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Auraiya News: बोली-भाषा में फंसा बांग्लादेशी, भारतीय बनने की फिराक में था
संवाद न्यूज एजेंसी, औरैया
Updated Thu, 18 Sep 2025 11:31 PM IST
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सहार। थाना क्षेत्र के पुरवा रावत गांव की गिल्टानी पुलिया कबाड़ की दुकान में काम करने वाला एक 65 वर्षीय बांग्लादेशी बोली भाषा में फंस गया। आसपास के लोगों ने शक होने पर पुलिस को जानकारी दी तो वह पकड़ा गया। चर्चा है कि यह बांग्लादेशी भारतीय बनने के लिए जन्मप्रमाण पत्र व आधार समेत अन्य दस्तावेज बनवाने की फिराक में जनसेवा केंद्र के चक्कर भी लगा रहा था। कोई मूल दस्तावेज न होने से जनसेवा केद्रों से उसे उल्टे पैर वापस होना पड़ा।
पुलिस की जांच में उसके पास भारत का कोई भी दस्तावेज नहीं मिला। बिना वीजा के वह एक साल पहले पश्चिम बंगाल के रास्ते आगरा में रह रही बेटी के पास पहुंचा था। वहां से चार माह पहले यहां आ गया और कबाड़ बीनने का काम करने लगा। पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके साथ काम करने वाले कुछ अन्य साथियों को उठाया पर नाम पते की जानकारी के बाद बांग्लादेशी होने का कोई प्रमाण न मिलने पर छोड़ दिया। पुलिस ने उस पर बिना वीजा देश में अवैध तरीके से प्रवेश करने की धारा 14 में के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया।
थाना क्षेत्र के गांव पुरवा रावत व अन्य गांव के लोगों ने बुधवार को पुलिस को एक बांग्लादेशी के यहां होने की सूचना दी। थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश सिंह फोर्स के साथ पुरवा रावत के पास गिल्टानी पुलिया के पास पहुंचे। वहां कबाड़ की दुकान से बांग्लादेशी के साथ उसके साथ काम करने वाले पांच अन्य साथियों को पकड़कर थाना लाए। पूछताछ में पांचों साथियों के आसपास के गांव में रहने की पुष्टि हुई जबकि एक के पास कोई कागजात नहीं मिले। पहले तो उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की पर बाद में कड़ाई बरतने पर वह टूट गया।
उसने अपना नाम इस्लाम पुत्र शौरियातुल्ला निवासी बांग्लादेश के जनपद खुलना के तहसील खुलथला के गांव दामोदर बताया। कहा कि बिना वीजा पश्चिम बंगाल के रास्ते आगरा में रहने वाली बेटी शर्मीन के यहां पहुंचा था। शर्मीन ने कई वर्ष पहले आगरा निवासी युवक के साथ शादी की थी। बेटी के घर से धौलपुर होते हुए चार माह पहले भटकते हुए सहार पहुंच गया। यहां वह पुरवा रावत निवासी आविद कुरैशी के संपर्क में आया। इसने उसे अपनी कबाड़ की दुकान पर रखा था। आरोपी ने बेटी को 31 जुलाई को पांच हजार रुपये सहार के गांव पटना स्थित जनसेवा केंद्र से ट्रांसफर कराए थे। थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश सिंह ने बताया कि आरोपी को पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया गया। जहां से इटावा जेल भेज दिया गया है। उसके अन्य पांच साथियों को छोड़ दिया गया है।

पुलिस की जांच में उसके पास भारत का कोई भी दस्तावेज नहीं मिला। बिना वीजा के वह एक साल पहले पश्चिम बंगाल के रास्ते आगरा में रह रही बेटी के पास पहुंचा था। वहां से चार माह पहले यहां आ गया और कबाड़ बीनने का काम करने लगा। पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके साथ काम करने वाले कुछ अन्य साथियों को उठाया पर नाम पते की जानकारी के बाद बांग्लादेशी होने का कोई प्रमाण न मिलने पर छोड़ दिया। पुलिस ने उस पर बिना वीजा देश में अवैध तरीके से प्रवेश करने की धारा 14 में के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया।
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थाना क्षेत्र के गांव पुरवा रावत व अन्य गांव के लोगों ने बुधवार को पुलिस को एक बांग्लादेशी के यहां होने की सूचना दी। थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश सिंह फोर्स के साथ पुरवा रावत के पास गिल्टानी पुलिया के पास पहुंचे। वहां कबाड़ की दुकान से बांग्लादेशी के साथ उसके साथ काम करने वाले पांच अन्य साथियों को पकड़कर थाना लाए। पूछताछ में पांचों साथियों के आसपास के गांव में रहने की पुष्टि हुई जबकि एक के पास कोई कागजात नहीं मिले। पहले तो उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की पर बाद में कड़ाई बरतने पर वह टूट गया।
उसने अपना नाम इस्लाम पुत्र शौरियातुल्ला निवासी बांग्लादेश के जनपद खुलना के तहसील खुलथला के गांव दामोदर बताया। कहा कि बिना वीजा पश्चिम बंगाल के रास्ते आगरा में रहने वाली बेटी शर्मीन के यहां पहुंचा था। शर्मीन ने कई वर्ष पहले आगरा निवासी युवक के साथ शादी की थी। बेटी के घर से धौलपुर होते हुए चार माह पहले भटकते हुए सहार पहुंच गया। यहां वह पुरवा रावत निवासी आविद कुरैशी के संपर्क में आया। इसने उसे अपनी कबाड़ की दुकान पर रखा था। आरोपी ने बेटी को 31 जुलाई को पांच हजार रुपये सहार के गांव पटना स्थित जनसेवा केंद्र से ट्रांसफर कराए थे। थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश सिंह ने बताया कि आरोपी को पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया गया। जहां से इटावा जेल भेज दिया गया है। उसके अन्य पांच साथियों को छोड़ दिया गया है।