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Baghpat News: सुई-धागे से शालिनी ने बदली तकदीर
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सुई-धागे से शालिनी ने बदली तकदीर से संबंधित। शालिनी तोमर।
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- बड़ौत की शालिनी तोमर ने सिलाई-कढ़ाई और हस्तनिर्मित उत्पादों से बनाई पहचान, अन्य को बनाया आत्मनिर्भर
संवाद न्यूज एजेंसी
बड़ौत। मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के दम पर अगर कोई महिला आगे बढ़े तो वह न सिर्फ अपनी तकदीर बदल सकती है बल्कि समाज को भी नई दिशा देती है। बड़ौत के शताब्दी नगर निवासी शालिनी तोमर ने सुई-धागे से अपने सफर को शुरू करके आज एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है।
शालिनी तोमर ने बीटीसी की पढ़ाई कर सिलाई-कढ़ाई और हस्तनिर्मित उत्पाद बनाने से शुरूआत की। धीरे-धीरे उनके हुनर की पहचान बढ़ती गई और आज उनके बनाए उत्पादों की सप्लाई दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में नियमित रूप से हो रही है। सीमित संसाधनों से शुरू हुआ यह कार्य अब एक मजबूत स्वरोजगार मॉडल बन चुका है। सबसे अहम पहलू यह है कि शालिनी सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रहीं। वे अब तक 50 से अधिक महिलाओं व युवतियों को सिलाई, कढ़ाई और छोटे व्यवसाय का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।
उनके साथ जुड़ी महिलाएं आज घर बैठे आय अर्जित कर रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं। शालिनी तोमर महिलाओं और बेटियों को आत्मनिर्भरता, शिक्षा और जागरूकता का महत्व भी समझा रही हैं। उनका मानना है कि जब महिला आर्थिक रूप से मजबूत होती है, तभी समाज सशक्त बनता है। आज शताब्दी नगर की शालिनी तोमर न केवल बड़ौत, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की सजीव मिसाल बन चुकी हैं। उनकी सफलता कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने हुनर के दम पर कुछ बड़ा करना चाहती हैं।
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संवाद न्यूज एजेंसी
बड़ौत। मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के दम पर अगर कोई महिला आगे बढ़े तो वह न सिर्फ अपनी तकदीर बदल सकती है बल्कि समाज को भी नई दिशा देती है। बड़ौत के शताब्दी नगर निवासी शालिनी तोमर ने सुई-धागे से अपने सफर को शुरू करके आज एक सफल व्यवसाय में बदल दिया है।
शालिनी तोमर ने बीटीसी की पढ़ाई कर सिलाई-कढ़ाई और हस्तनिर्मित उत्पाद बनाने से शुरूआत की। धीरे-धीरे उनके हुनर की पहचान बढ़ती गई और आज उनके बनाए उत्पादों की सप्लाई दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में नियमित रूप से हो रही है। सीमित संसाधनों से शुरू हुआ यह कार्य अब एक मजबूत स्वरोजगार मॉडल बन चुका है। सबसे अहम पहलू यह है कि शालिनी सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रहीं। वे अब तक 50 से अधिक महिलाओं व युवतियों को सिलाई, कढ़ाई और छोटे व्यवसाय का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।
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उनके साथ जुड़ी महिलाएं आज घर बैठे आय अर्जित कर रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं। शालिनी तोमर महिलाओं और बेटियों को आत्मनिर्भरता, शिक्षा और जागरूकता का महत्व भी समझा रही हैं। उनका मानना है कि जब महिला आर्थिक रूप से मजबूत होती है, तभी समाज सशक्त बनता है। आज शताब्दी नगर की शालिनी तोमर न केवल बड़ौत, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की सजीव मिसाल बन चुकी हैं। उनकी सफलता कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने हुनर के दम पर कुछ बड़ा करना चाहती हैं।
