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Balrampur News: चार साल बाद सोहेलवा के जंगलों में होगी बाघों की गणना
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बलरामपुर के सोहेलवा जंगल में जनगणना के लिए पेड़ों पर लगाया गया निशान।-संवाद
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जरवा। सोहेलवा के घने जंगलों में चार साल बाद एक बार फिर सोमवार से बाघ गणना की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस अभियान के तहत वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी लगभग 30 दिनों तक जंगलों में डेरा डालकर वन्यजीवों की खोजबीन और गणना करेंगे। यह गणना जनवरी माह तक चलेगी।
बाघ गणना का कार्य हर चार साल में एक बार किया जाता है, ताकि जंगल में बाघों और अन्य वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके। बाघ गणना पूरे जिले में एक साथ प्रारंभ की जाएगी। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले सभी रेंज और बीटों में यह अभियान चलेगा। इसमें रामपुर रेंज की 7 बीट, जनकपुर रेंज की 7 बीट, तुलसीपुर, भाभर की 9 बीट, बनकटवा, बरहवा सहित अन्य रेंजों की बीट शामिल हैं।
सभी स्थानों पर एक ही समय पर वनकर्मी जंगलों में उतरेंगे। बाघ गणना के दौरान पहले तीन दिन ट्रांजिट लाइन पद्धति से जंगल का सर्वे किया जाएगा। इसके बाद तीन दिन सैंपलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस दौरान वनकर्मी पदचिह्न सूचक यंत्र, दिशा सूचक यंत्र, दूरबीन आदि उपकरणों की मदद से बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के पंजों के निशान, मल (बीट) के आकार और पहचान के आधार पर अनुमान लगाएंगे। इसके बाद चयनित स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, जिनसे फोटो और वीडियो के माध्यम से वन्यजीवों की मौजूदगी की पुष्टि की जाएगी।
पहले से तीन बाघों की मौजूदगी की पुष्टि
पूर्व में हुई बाघ गणना में रामपुर-तुलसीपुर यूनिट और जनकपुर वन रेंज क्षेत्र में तीन बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। इससे वन विभाग को उम्मीद है कि इस बार भी बाघों की संख्या और उनके मूवमेंट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आएंगी। वन विभाग का कहना है कि बाघ गणना से न सिर्फ बाघों की संख्या का पता चलेगा, बल्कि जंगल की सेहत और जैव विविधता की स्थिति भी स्पष्ट होगी, जिससे भविष्य की संरक्षण योजनाओं को और मजबूत किया जा सकेगा।
जंगल की स्थिति का भी होगा आकलन
जनकपुर के रेंजर अमरजीत प्रसाद और रामपुर के रेंजर प्रभात वर्मा ने बताया कि गणना के दौरान प्रत्येक बीट में लगभग पांच-पांच किलोमीटर पैदल चलकर ट्रांजिट लाइन तय की जाएगी। इसके साथ ही जंगल में मौजूद झाड़ीदार और इमारती पेड़ों की संख्या, घनत्व, आर्द्रता, छत्रवितान और सूर्य प्रकाश की स्थिति का भी आकलन किया जाएगा। वन्यजीवों के पदचिह्न और मल के आधार पर उनकी संख्या का अनुमान तैयार किया जाएगा।
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बाघ गणना का कार्य हर चार साल में एक बार किया जाता है, ताकि जंगल में बाघों और अन्य वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके। बाघ गणना पूरे जिले में एक साथ प्रारंभ की जाएगी। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले सभी रेंज और बीटों में यह अभियान चलेगा। इसमें रामपुर रेंज की 7 बीट, जनकपुर रेंज की 7 बीट, तुलसीपुर, भाभर की 9 बीट, बनकटवा, बरहवा सहित अन्य रेंजों की बीट शामिल हैं।
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सभी स्थानों पर एक ही समय पर वनकर्मी जंगलों में उतरेंगे। बाघ गणना के दौरान पहले तीन दिन ट्रांजिट लाइन पद्धति से जंगल का सर्वे किया जाएगा। इसके बाद तीन दिन सैंपलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस दौरान वनकर्मी पदचिह्न सूचक यंत्र, दिशा सूचक यंत्र, दूरबीन आदि उपकरणों की मदद से बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के पंजों के निशान, मल (बीट) के आकार और पहचान के आधार पर अनुमान लगाएंगे। इसके बाद चयनित स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे, जिनसे फोटो और वीडियो के माध्यम से वन्यजीवों की मौजूदगी की पुष्टि की जाएगी।
पहले से तीन बाघों की मौजूदगी की पुष्टि
पूर्व में हुई बाघ गणना में रामपुर-तुलसीपुर यूनिट और जनकपुर वन रेंज क्षेत्र में तीन बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। इससे वन विभाग को उम्मीद है कि इस बार भी बाघों की संख्या और उनके मूवमेंट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आएंगी। वन विभाग का कहना है कि बाघ गणना से न सिर्फ बाघों की संख्या का पता चलेगा, बल्कि जंगल की सेहत और जैव विविधता की स्थिति भी स्पष्ट होगी, जिससे भविष्य की संरक्षण योजनाओं को और मजबूत किया जा सकेगा।
जंगल की स्थिति का भी होगा आकलन
जनकपुर के रेंजर अमरजीत प्रसाद और रामपुर के रेंजर प्रभात वर्मा ने बताया कि गणना के दौरान प्रत्येक बीट में लगभग पांच-पांच किलोमीटर पैदल चलकर ट्रांजिट लाइन तय की जाएगी। इसके साथ ही जंगल में मौजूद झाड़ीदार और इमारती पेड़ों की संख्या, घनत्व, आर्द्रता, छत्रवितान और सूर्य प्रकाश की स्थिति का भी आकलन किया जाएगा। वन्यजीवों के पदचिह्न और मल के आधार पर उनकी संख्या का अनुमान तैयार किया जाएगा।