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Banda News: तबाही की बारिश...बुंदेलखंड में 3700 लोग को हुए बेघर
संवाद न्यूज एजेंसी, बांदा
Updated Fri, 26 Sep 2025 01:25 AM IST
सार
बांदा और बुंदेलखंड क्षेत्र में भारी मानसूनी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया और कई जिलों में फसलें व मकान नष्ट हुए। सरकार ने प्रभावित किसानों और परिवारों को मुआवजा व अनुदान राशि वितरित की है। कई स्थानों पर सर्वे और राहत कार्य जारी हैं।
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फोटो - 01 एमएलसी डॉ. बीएल तिवारी। स्त्रोत : स्वयं
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विस्तार
बांदा। बुंदेलखंड के किसानों और बाशिंदों पर मानसूनी बारिश इस कदर भारी पड़ी कि जनजीवन तबाह हो गया। पहले बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी, फिर बारिश ने घुटनों पर ला दिया। लगातार बारिश से घरगिरी व बिजली गिरने की सिलसिलेवार कई घटनाएं हुईं। लगभग एक सैकड़ा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 3700 से ज्यादा लोग बेघर हो गए।
बांदा और चित्रकूट में 1488 हेक्टेयर की फसलें चौपट हो गईं। हालांकि हमीरपुर और जालौन में बारिश से फसलों को हुआ नुकसान प्रदेश सरकार के मानक पर खरा नहीं उतरा। कुछ जिलों में अभी भी नष्ट हुईं फसलों का सर्वे अधूरा है। सरकार ने फिलहाल कृषि अनुदान के रूप में किसानों को लगभग तीन करोड़ रुपये और मकान मुआवजा/अनुदान के तौर पर तकरीबन एक करोड़ रुपये दिए हैं।
बुंदेलखंड में बारिश की तबाही को झांसी-इलाहाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड से भाजपा एमएलसी डॉ. बाबूलाल तिवारी ने 11 अगस्त को विधान परिषद में नियम -115 के तहत उठाया था। सरकार से तत्काल सर्वे और सहायता दिए जाने की मांग की थी। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को एमएलसी को तीन पृष्ठों का पत्र भेजकर बुंदेलखंड के सातों जिलों सहित फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी और प्रयागराज में बारिश से हुए नुकसान और सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सहायता का जनपदवार ब्योरा दिया है।
कहा है कि बांदा में 192 गांव प्रभावित हुए हैं। 989 हेक्टेयर की फसलें 33 फीसदी से ज्यादा खराब हुई हैं। प्रभावित गांवों में सदर तहसील के 14, बबेरू के 15, अतर्रा के 38, पैलानी के 40 और नरैनी तहसील के 85 गांव शामिल हैं। राजस्व, कृषि और बीमा कंपनियों ने संयुक्त सर्वे किया है। मकान ढहने से 667 लोगों को मुआवजा दिया गया है। 1389 किसानों की 989 हेक्टेयर की फसल क्षति पर 59 लाख 87 हजार 200 रुपये का अनुदान दिया गया है।
चित्रकूट में राजापुर, मऊ और कर्वी तहसीलों के 60 गांव प्रभावित हुए हैं। संयुक्त सर्वे में 4099 हेक्टेयर की फसल प्रभावित बताई गई है। अभी फसल का आकलन किया जा रहा है। मकान अनुदान के तौर पर 716 लोगों को 35 लाख 95 हजार 500 रुपये दिए जा चुके हैं। हमीरपुर में सर्वे करने वालों को कहीं भी 33 फीसदी से ज्यादा फसलों का नुकसान नजर नहीं आया।
नतीजे में यहां किसानों को कोई अनुदान नहीं दिया गया। अलबत्ता 423 मकान क्षतिग्रस्त होने पर 16 लाख 94 हजार 500 रुपये गृह अनुदान बांटा गया है। महोबा में एक लाख 37 हजार 610 किसानों का अनुमानित नुकसान 38 करोड़ 54 लाख 67 हजार 570 रुपये आंका गया है। यहां भुगतान की कार्यवाही चल रही है। 891 मकानों का 39 लाख 29 हजार 500 रुपये गृह अनुदान स्वीकृत हुआ है। जालौन में फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत से कम होने पर कोई सहायता राशि किसानों को नहीं दी गई। यहां 41 मकान क्षतिग्रस्त और एक व्यक्ति की मौत हुई। कुल सात लाख 17 हजार 500 रुपये बांटे जा चुके हैं।
तीन जिलों में 95 मौतें
बारिश से बुंदेलखंड में तीन जिलों में 95 मौतें भी सरकार ने स्वीकारी हैं। एमएलसी श्री तिवारी को उप मुख्यमंत्री द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में ललितपुर में 56 और झांसी में 38 जनहानि बताई गई हैं। जालौन में एक मौत हुई है।
सीमावर्ती जिलों में कम नुकसान
