उर्स-ए-रजवी: बरेली में उलमाओं ने दी कौम को नसीहत- बेटियों को मोबाइल से रखें दूर, दें अच्छी तालीम
बरेली में उर्स-ए-रजवी में देशभर के उलमा आए हुए हैं। उर्स के दूसरे दिन उलमाओं ने कई मसलों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बेटियों को दीन से नहीं, मोबाइल फोन से दूर रखें। उन्हें अच्छी तालीम दें।
विस्तार
बरेली में उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन इस्लामिया मैदान में उलमा ने कौम के बुजुर्गों व उनके कारनामों की चर्चा की। कारी सखावत मुरादाबादी ने कहा कि हिंदुस्तान में इस्लाम अजमेर के ख्वाजा, बरेली के रजा और सूफी संतों के किरदार से फैला है। उन्होंने कहा कि बेटियों को अच्छा खिलाएं, अच्छा पहनाएं, अच्छी तालीम दें, लेकिन मोबाइल से बचाएं।
मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने कहा कि दीन से दूर रहने की वजह से ही मुस्लिम लड़कियां बहक रही हैं। हमें उन्हें बचाने की जरूरत है। मां-बाप बेटियों पर खास नजर रखें। तनजानिया से आए मुफ्ती फैज रजा, इंग्लैंड से आए अल्लामा फारोग उल कादरी, मौलाना जिकरुल्लाह, डॉ. एजाज़ अंजुम, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी, मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी की तकरीरें देर रात तक जारी रहीं।
कुल की रस्म अदा की गई
सोमवार सुबह रजा मस्जिद में कुरानख्वानी हुई। इस्लामिया मैदान में कारी रिजवान रजा ने तिलावत-ए-कुरान किया। इसके बाद मुफस्सिर ए आजम मुफ्ती इब्राहीम रजा खान (जिलानी मियां) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 10:30 बजे व रेहान-ए-मिल्लत मुफ्ती रेहान रजा खान (रहमानी मियां) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 9:58 बजे अदा की गई।
देर रात 1:40 बजे मुफ्ती आजम हिंद हजरत मुस्तफा रजा खां के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। बिहार के अल्लामा महबूब गौहर इस्लामपुरी की लिखी 500 पेज की किताब ‘मंजूम सवाने आला हजरत’ का विमोचन साजदनशीन मुफ्ती अहसन मियां ने किया।
महफिर की सरपरस्ती दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां ने की और सदारत अहसन मियां की रही। सैयद आसिफ मियां व उर्स प्रभारी राशिद अली की निगरानी में कार्यक्रम में संपन्न हुआ। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि मंगलवार को आला हजरत का कुल दोपहर 2:38 पर होगा।
सौहार्द कांफ्रेंस का आयोजन
इस्लामिया कॉलेज मैदान में सुबह अंतरराष्ट्रीय सौहार्द कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें उलमा ने लोगों को नशाखोरी से दूर रहने व शरई दायरे में रहते हुए सौहार्द को बढ़ावा देने का संदेश दिया। मुफ्ती आसिफ मंजरी ने देशभर से आए उलमा व मस्जिदों के इमामों से कहा कि वह जुमे की नमाज के खुतबे में सौहार्द को बढ़ावा देने की बात करें। अपनी तकरीर में नफरत को मिटाने पर जोर दें।ये भी पढ़ें- बरेली में रजा के दीवानों का सैलाब: आला हजरत के कुल में उमड़ेंगे लाखों जायरीन; आज इन रास्तों पर जाने से बचें
मुफ्ती अहमद रजा ने मांग उठाई कि पैगंबर-ए-इस्लाम व दूसरे मजहबों के रहनुमाओं के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के लिए सख्त कानून बनाया जाए। मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है। यही वजह है कि मुसलमान शरीयत पर अमल करने के साथ-साथ अपने मुल्क के संविधान पर भी चलता है। लोग पूरे मुल्क में इस्लाम की अमन पसंद सुन्नी सूफी विचारधारा को पहुंचाएं। मुस्लिम युवा खुद को मजहब व समाज विरोधी गतिविधियों से दूर रखें। बेहतर तालीम हासिल करें।
मुफ्ती स्वालेह रजवी ने नौजवानों को सोशल मीडिया पर भड़काऊ, आपत्तिजनक, भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी नहीं करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सियासी लाभ के लिए नफरत फैला रहे हैं। हमें उनसे सावधान रहने की जरूरत है। कॉन्फ्रेंस का आगाज कारी रिजवान रजा ने तिलावत-ए-कुरान से किया।