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सीएसए : श्रीअन्न उपजाएं, सेहत के साथ मुनाफा भी पाएं
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कानपुर। डायबिटीज, बीपी, फैटी लिवर रोगियों की बढ़ती संख्या के इस दौर में श्रीअन्न का सेवन बहुत जरूरी है। श्रीअन्न मोटे अनाजों का एक समूह है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, और सांवा आदि होते हैं।
यह फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और ग्लूटेन-मुक्त होते हैं। मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद हैं और किसानों को इनके उत्पादन में अधिक मुनाफा मिलता है।
यह बात शनिवार को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने कही। डॉ. सिंह शनिवार को सीएसए में पोषक अनाजों पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीकी जानकारियां भी दीं। उन्होंने बताया कि श्रीअन्न जलवायु अनुकूल भी हैं। इसे अपनी भोजन की थाली में जरूर शामिल करें।
इस मौके पर निदेशक शोध डॉ आरके यादव ने कहा कि देश में मोटे अनाज का रकबा लगभग 69.70 लाख हेक्टेयर है। प्रदेश दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसका रकबा लगभग 12.45 मिलियन हेक्टेयर है। राजस्थान सबसे आगे है। मोटे अनाज की खेती बढ़ने से किसानों को फायदा हो रहा है। अनुवांशिकी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय यादव ने कहा की यह सभी अनाज उच्च पोषणमानयुक्त होते हैं और शरीर के लिए लाभकारी हैं।
कार्यक्रम में विवि के वैज्ञानिकों ने पुस्तकों का विमोचन किया गया। आयोजन सचिव डॉ. श्वेता ने भी श्रीअन्न फसलों के बारे में जानकारी साझा की। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा वैष्णवी ने किया।छात्र-छात्राओं एवं फैकल्टी सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस मौके पर डॉ. लोकेंद्र, डॉ. सोमवीर, डॉ. सीमा सोनकर सहित अन्य प्रोफेसर और विज्ञानी मौजूद रहे।
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यह फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और ग्लूटेन-मुक्त होते हैं। मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद हैं और किसानों को इनके उत्पादन में अधिक मुनाफा मिलता है।
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यह बात शनिवार को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने कही। डॉ. सिंह शनिवार को सीएसए में पोषक अनाजों पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीकी जानकारियां भी दीं। उन्होंने बताया कि श्रीअन्न जलवायु अनुकूल भी हैं। इसे अपनी भोजन की थाली में जरूर शामिल करें।
इस मौके पर निदेशक शोध डॉ आरके यादव ने कहा कि देश में मोटे अनाज का रकबा लगभग 69.70 लाख हेक्टेयर है। प्रदेश दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसका रकबा लगभग 12.45 मिलियन हेक्टेयर है। राजस्थान सबसे आगे है। मोटे अनाज की खेती बढ़ने से किसानों को फायदा हो रहा है। अनुवांशिकी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय यादव ने कहा की यह सभी अनाज उच्च पोषणमानयुक्त होते हैं और शरीर के लिए लाभकारी हैं।
कार्यक्रम में विवि के वैज्ञानिकों ने पुस्तकों का विमोचन किया गया। आयोजन सचिव डॉ. श्वेता ने भी श्रीअन्न फसलों के बारे में जानकारी साझा की। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा वैष्णवी ने किया।छात्र-छात्राओं एवं फैकल्टी सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस मौके पर डॉ. लोकेंद्र, डॉ. सोमवीर, डॉ. सीमा सोनकर सहित अन्य प्रोफेसर और विज्ञानी मौजूद रहे।
