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तुलसी विवाह संग लगन शुरू
चंदौली ब्यूरो, अमर उजाला
Updated Sat, 12 Nov 2016 01:35 AM IST
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ग स्नान करते श्रद्धालु।
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देवोत्थान एकादशी का पर्व शुक्रवार को नगर सहित पूरे जिले में धूमधाम से मनाया गया। गंगा स्नान के बाद शाम को तुलसी और भगवान शालिग्राम (विष्णु) का विवाह रीति रिवाज के साथ कराया गया और आरती उतारी गई। इसके बाद लोगों ने प्रसाद के रूप में नए गन्ने का स्वाद चखा। लोगों ने नए गुड़, कंद, आंवला आदि का स्वाद चखा। व्रत के मद्देनजर बाजार में अत्यधिक चहल पहल रही। जगह जगह गन्ने की दूकानें सजीं और फल फूल की दुकानों पर खरीदारी हुई।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के बारे में मान्यता है कि चार माह के शयन के बाद आज के दिन भगवान विष्णु जागते हैं और इसके साथ ही शुभ लगन शुरू होते हैं। हालांकि तिथियों की हेरफेर की वजह से इस वर्ष गुरुवार को भी देवोत्थान एकादशी मनायी गई लेकिन तुलसी विवाह शुक्रवार को होने की वजह से अधिकतर लोगों ने आज व्रत रखा। दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान से विवाह रचाया गया। इसके लिए गन्ने का मंडप तैयार किया गया और शृंगार वस्तुओं से तुलसी के पौधे को सजाया गया। सिंघाड़ा, अमरूद, कंद, नए गुड़ आदि का भोग लगाया गया और इसके बाद आरती उतारी गई। इसके बाद लोगों ने नए गन्ने का स्वाद चखा। दिन भर घरों मे भक्ति का माहौल रहा।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के बारे में मान्यता है कि चार माह के शयन के बाद आज के दिन भगवान विष्णु जागते हैं और इसके साथ ही शुभ लगन शुरू होते हैं। हालांकि तिथियों की हेरफेर की वजह से इस वर्ष गुरुवार को भी देवोत्थान एकादशी मनायी गई लेकिन तुलसी विवाह शुक्रवार को होने की वजह से अधिकतर लोगों ने आज व्रत रखा। दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान से विवाह रचाया गया। इसके लिए गन्ने का मंडप तैयार किया गया और शृंगार वस्तुओं से तुलसी के पौधे को सजाया गया। सिंघाड़ा, अमरूद, कंद, नए गुड़ आदि का भोग लगाया गया और इसके बाद आरती उतारी गई। इसके बाद लोगों ने नए गन्ने का स्वाद चखा। दिन भर घरों मे भक्ति का माहौल रहा।
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