{"_id":"6931e750c5f5617b9207ac43","slug":"teams-searching-for-attacking-wildlife-in-khoriya-shafiq-village-bahraich-news-c-98-1-bhr1003-140733-2025-12-05","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bahraich News: खोरिया शफीक गांव में हमलावर वन्यजीव को तलाश रहीं टीमें","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Bahraich News: खोरिया शफीक गांव में हमलावर वन्यजीव को तलाश रहीं टीमें
संवाद न्यूज एजेंसी, बहराइच
Updated Fri, 05 Dec 2025 01:26 AM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
पयागपुर। ग्राम सभा खोरिया शफीक में वन्यजीव के हमले में बालिका की मौत के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है। घटना के बाद वन विभाग ने जांच और निगरानी को तेज करते हुए तीन विशेष टीमों का गठन किया है। निगरानी के लिए नोडल अधिकारी के रूप में रेंजर विनोद कुमार नायक को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
विभागीय व्यवस्था के अनुसार पहली टीम सुबह सात से शाम सात बजे तक क्षेत्र में गहन गश्त कर पगचिह्नों और अन्य साक्ष्यों की खोज में लगी है। दूसरी टीम शाम सात से सुबह सात बजे तक गांव और आसपास के इलाकों की सतत निगरानी कर रही है। तीसरी टीम विश्लेषण और समन्वय का कार्य संभाल रही है, जो दोनों टीमों द्वारा जुटाए गए इनपुट का परीक्षण कर अगले चरण की कार्ययोजना तैयार करती है।
डिप्टी रेंजर योगेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि हमलावर जानवर की पहचान करने में 10–15 दिन का समय लग सकता है। सभी संकेतों, पगचिह्नों और अन्य नमूनों की वैज्ञानिक जांच आवश्यक है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि हमला किस जंगली जीव ने किया था। इसके बाद ही उसे चिह्नित कर पकड़ने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
वन विभाग द्वारा जगह-जगह चेतावनी पत्र लगाए गए हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने, रात में बच्चों को अकेला न छोड़ने और घरों की परिधि में रोशनी सहित साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दी गई है।
ड्रोन और हाई-टेक कैमरों से चौकसी
पीड़ित परिवार के घर के पास सुरक्षा के लिए जालबंदी की गई है। गांव की रात्रि-निगरानी के लिए दो ड्रोन कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही कई स्थानों पर ऑब्जेक्ट-कैप्चरिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 15 फुट के दायरे में आने वाले किसी भी जंगली जीव की तस्वीर स्वतः कैद कर लेते हैं। हर सुबह इन तस्वीरों का विश्लेषण कर विभाग आगे की कार्यवाही तय करता है।
Trending Videos
विभागीय व्यवस्था के अनुसार पहली टीम सुबह सात से शाम सात बजे तक क्षेत्र में गहन गश्त कर पगचिह्नों और अन्य साक्ष्यों की खोज में लगी है। दूसरी टीम शाम सात से सुबह सात बजे तक गांव और आसपास के इलाकों की सतत निगरानी कर रही है। तीसरी टीम विश्लेषण और समन्वय का कार्य संभाल रही है, जो दोनों टीमों द्वारा जुटाए गए इनपुट का परीक्षण कर अगले चरण की कार्ययोजना तैयार करती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
डिप्टी रेंजर योगेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि हमलावर जानवर की पहचान करने में 10–15 दिन का समय लग सकता है। सभी संकेतों, पगचिह्नों और अन्य नमूनों की वैज्ञानिक जांच आवश्यक है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि हमला किस जंगली जीव ने किया था। इसके बाद ही उसे चिह्नित कर पकड़ने की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
वन विभाग द्वारा जगह-जगह चेतावनी पत्र लगाए गए हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने, रात में बच्चों को अकेला न छोड़ने और घरों की परिधि में रोशनी सहित साफ-सफाई बनाए रखने की सलाह दी गई है।
ड्रोन और हाई-टेक कैमरों से चौकसी
पीड़ित परिवार के घर के पास सुरक्षा के लिए जालबंदी की गई है। गांव की रात्रि-निगरानी के लिए दो ड्रोन कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही कई स्थानों पर ऑब्जेक्ट-कैप्चरिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 15 फुट के दायरे में आने वाले किसी भी जंगली जीव की तस्वीर स्वतः कैद कर लेते हैं। हर सुबह इन तस्वीरों का विश्लेषण कर विभाग आगे की कार्यवाही तय करता है।