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उर्स-ए-रजवी: उलमा बोले- मुल्क का वफादार ही मजहब और रजा का असली पैरोकार, हमारे देश का संविधान सबसे बेहतर

अमर उजाला ब्यूरो, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Wed, 20 Aug 2025 10:41 AM IST
सार

उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन मुफ्ती सलीम नूरी ने जायरीन को दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां का पैगाम सुनाया। उन्होंने कहा कि हमारे देश का संविधान सबसे बेहतर है। सभी लोग सभी मुल्क की तरक्की और खुशहाली के लिए काम करें।

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India constitution is the best says Ulama in urs e razvi
उर्स-ए-रजवी: कॉन्फ्रेंस में जुटे जायरीन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जो मुल्क का वफादार है, वही मजहब और रजा का असली पैरोकार है। हमारा संविधान सबसे बेहतर है। बरेली में उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन मंगलवार को इस्लामिया मैदान में अंतरराष्ट्रीय नामूस-ए-रिसालत, सौहार्द और मसलक-ए-आला हजरत कॉन्फ्रेंस में दरगाह प्रमुख सुब्हान रजा खान का पैगाम सुनाते हुए मुफ्ती सलीम नूरी ने ये बातें कहीं। 

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उन्होंने कहा कि मुल्क में सभी को अपने मजहबी कार्यक्रम करने की आजादी है। सभी मुल्क की तरक्की और खुशहाली के लिए काम करें। सरकारें आती-जाती हैं, पर मुल्क का इतिहास बहुत पुराना है। राजनीतिक दलों से इत्तेफाक अलग चीज है। मुल्क से वफादारी इससे जुदा है। इस मिट्टी में सभी का लहू शामिल है। हमें अपने बच्चों को शरीयत के साथ ही संविधान भी पढ़ाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द के लिए देश की खानकाहों को आगे आना होगा। आज जिन मदरसों को शक की निगाह से देखा जा रहा है, टीपू सुल्तान, बहादुर शाह जफर, अल्लामा फजले हक खैराबादी सहित आजादी के कई मतवालों ने यहीं तालीम हासिल की थी। मुसलमानों और मदरसों को देशभक्ति के लिए किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। 

'अमेरिका ने कई मुल्कों को बर्बाद किया'
कॉन्फ्रेंस में कारी सखावत मुरादाबादी ने कहा कि अमेरिका ने दुनिया के कई मुल्कों को बर्बाद कर दिया। आज अमेरिका की मदद से ही इस्राइल, फलस्तीन को बर्बाद कर रहा है। पाकिस्तानी उलमा और यू ट्यूबरों से दीन न सीखें। सुन्नी उलमा की किताबों से दीन की तालीम लें। उन्होंने जुमे की नमाज के बाद खुतबे में सौहार्द को बढ़ावा देने की अपील की।  

 कश्मीर से आए मुफ्ती अब्दुल रऊफ ने कहा कि मसलक-ए-आला हजरत पर कायम रहें। वहाबी विचारधारा से बचें। मौलाना मुख्तार बहेड़वी ने कहा कि मुफ्ती आजम हिंद ने देश के विभाजन के वक्त खिंची खाई को अपने इल्म से पाटने का काम किया था। यह कॉन्फ्रेंस दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी की सदारत व सैयद आसिफ मियां की देखरेख में हुई। 

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इसमें मौलाना कमर रजा, मौलाना जाहिद रजा, मुफ्ती बशीर उल कादरी, कारी अब्दुर्रहमान कादरी, मुफ्ती अख्तर, मौलाना असलम टनकपुरी, नेपाल के नसरुद्दीन रजवी, मॉरीशस से आए मुफ्ती नदीम, मुफ्ती रियाजुल हसन आदि ने भी खिताब किया। संचालन कारी यूसुफ रजा संभली ने किया।
 
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