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पाकिस्तानी मूल की दो महिलाओं को एडीएम सिटी ने सौंपे भारतीय नागरिकता के प्रमाणपत्र
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बरेली
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 24 Jun 2019 11:05 PM IST
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पाकिस्तानी मूल की दो महिलाओं को भारतीय नागरिकता देते एडीएम
- फोटो : अमर उजाला
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तीन दशक की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार पाकिस्तानी मूल की शहला और राना मुख्तार को भारत की नागरिकता मिल ही गई। एडीएम सिटी महेंद्र कुमार ने सोमवार को दोनों महिलाओं को कलक्ट्रेट बुलाकर भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंप दिया। लंबी जद्दोजहद के बाद ये सर्टिफिकेट पाकर दोनों ही महिलाओं के चेहरे खुशी से चमक उठे। शादी के बाद से ही नागरिकता पाने की जंग लड़ रही राना मुख्यार के शौहर भी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
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पाकिस्तान के बट्टा ग्राम के मोहम्मद मुख्तार अहमद की बेटी राना मुख्तार 1960 में पैदा हुईं थीं। मोहम्मद मुख्तार का पाकिस्तान में बड़ा कारोबार था। 1987 में राना मुख्तार की शादी बरेली के कांकर टोला निवासी सैय्यद कमर अली से हुई थी। शादी के बाद से ही राना मुख्तार ने भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए दौड़ लगानी शुरू कर दी। शादी के बाद लंबा अरसा यूं ही गुजर गया। इस बीच, उनके दो बच्चे भी बड़े हो गए। उनका बेटा सऊदी में है तो बेटी नोएडा स्थित गूगल दफ्तर में काम कर रही है।
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नागरिकता पाने को जद्दोजहद करते करते उनके पति दुनिया से रुख्सत हो गए। ऐसे ही शहला भी नागरिकता लेने के लिए 32 साल से भटक रही थीं। वर्ष 1962 में पैदा हुईं शहला का जन्म कराची में हुआ था। बरेली के छिपी टोला में रहने वाले उनके रईस मियां ने पाकिस्तान जाकर शहला से निकाह किया था। भारत लौटने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए दौड़भाग शुरू कर दी। करीब 32 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार गृह मंत्रालय ने उन्हें भारत की नागरिकता देने पर मंजूरी की मुहर लगा दी। इन दोनों ही महिलाओं को सोमवार को कलक्ट्रेट बुलाकर एडीएम सिटी महेंद्र कुमार ने नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र सौंप दिए।
लांग टर्म वीजा से मिला छुटकारा, राशनकार्ड-वोटरकार्ड भी बनेगा
इंडिया में शादी के बाद वर्षों तक बगैर नागरिकता के ही रह रहीं दोनों ही पाकिस्तानी मूल की दोनों ही महिलाओं को लांग टर्म वीजा से छुटकारा मिल गया है। भारत की नागरिकता न होने की वजह से उनके राशन कार्ड और वोटर कार्ड भी नहीं बन सके थे। इसके अलावा सरकार की तमाम स्कीमों का भी वह चाहते हुए भी कोई फायदा नहीं उठा पा रही थीं। सिटीजन सर्टिफिकेट मिलने के बाद शहला और राना मुख्तार दोनों ने बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि वह इतनी बड़ी लड़ाई जीत चुकी हैं। उन्हें आज कितनी खुशी और सुकून मिल रहा है, जिसे यह बयां नहीं कर सकतीं।
किसी विदेशी को भारतीय नागरिकता देने के लिए लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए आवेदक को दोनों देशों के बीच तमाम तरह की सूचनाएं और कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद सोमवार को दोनों ही महिलाओं को भारतीय नागरिकता के प्रमाणपत्र दे दिए गए हैं। - महेंद्र कुमार, एडीएम सिटी