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Budaun News: खरीदी जाएगी डेंटल एक्स-रे मशीन, डिजिटल होगी पूरी प्रक्रिया
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बदायूं। जिला अस्पताल में दांतों का इलाज कराने आने वालों के लिए राहत भरी खबर है। खुशखबरी यह है कि शासन ने डेंटल एक्स-रे मशीन की खरीद की स्वीकृति दे दी है। इससे अब मरीजों को दांतों के एक्स-रे के लिए निजी क्लीनिकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। मशीन लग जाने के बाद दांतों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को काफी सहूलियत होगी। इलाज की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलेस हो जाएगी।
अस्पताल में अब तक वर्षों पुरानी एक्स-रे मशीन से ही जांच की जा रही थी। पुराने मॉडल की यह मशीन तकनीकी रूप से पिछड़ी और कमजोर फिल्म आधारित थी। इसके चलते दांतों और जबड़ों की हड्डियों की स्थिति तस्वीरों में साफ नहीं आती थी। डॉक्टरों को संक्रमण, दांतों की दरार या जड़ों की समस्या का सही अनुमान लगाने में कठिनाई होती थी।
यही कारण था कि कई बार मरीजों को बाहर से एक्स-रे करवाना पड़ता था। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, नई मशीन के साथ आरवीजी (रेडियो विसिओ ग्राफी) और डेस्कटॉप सिस्टम भी लगाया जाएगा। इससे एक्स-रे की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस हो जाएगी। डॉक्टरों को मरीज की दंत संरचना की उच्च गुणवत्ता वाली छवियां तुरंत मिल सकेंगी। इससे सटीक निदान के साथ ही इलाज की प्रक्रिया भी तेज होगी।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आधुनिक एक्स-रे मशीन की मदद से मरीजों को अब न तो ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा और न ही रिपोर्ट के लिए बार-बार अस्पताल आना पड़ेगा। डिजिटल रिपोर्ट को भविष्य में मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड के रूप में भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।
हर महीने 30 से 35 मरीजों के होते हैं एक्स-रे
फिलहाल जिला अस्पताल के दंत विभाग में रोजाना औसतन 70 से 80 मरीज पहुंचते हैं। इनमें से करीब 30 से 35 मरीजों को एक्स-रे की आवश्यकता होती है। नई मशीन लगने के बाद विभाग की क्षमता बढ़ेगी और एक्स-रे की संख्या में भी इजाफा होगा। विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि नई तकनीक से समय की बचत होगी और मरीजों को तत्काल इलाज मिल सकेगा।
मजबूरी में निजी क्लीनिकों से कराना पड़ता था एक्स-रे
पुराने उपकरणों के कारण कई बार मरीजों को निजी क्लीनिकों या बाहर की लैब में एक्स-रे कराना पड़ता था। इससे मरीजों का समय, पैसा और असुविधा अलग से झेलनी पड़ती थी। कई गरीब मरीज तो खर्चे के कारण एक्स-रे ही नहीं करा पाते थे, जिससे उनका इलाज अधूरा रह जाता था। नई मशीन लगने से अब यह परेशानी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
बीमारी की सटीक पहचान होगी संभव
दंत चिकित्सक डॉ. संदीप सिंघल ने बताया कि नई मशीन मिलने से जांच में काफी सुविधा होगी। सटीक और स्पष्ट एक्स-रे रिपोर्ट मिलने से दांतों की दरार, अंदरूनी संक्रमण, मसूड़ों की बीमारी और अन्य जटिलताओं की पहचान करना आसान होगा। उन्होंने कहा कि पुराने एक्स-रे में कई बार हल्की दरारें दिखाई नहीं देती थीं, जिससे इलाज लंबा खिंच जाता था।
अब तक अस्पताल में पुरानी दंत एक्स-रे मशीन से ही एक्स-रे किए जा रहे हैं। इसको लेकर डिजिटल मशीन की डिमांड शासन को भेजी गई थी। अब मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही नई मशीन आ जाएगी। इससे इलाज में काफी सहूलियत होगी। - डॉ. अमित वार्ष्णेय, सीएमएस
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अस्पताल में अब तक वर्षों पुरानी एक्स-रे मशीन से ही जांच की जा रही थी। पुराने मॉडल की यह मशीन तकनीकी रूप से पिछड़ी और कमजोर फिल्म आधारित थी। इसके चलते दांतों और जबड़ों की हड्डियों की स्थिति तस्वीरों में साफ नहीं आती थी। डॉक्टरों को संक्रमण, दांतों की दरार या जड़ों की समस्या का सही अनुमान लगाने में कठिनाई होती थी।
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यही कारण था कि कई बार मरीजों को बाहर से एक्स-रे करवाना पड़ता था। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, नई मशीन के साथ आरवीजी (रेडियो विसिओ ग्राफी) और डेस्कटॉप सिस्टम भी लगाया जाएगा। इससे एक्स-रे की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस हो जाएगी। डॉक्टरों को मरीज की दंत संरचना की उच्च गुणवत्ता वाली छवियां तुरंत मिल सकेंगी। इससे सटीक निदान के साथ ही इलाज की प्रक्रिया भी तेज होगी।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आधुनिक एक्स-रे मशीन की मदद से मरीजों को अब न तो ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा और न ही रिपोर्ट के लिए बार-बार अस्पताल आना पड़ेगा। डिजिटल रिपोर्ट को भविष्य में मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड के रूप में भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।
हर महीने 30 से 35 मरीजों के होते हैं एक्स-रे
फिलहाल जिला अस्पताल के दंत विभाग में रोजाना औसतन 70 से 80 मरीज पहुंचते हैं। इनमें से करीब 30 से 35 मरीजों को एक्स-रे की आवश्यकता होती है। नई मशीन लगने के बाद विभाग की क्षमता बढ़ेगी और एक्स-रे की संख्या में भी इजाफा होगा। विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि नई तकनीक से समय की बचत होगी और मरीजों को तत्काल इलाज मिल सकेगा।
मजबूरी में निजी क्लीनिकों से कराना पड़ता था एक्स-रे
पुराने उपकरणों के कारण कई बार मरीजों को निजी क्लीनिकों या बाहर की लैब में एक्स-रे कराना पड़ता था। इससे मरीजों का समय, पैसा और असुविधा अलग से झेलनी पड़ती थी। कई गरीब मरीज तो खर्चे के कारण एक्स-रे ही नहीं करा पाते थे, जिससे उनका इलाज अधूरा रह जाता था। नई मशीन लगने से अब यह परेशानी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
बीमारी की सटीक पहचान होगी संभव
दंत चिकित्सक डॉ. संदीप सिंघल ने बताया कि नई मशीन मिलने से जांच में काफी सुविधा होगी। सटीक और स्पष्ट एक्स-रे रिपोर्ट मिलने से दांतों की दरार, अंदरूनी संक्रमण, मसूड़ों की बीमारी और अन्य जटिलताओं की पहचान करना आसान होगा। उन्होंने कहा कि पुराने एक्स-रे में कई बार हल्की दरारें दिखाई नहीं देती थीं, जिससे इलाज लंबा खिंच जाता था।
अब तक अस्पताल में पुरानी दंत एक्स-रे मशीन से ही एक्स-रे किए जा रहे हैं। इसको लेकर डिजिटल मशीन की डिमांड शासन को भेजी गई थी। अब मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही नई मशीन आ जाएगी। इससे इलाज में काफी सहूलियत होगी। - डॉ. अमित वार्ष्णेय, सीएमएस