एमएलसी ने बताया कि बुंदेलखंड सीमा से जुड़े उनके निर्वाचन क्षेत्र के फतेहपुर में जिलाधिकारी ने बारिश से कोई फसल क्षतिग्रस्त नहीं होना बताया है। यहां सिर्फ मकानों का मुआवजा दिया गया है। कौशांबी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ की स्थिति भी बताई गई है। उन्होंने बताया कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाढ़, बारिश प्रभावितों को सरकार से भरपूर मदद दिलाने को वह लगातार कोशिश कर रहे हैं।
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बांदा और चित्रकूट में 1488 हेक्टेयर की फसलें चौपट हो गईं। हालांकि हमीरपुर और जालौन में बारिश से फसलों को हुआ नुकसान प्रदेश सरकार के मानक पर खरा नहीं उतरा। कुछ जिलों में अभी भी नष्ट हुईं फसलों का सर्वे अधूरा है। सरकार ने फिलहाल कृषि अनुदान के रूप में किसानों को लगभग तीन करोड़ रुपये और मकान मुआवजा/अनुदान के तौर पर तकरीबन एक करोड़ रुपये दिए हैं।
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बुंदेलखंड में बारिश की तबाही को झांसी-इलाहाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड से भाजपा एमएलसी डॉ. बाबूलाल तिवारी ने 11 अगस्त को विधान परिषद में नियम -115 के तहत उठाया था। सरकार से तत्काल सर्वे और सहायता दिए जाने की मांग की थी। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को एमएलसी को तीन पृष्ठों का पत्र भेजकर बुंदेलखंड के सातों जिलों सहित फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी और प्रयागराज में बारिश से हुए नुकसान और सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सहायता का जनपदवार ब्योरा दिया है।
कहा है कि बांदा में 192 गांव प्रभावित हुए हैं। 989 हेक्टेयर की फसलें 33 फीसदी से ज्यादा खराब हुई हैं। प्रभावित गांवों में सदर तहसील के 14, बबेरू के 15, अतर्रा के 38, पैलानी के 40 और नरैनी तहसील के 85 गांव शामिल हैं। राजस्व, कृषि और बीमा कंपनियों ने संयुक्त सर्वे किया है। मकान ढहने से 667 लोगों को मुआवजा दिया गया है। 1389 किसानों की 989 हेक्टेयर की फसल क्षति पर 59 लाख 87 हजार 200 रुपये का अनुदान दिया गया है।
चित्रकूट में राजापुर, मऊ और कर्वी तहसीलों के 60 गांव प्रभावित हुए हैं। संयुक्त सर्वे में 4099 हेक्टेयर की फसल प्रभावित बताई गई है। अभी फसल का आकलन किया जा रहा है। मकान अनुदान के तौर पर 716 लोगों को 35 लाख 95 हजार 500 रुपये दिए जा चुके हैं। हमीरपुर में सर्वे करने वालों को कहीं भी 33 फीसदी से ज्यादा फसलों का नुकसान नजर नहीं आया।
नतीजे में यहां किसानों को कोई अनुदान नहीं दिया गया। अलबत्ता 423 मकान क्षतिग्रस्त होने पर 16 लाख 94 हजार 500 रुपये गृह अनुदान बांटा गया है। महोबा में एक लाख 37 हजार 610 किसानों का अनुमानित नुकसान 38 करोड़ 54 लाख 67 हजार 570 रुपये आंका गया है। यहां भुगतान की कार्यवाही चल रही है। 891 मकानों का 39 लाख 29 हजार 500 रुपये गृह अनुदान स्वीकृत हुआ है। जालौन में फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत से कम होने पर कोई सहायता राशि किसानों को नहीं दी गई। यहां 41 मकान क्षतिग्रस्त और एक व्यक्ति की मौत हुई। कुल सात लाख 17 हजार 500 रुपये बांटे जा चुके हैं।
तीन जिलों में 95 मौतें
बारिश से बुंदेलखंड में तीन जिलों में 95 मौतें भी सरकार ने स्वीकारी हैं। एमएलसी श्री तिवारी को उप मुख्यमंत्री द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में ललितपुर में 56 और झांसी में 38 जनहानि बताई गई हैं। जालौन में एक मौत हुई है।
सीमावर्ती जिलों में कम नुकसान
एमएलसी ने बताया कि बुंदेलखंड सीमा से जुड़े उनके निर्वाचन क्षेत्र के फतेहपुर में जिलाधिकारी ने बारिश से कोई फसल क्षतिग्रस्त नहीं होना बताया है। यहां सिर्फ मकानों का मुआवजा दिया गया है। कौशांबी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ की स्थिति भी बताई गई है। उन्होंने बताया कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाढ़, बारिश प्रभावितों को सरकार से भरपूर मदद दिलाने को वह लगातार कोशिश कर रहे हैं।

फोटो - 01 एमएलसी डॉ. बीएल तिवारी। स्त्रोत : स्वयं