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Bijnor News: जंगल में भालू, आबादी के पास गुलदार और बाघ की रही चर्चा
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अलविदा-2025
-पूरे साल गुलदार के साथ मशक्कत करता रहा वन विभाग
नंबर गेम
-01 बाघिन अमानगढ़ से निकलर दस किमी दूर तक आई
-06 लोग वर्ष 2025 में गुलदार के हमलों में मारे गए
-35 गुलदार पूरे वर्ष में पिंजरों में फंसे
संवाद न्यूज एजेंसी
बिजनौर। पिछले तीन साल से गुलदार का आतंक इस साल भी बरकरार रहा। पूरे साल गुलदार के हमले होते रहे। आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे साल में गुलदार के हमलों में छह लोगों की मौत हुई तो 20 लोग घायल हो गए। वहीं एक बाघ और 35 गुलदार को वन विभाग ने आबादी क्षेत्रों के पास से पकड़ा। वहीं अमानगढ़ में इस बार कई बार भालू दिखाई दिया।
इस साल के शुरुआत में वन विभाग ने जहां गुलदार नियंत्रण के लिए तमाम अभियान चलाने के दावे किए। वहीं राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाने का दावा किया। इन सभी दावों के बावजूद गुलदार की समस्या जस की तस रही। अफजलगढ़, नगीना तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आई। हालांकि तुलनात्मक रूप से वन्य जीवों के हमले में मौत का आंकड़ा थोड़ा घटा। वर्ष 2024 में जहां गुलदार के हमलों में आठ लोगों की जान गई थी। वहीं इस साल छह लोगों ने जान गवाई। मरने वाले गुलदारों की संख्या इस साल ज्यादा रही। पूरे साल में 28 गुलदार मृत मिले, जो किसी हादसे या बीमारी के कारण मारे गए। वहीं एक बाघ का शव भी वन विभाग को मिला।
नहीं निकला समाधान, चुनौती रहेगा गुलदार
इस समय गन्ने के खेतों में गुलदार की वह पीढ़ी तैयार हो चुकी है, जो गन्ने के खेतों में ही पैदा हुई। आंकड़ों पर नजर डालें तो जो गुलदार पकड़े गए, उनमें से अधिकांश की उम्र पांच साल से कम ही थी। वहीं इनकी संख्या गन्ने के खेतों में 700 से ज्यादा होने का अनुमान भी जताया गया।
बदले व्यवहार पर भी रही चर्चा, मुर्गा सबसे ज्यादा कामयाब
गुलदार के बदले व्यवहार पर भी पूरे साल चर्चा होती रही। जहां गुलदार का वजन औसत से ज्यादा बढ़ने के मामले देखे गए। वहीं पिंजरों मे बकरी या कुत्ता बांधने से गुलदार नहीं आए। उसके स्थान पर जैसे ही मुर्गे बंद किए गए, गुलदार पकड़े गए। पूरे साल में 20 से ज्यादा गुलदार वन विभाग ने मुर्गों की मदद से ही पकड़े।
नवंबर माह में बाघिन के बाहर आने से थी दहशत
अफजलगढ़ क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर राजौरी व आसपास के क्षेत्र में एक बाघिन दिखाई दे रही थी। यह अमानगढ़ से बाहर आ गई थी। 15 नवंबर को इस बाघिन को ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ लिया गया। जब इसकी जांच की गई थी पता चला कि इसने शिकार करना ही नहीं सीखा था। यह खेतों में घूमने वाले मवेशियों को खाने के लिए जंगल से बाहर आई थी। उसकी उम्र तीन साल और वजन दो क्विंटल था।
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गुलदार की समस्या से निपटने के लिए पिंजरों की संख्या बढ़ाई गई है। पूरे जिले में 150 से ज्यादा पिंजरें लगाए गए हैं। वहीं लोगों से भी सतर्क रहने को कहा गया है।
