई कोई भी स्वीकारोक्ति अदालत में साक्ष्य नहीं मानी जा सकती।

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टेप रिकॉर्डर तक पेश नहीं किया गया

कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि पुलिस जिस टेप रिकॉर्डेड बयान पर पूरा मामला टिकाए थी, वही अदालत में पेश नहीं किया गया। ऐसे में कथित बयान की सत्यता और वैधता पर विश्वास करना संभव नहीं था।

प्रत्यक्षदर्शियों ने किसी आरोपी को पहचाना ही नहीं

कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल के प्रत्यक्षदर्शी व यात्री धमाके की पुष्टि तो करते हैं पर कोई भी आरोपी की पहचान नहीं कर सका। बस में बम दिल्ली आईएसबीटी पर ही पहले से रखा था। इसलिए किसी यात्री के लिए आरोपी को पहचान पाना संभव ही नहीं था। अभियोजन की ओर से जिन गवाहों को बाह्य-न्यायिक स्वीकारोक्ति का आधार बनाकर मुख्य गवाह बनाया गया था। उन्होंने अदालत में बयान से मुकरकर पूरा मामला और कमजोर कर दिया।

डायरी, टिकटें...किसी भी साजिश का सबूत नहीं

कोर्ट ने माना कि अभियोजन की ओर से प्रस्तुत अन्य सबूत जैसे इलियास की जम्मूतवी के टिकट या डायरी में ‘सलीम करी’ का जिक्र सिर्फ संदेह पैदा करते हैं, अपराध नहीं साबित करते।

भारी मन से बरी करने का आदेश

फैसले में कोर्ट ने लिखा कि इतनी भयावह घटना में दोषी को सजा आवश्यक थी पर कानून बिना ठोस सबूत किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता। कोर्ट ने कहा कि वह भारी मन से यह बरी करने का आदेश दे रहा है। क्योंकि, घटना समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली थी।

रिहाई का आदेश

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से 2013 में सुनाई गई उम्रकैद सहित अन्य सजाएं रद्द कर दीं। कहा, यदि किसी अन्य मामले में आवश्यक न हो तो इलियास को तुरंत रिहा किया जाए।
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