Indira Gandhi : प्रधानमंत्री की गाड़ी से पूरे शहर में घूमे थे बच्चे, इंदिरा गांधी को भी बच्चों से था लगाव
Indira Gandhi Birth Anniversary : अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू की तरह इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मीं इंदिरा गांधी को भी बच्चों से काफी लगाव था। पंडित नेहरू हों या इंदिरा, स्वराज भवन में अनाथ बच्चों के लिए बनाए गए शरणालय को अनाथालय कहना उन्हें पसंद नहीं था।
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अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू की तरह इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मीं इंदिरा गांधी को भी बच्चों से काफी लगाव था। पंडित नेहरू हों या इंदिरा, स्वराज भवन में अनाथ बच्चों के लिए बनाए गए शरणालय को अनाथालय कहना उन्हें पसंद नहीं था, इसलिए उसका नाम चिल्ड्रेन नेशनल इंस्टीट्यूट (सीएनआई) रखा गया था।
दुनिया के शक्तिशाली नेताओं में शुमार इंदिरा जब भी प्रयागराज आतीं तो सीएनआई जरूर जातीं। नेहरू के करीबी रहे और आनंद भवन की देखरेख करने वाले मुंशी कन्हैया लाल एक पुस्तक में लिखते हैं कि इंदिरा गांधी अपनी हत्या से पहले जब प्रयागराज के अंतिम दौरे पर आईं तो बच्चों से मिलने सीएनआई पहुंचीं। बच्चों से हालचाल के साथ पूछा कि क्या पसंद है। बच्चों ने कहा कि उन्हें बाहर घूमने जाना है।
मुंशी कन्हैया लाल की पुत्री किरण बाला पांडेय बताती हैं कि उस वक्त वह भी स्वराज भवन में मौजूद थीं। बच्चों की बात सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने ड्राइवर को बुलाया और कहा कि बच्चों को इलाहाबाद घुमाकर लाओ। बच्चे प्रधानमंत्री की गाड़ी में बैठकर घूमने निकल गए। ड्राइवर ने उन्हें शहर के दो-तीन चक्कर लगवाए और बच्चे लौटकर आए तो उनके चेहरे की खुशी देखते बन रही थी।
...जब कर्मचारियों के साथ सीढ़ियों पर ही बैठ गईं इंदिरा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभय अवस्थी बताते हैं कि कमला नेहरू अस्पताल में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौरे की चर्चा पुराने कर्मचारी अक्सर करते हैं। बताते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी एक बार कमला नेहरू अस्पताल आईं। गेट पर हॉस्टिपल की अधीक्षक डॉ. स्थालकर ने उनका स्वागत किया। वहां बड़ी संख्या में अस्पताल के कर्मचारी, स्वीपर भी मौजूद थे जो इंदिर गांधी से मिलना चाहते थे। इंदिरा गांधी कर्मचारियों के साथ मेन गेट की सीढ़ी पर बैठ गईं और आधे घंटे तक उनका हालचाल लिया। इस दौरान अस्पताल की अधीक्षक ने कहा कि वह कर्मचारियों के साथ सीढ़ी पर नहीं बैठ सकतीं और इसके बाद वह अपने चैंबर में चली गईं।
सादगी के साथ हिंदू रीति-रिवाज से आनंद भवन में हुआ था विवाद
इंदिरा और फिरोज गांधी का विवाह सादगी के साथ हिंदू रीति-रिवाज से 1942 में आनंद भवन में हुआ था। नेहरू के करीबी रहे मुंशी कन्हैया लाल की पुत्री किरण बाला पांडेय बताती हैं कि बहुत ही कम अतिथियों का आमंत्रित किया गया था। पूरे देश में आंदोलन की लहर चल रही थी। विवाह संपन्न कराने के लिए वाराणसी से पंडित को बुलाया गया था। विवाह में सरोजनी नायडू, उनकी बेटी पद्मजा नायडू और वैज्ञानिक मैरी क्यूरी की बेटी ईव क्यूरी शामिल हुई थीं। महात्मा गांधी शामिल नहीं हो पाए थे क्योंकि वह उस दिन क्रिप्स मिशन के लिए दिल्ली रवाना हो गए थे लेकिन बाद में नवदंपती को बधाई देने आए थे। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद भी विवाह संस्कार के समय नहीं पहुंच सके थे लेकिन शाम को भोज में शामिल हुए थे।