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Budaun News: ग्रामीण क्षेत्रों में जल सखी जांचेंगी पानी की सेहत
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बदायूं। अब जिले के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की गुणवत्ता की जांच और भी आसान हो जाएगी। जल निगम ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में पांच-पांच प्रशिक्षित जल सखियों को तैनात करने का निर्णय लिया है। जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में जल सखियों की तैनाती पूरी कर ली गई है। इनके माध्यम से महिलाओं को अपने ही गांव में रोजगार मिलने लगा है।
जल निगम की ओर से इन जल सखियों को विशेष तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से पानी की जांच कर सकें। इसके लिए उन्हें अत्याधुनिक पेयजल टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई गई है, जिसके माध्यम से एक जल सखी 100 से अधिक नमूनों की जांच कर सकती है।
किट से घरों में इस्तेमाल होने वाले नल के पानी, हैंडपंपों, सबमर्सिबल, टंकियों और अन्य जल स्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण गांव के अंदर ही संभव होगा। जल सखियों की रिपोर्ट न केवल विभाग को भेजी जाएगी, बल्कि उसे ग्रामीणों के साथ भी साझा किया जाएगा ताकि लोग जागरूक रहें और संदिग्ध पानी का सेवन करने से बच सकें। पानी में किसी प्रकार की अशुद्धि, बदबू, प्रदूषण या रंग परिवर्तन मिलने पर जल सखी तुरंत संबंधित विभाग को सूचना देंगी, ताकि समय रहते स्रोतों की मरम्मत या सफाई कराई जा सके।
विभाग के अनुसार अब महिलाओं को इससे रोजगार भी मिलने लगा है। जल सखी के रूप में कार्यरत महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहीं हैंं। जल सखी रामवती, मीना देवी का कहना है कि यह पहल उन्हें समाज में आगे बढ़ने और अपनी क्षमता साबित करने का मौका दे रही है। कई गांवों में जल सखी बनने के बाद महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और वे निर्णय प्रक्रिया में भी अधिक सक्रिय हो रही हैं।
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जल निगम की ओर से इन जल सखियों को विशेष तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से पानी की जांच कर सकें। इसके लिए उन्हें अत्याधुनिक पेयजल टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई गई है, जिसके माध्यम से एक जल सखी 100 से अधिक नमूनों की जांच कर सकती है।
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किट से घरों में इस्तेमाल होने वाले नल के पानी, हैंडपंपों, सबमर्सिबल, टंकियों और अन्य जल स्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण गांव के अंदर ही संभव होगा। जल सखियों की रिपोर्ट न केवल विभाग को भेजी जाएगी, बल्कि उसे ग्रामीणों के साथ भी साझा किया जाएगा ताकि लोग जागरूक रहें और संदिग्ध पानी का सेवन करने से बच सकें। पानी में किसी प्रकार की अशुद्धि, बदबू, प्रदूषण या रंग परिवर्तन मिलने पर जल सखी तुरंत संबंधित विभाग को सूचना देंगी, ताकि समय रहते स्रोतों की मरम्मत या सफाई कराई जा सके।
विभाग के अनुसार अब महिलाओं को इससे रोजगार भी मिलने लगा है। जल सखी के रूप में कार्यरत महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहीं हैंं। जल सखी रामवती, मीना देवी का कहना है कि यह पहल उन्हें समाज में आगे बढ़ने और अपनी क्षमता साबित करने का मौका दे रही है। कई गांवों में जल सखी बनने के बाद महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और वे निर्णय प्रक्रिया में भी अधिक सक्रिय हो रही हैं।