-ज्ञान सिंह, एसडीओ बिजनौर
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-पूरे साल गुलदार के साथ मशक्कत करता रहा वन विभाग
नंबर गेम
-01 बाघिन अमानगढ़ से निकलर दस किमी दूर तक आई
-06 लोग वर्ष 2025 में गुलदार के हमलों में मारे गए
-35 गुलदार पूरे वर्ष में पिंजरों में फंसे
संवाद न्यूज एजेंसी
बिजनौर। पिछले तीन साल से गुलदार का आतंक इस साल भी बरकरार रहा। पूरे साल गुलदार के हमले होते रहे। आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे साल में गुलदार के हमलों में छह लोगों की मौत हुई तो 20 लोग घायल हो गए। वहीं एक बाघ और 35 गुलदार को वन विभाग ने आबादी क्षेत्रों के पास से पकड़ा। वहीं अमानगढ़ में इस बार कई बार भालू दिखाई दिया।
इस साल के शुरुआत में वन विभाग ने जहां गुलदार नियंत्रण के लिए तमाम अभियान चलाने के दावे किए। वहीं राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाने का दावा किया। इन सभी दावों के बावजूद गुलदार की समस्या जस की तस रही। अफजलगढ़, नगीना तहसील सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आई। हालांकि तुलनात्मक रूप से वन्य जीवों के हमले में मौत का आंकड़ा थोड़ा घटा। वर्ष 2024 में जहां गुलदार के हमलों में आठ लोगों की जान गई थी। वहीं इस साल छह लोगों ने जान गवाई। मरने वाले गुलदारों की संख्या इस साल ज्यादा रही। पूरे साल में 28 गुलदार मृत मिले, जो किसी हादसे या बीमारी के कारण मारे गए। वहीं एक बाघ का शव भी वन विभाग को मिला।
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नहीं निकला समाधान, चुनौती रहेगा गुलदार
इस समय गन्ने के खेतों में गुलदार की वह पीढ़ी तैयार हो चुकी है, जो गन्ने के खेतों में ही पैदा हुई। आंकड़ों पर नजर डालें तो जो गुलदार पकड़े गए, उनमें से अधिकांश की उम्र पांच साल से कम ही थी। वहीं इनकी संख्या गन्ने के खेतों में 700 से ज्यादा होने का अनुमान भी जताया गया।
बदले व्यवहार पर भी रही चर्चा, मुर्गा सबसे ज्यादा कामयाब
गुलदार के बदले व्यवहार पर भी पूरे साल चर्चा होती रही। जहां गुलदार का वजन औसत से ज्यादा बढ़ने के मामले देखे गए। वहीं पिंजरों मे बकरी या कुत्ता बांधने से गुलदार नहीं आए। उसके स्थान पर जैसे ही मुर्गे बंद किए गए, गुलदार पकड़े गए। पूरे साल में 20 से ज्यादा गुलदार वन विभाग ने मुर्गों की मदद से ही पकड़े।
नवंबर माह में बाघिन के बाहर आने से थी दहशत
अफजलगढ़ क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर राजौरी व आसपास के क्षेत्र में एक बाघिन दिखाई दे रही थी। यह अमानगढ़ से बाहर आ गई थी। 15 नवंबर को इस बाघिन को ट्रैंक्युलाइज कर पकड़ लिया गया। जब इसकी जांच की गई थी पता चला कि इसने शिकार करना ही नहीं सीखा था। यह खेतों में घूमने वाले मवेशियों को खाने के लिए जंगल से बाहर आई थी। उसकी उम्र तीन साल और वजन दो क्विंटल था।
गुलदार की समस्या से निपटने के लिए पिंजरों की संख्या बढ़ाई गई है। पूरे जिले में 150 से ज्यादा पिंजरें लगाए गए हैं। वहीं लोगों से भी सतर्क रहने को कहा गया है।
-ज्ञान सिंह, एसडीओ बिजनौर
