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Balrampur News: जीपीएस से लैस होंगे 365 स्कूली वाहन
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बलरामपुर। वाहन से स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन सख्त हो गया है। सभी स्कूली वाहनों को जीपीएस से लैस करने के साथ ही उसमें अग्निशमन यंत्र व फर्स्ट एड बॉक्स रखना अनिवार्य किया गया है। स्कूली वाहनों की निगरानी के लिए यान समिति का गठन भी हुआ है।
जिले में सरकारी, सहायता प्राप्त एवं मान्यता प्राप्त कुल 170 माध्यमिक स्कूल संचालित हैं। सरकारी व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए 365 वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है। स्कूली वाहनों से होने वाले हादसों पर नियंत्रण के लिए प्रशासन की तरफ से स्कूल प्रबंधकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्कूल प्रबंधन अब उन्हीं वाहनों से विद्यार्थी ला सकते हैं, जिनका फिटनेस प्रमाणपत्र होगा। इसके अलावा वाहन को जीपीएस एवं स्पीड ब्रेकर से लैस करने की हिदायत दी गई है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए वाहन में सीसीटीवी कैमरा, फर्स्ट एड बॉक्स एवं अग्निशमन यंत्र रखा जाना अनिवार्य किया गया है। वाहन पर रहने वाले चालक व परिचालक को वर्दी में रहने तथा उनका मोबाइल नंबर वाहन पर अंकित होना चाहिए। वाहन चालक के लाइसेंस व चरित्र का सत्यापन पुलिस से कराना होगा। स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए। प्रत्येक वाहन में आपातकालीन द्वार एवं खिड़की होना अनिवार्य है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली यान समिति करेगी निगरानी
स्कूली वाहनों की निगरानी के लिए जिले में यान समिति का गठन किया गया है। जिलाधिकारी यान समिति के अध्यक्ष एवं एआरटीओ सचिव होंगे। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक, सीएमओ, डीआईओएस, बीएसए, आरआई परिवहन, अधीक्षण अभियंता, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि एवं ट्रक व बस एसोसिएशन के पदाधिकारी यान समिति के सदस्य होंगे। स्कूली वाहनों की स्थिति का आकलन कर परिवहन विभाग को रिपोर्ट यान समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
मानक पूरा करने वाले वाहनों को ही मिलेगी अनुमति
विद्यार्थियों को स्कूल लाने व घर पहुंचाने वाले वाहनों के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से मानक तय किए गए हैं। उन्हीं वाहनों के संचालन के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी, जो सभी मानक पूरा करेंगे। बिना मानक पूरा किए सड़क पर वाहन संचालित मिलने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- मृदुला आनंद, जिला विद्यालय निरीक्षक
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जिले में सरकारी, सहायता प्राप्त एवं मान्यता प्राप्त कुल 170 माध्यमिक स्कूल संचालित हैं। सरकारी व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए 365 वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है। स्कूली वाहनों से होने वाले हादसों पर नियंत्रण के लिए प्रशासन की तरफ से स्कूल प्रबंधकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्कूल प्रबंधन अब उन्हीं वाहनों से विद्यार्थी ला सकते हैं, जिनका फिटनेस प्रमाणपत्र होगा। इसके अलावा वाहन को जीपीएस एवं स्पीड ब्रेकर से लैस करने की हिदायत दी गई है।
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बच्चों की सुरक्षा के लिए वाहन में सीसीटीवी कैमरा, फर्स्ट एड बॉक्स एवं अग्निशमन यंत्र रखा जाना अनिवार्य किया गया है। वाहन पर रहने वाले चालक व परिचालक को वर्दी में रहने तथा उनका मोबाइल नंबर वाहन पर अंकित होना चाहिए। वाहन चालक के लाइसेंस व चरित्र का सत्यापन पुलिस से कराना होगा। स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए। प्रत्येक वाहन में आपातकालीन द्वार एवं खिड़की होना अनिवार्य है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली यान समिति करेगी निगरानी
स्कूली वाहनों की निगरानी के लिए जिले में यान समिति का गठन किया गया है। जिलाधिकारी यान समिति के अध्यक्ष एवं एआरटीओ सचिव होंगे। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक, सीएमओ, डीआईओएस, बीएसए, आरआई परिवहन, अधीक्षण अभियंता, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि एवं ट्रक व बस एसोसिएशन के पदाधिकारी यान समिति के सदस्य होंगे। स्कूली वाहनों की स्थिति का आकलन कर परिवहन विभाग को रिपोर्ट यान समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
मानक पूरा करने वाले वाहनों को ही मिलेगी अनुमति
विद्यार्थियों को स्कूल लाने व घर पहुंचाने वाले वाहनों के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से मानक तय किए गए हैं। उन्हीं वाहनों के संचालन के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी, जो सभी मानक पूरा करेंगे। बिना मानक पूरा किए सड़क पर वाहन संचालित मिलने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- मृदुला आनंद, जिला विद्यालय निरीक्षक
