{"_id":"693dab50927b8816bf02037e","slug":"descendants-from-fiji-come-to-pay-homage-to-the-birthplace-of-their-ancestors-balrampur-news-c-100-1-slko1026-148750-2025-12-13","type":"story","status":"publish","title_hn":"Balrampur News: पुरखों की जन्मभूमि को नमन करने फिजी से आए वंशज","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Balrampur News: पुरखों की जन्मभूमि को नमन करने फिजी से आए वंशज
संवाद न्यूज एजेंसी, बलरामपुर
Updated Sat, 13 Dec 2025 11:37 PM IST
विज्ञापन
परसपुर में पहुंचे फिजी देश से आए नागरिक। - संवाद
विज्ञापन
पसका। पूर्वजों की जड़ें तलाशने के लिए शुक्रवार को फिजी से भारतीय मूल के एक परिवार के आठ सदस्य परसपुर पहुंचे। ये सभी टूरिस्ट बस से गाइड के साथ पुरखों के गांव पहुंचे, जहां पीढ़ियों बाद बिछड़े रिश्तों की कड़ियां फिर जुड़ती नजर आईं।
फिजी निवासी ओमलता ने बताया कि उनके पूर्वज बोधी, सरजू व घुरहू 140 वर्ष पहले परसपुर के चंदापुर से वहां गए थे। वे उन लोगों की पांचवीं पीढ़ी से हैं। भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने पूर्वजों की जन्मभूमि देखने की इच्छा जताई, जिसे पूरा करने के लिए वह पति विमल प्रकाश, चचेरी बहन रमन, उनके पति जार्ज कृष्णा रमन आदि परिजनों संग चंदापुर पहुंचीं। ओमलता ने बताया कि भारत भ्रमण के दौरान वह मथुरा-वृंदावन, हरिद्वार, देवप्रयाग और दिल्ली समेत कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर चुकी हैं। इसी क्रम में परसपुर आकर उन्होंने अपने पुरखों की मिट्टी को नमन किया। थानाध्यक्ष अनुज त्रिपाठी ने बताया कि फिजी का आठ सदस्यीय दल टूरिस्ट वीजा पर भारत आया है। वे हरियाणा के पानीपत निवासी गाइड संदीप कुमार के साथ शुक्रवार को थाना क्षेत्र में पहुंचे। सुरक्षा व सत्यापन की औपचारिकता पूरी कर उन्हें चंदापुर भेजा गया।
पुरखों की जमीन और पेशे की भी मिली जानकारी : परसपुर के सकरौर हाथीबोर निवासी शिवबचन ने बताया कि विदेश से आए परिवार के सदस्यों ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने गांव में उनके भाइयों गुरुबचन, मिहीलाल, त्रिलोकी और पंचम से मुलाकात की और बातचीत के दौरान पुराने संबंधों को याद किया। शिवबचन ने बताया कि पहले उनका घर चंदापुर में था और वहां उनकी पुश्तैनी जमीन आज भी है। बाढ़ की वजह से बाद में परिवार सकरौर हाथीबोर में बस गया। उनके पूर्वज कपड़ा बुनने का काम करते थे, जिसे अब परिवार ने छोड़ दिया है।
Trending Videos
फिजी निवासी ओमलता ने बताया कि उनके पूर्वज बोधी, सरजू व घुरहू 140 वर्ष पहले परसपुर के चंदापुर से वहां गए थे। वे उन लोगों की पांचवीं पीढ़ी से हैं। भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने पूर्वजों की जन्मभूमि देखने की इच्छा जताई, जिसे पूरा करने के लिए वह पति विमल प्रकाश, चचेरी बहन रमन, उनके पति जार्ज कृष्णा रमन आदि परिजनों संग चंदापुर पहुंचीं। ओमलता ने बताया कि भारत भ्रमण के दौरान वह मथुरा-वृंदावन, हरिद्वार, देवप्रयाग और दिल्ली समेत कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर चुकी हैं। इसी क्रम में परसपुर आकर उन्होंने अपने पुरखों की मिट्टी को नमन किया। थानाध्यक्ष अनुज त्रिपाठी ने बताया कि फिजी का आठ सदस्यीय दल टूरिस्ट वीजा पर भारत आया है। वे हरियाणा के पानीपत निवासी गाइड संदीप कुमार के साथ शुक्रवार को थाना क्षेत्र में पहुंचे। सुरक्षा व सत्यापन की औपचारिकता पूरी कर उन्हें चंदापुर भेजा गया।
विज्ञापन
विज्ञापन
पुरखों की जमीन और पेशे की भी मिली जानकारी : परसपुर के सकरौर हाथीबोर निवासी शिवबचन ने बताया कि विदेश से आए परिवार के सदस्यों ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने गांव में उनके भाइयों गुरुबचन, मिहीलाल, त्रिलोकी और पंचम से मुलाकात की और बातचीत के दौरान पुराने संबंधों को याद किया। शिवबचन ने बताया कि पहले उनका घर चंदापुर में था और वहां उनकी पुश्तैनी जमीन आज भी है। बाढ़ की वजह से बाद में परिवार सकरौर हाथीबोर में बस गया। उनके पूर्वज कपड़ा बुनने का काम करते थे, जिसे अब परिवार ने छोड़ दिया है।