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Bulandshahar News: तापमान बढ़ने से धान की फसल पर मंडराया खतरा
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जहांगीराबाद। पिछले एक सप्ताह से लगातार तेज धूप और बढ़ते तापमान ने धान की फसल पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है। खेतों में धान के पौधों पर तना छेदक, फांस कट और झुलसा जैसे रोग लगने लगे हैं। इससे किसानों की धान की पैदावार पर संकट गहराता नजर आ रहा है।
इस साल अच्छी बारिश के बाद किसानों को भरपूर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन लगातार गर्मी और तेज धूप ने धान की फसल की जड़ों व तनों को कमजोर कर दिया है। खेतों में पानी भरा रहने और मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण धान की बालियां भी रोगग्रस्त होने लगी हैं। अभी तक फसल में लगभग 10 से 15 प्रतिशत बालियां ही स्वस्थ बताई जा रही हैं। कृषि विशेषज्ञ डॉ. राज सिंह और संजय अग्रवाल ने बताया कि अधिक तापमान और आर्द्रता के चलते फसलों में कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। रासायनिक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से भी फसलों को नुकसान होता है।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि धान की फसल को बचाने के लिए नीम की पत्तियां, प्याज, लहसुन और मिर्च जैसे प्राकृतिक उपाय कारगर हो सकते हैं। इनमें पाए जाने वाले जैविक गुण फसलों को कीट और रोगों से बचाने में सहायक होते हैं। जहांगीराबाद क्षेत्र में धान की प्रमुख खेती होती है। इस बार भी हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है, जहां किसान अब मौसम की मार और रोगों से परेशान हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि यदि समय रहते प्राकृतिक तरीके अपनाए जाएं तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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इस साल अच्छी बारिश के बाद किसानों को भरपूर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन लगातार गर्मी और तेज धूप ने धान की फसल की जड़ों व तनों को कमजोर कर दिया है। खेतों में पानी भरा रहने और मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण धान की बालियां भी रोगग्रस्त होने लगी हैं। अभी तक फसल में लगभग 10 से 15 प्रतिशत बालियां ही स्वस्थ बताई जा रही हैं। कृषि विशेषज्ञ डॉ. राज सिंह और संजय अग्रवाल ने बताया कि अधिक तापमान और आर्द्रता के चलते फसलों में कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। रासायनिक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से भी फसलों को नुकसान होता है।
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उन्होंने किसानों को सलाह दी कि धान की फसल को बचाने के लिए नीम की पत्तियां, प्याज, लहसुन और मिर्च जैसे प्राकृतिक उपाय कारगर हो सकते हैं। इनमें पाए जाने वाले जैविक गुण फसलों को कीट और रोगों से बचाने में सहायक होते हैं। जहांगीराबाद क्षेत्र में धान की प्रमुख खेती होती है। इस बार भी हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जा रही है, जहां किसान अब मौसम की मार और रोगों से परेशान हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि यदि समय रहते प्राकृतिक तरीके अपनाए जाएं तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।