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Chitrakoot News: 42 हजार बैंक खातों में 15 करोड़ डंप, वारिस का पता नहीं
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- म्युचुअल, पेंशन फंड, जनरल, लाइफ इंश्योरेंस, बीमा कंपनी में भी कुछ ऐसा ही हाल
- बैंकों में लावारिस पड़ी रकम डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में जमा
संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट (बांदा)। जिले में विभिन्न बैंकों के खातों में करीब 15 करोड़ से ज्यादा रकम लावारिस पड़ी है। इतनी ही रकम म्युचुअल फंड, जनरल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन फंड व बीमा कंपनियों में भी हैं लेकिन रकम लेने के लिए कोई नहीं आया। यह रकम बैंकों ने आरबीआई के डीईए (डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस) फंड में जमा करा दी।
रकम वापसी के लिए बैंकों के लावारिस खाताधारकों की पहचान हो रही है। पर ज्यादातर खाताधारक ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। इसके पीछे जिम्मेदारों का मानना है कि या तो खाताधारक की मृत्यु हो गई, या फिर वो रोजगार, नौकरी के चलते किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट हो गए हैं। अथवा वो रकम जमा करने के बाद भूल गए हैं।
आधुनिक युग में बैंकिंग सुविधाएं हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गई हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने आर्थिक कार्यों, धन संग्रह और वित्तीय योजनाओं के लिए बैंकिंग सेवाओं की आवश्यकता होती है। इसके लिए लोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए बैंकों में खाता खोलते हैं। पर आरबीआई का नियम यह है कि अगर किसी भी ग्राहक द्वारा खाता में लगातार दो वर्ष या उससे अधिक अवधि तक कोई वित्तीय लेन-देन नहीं किया गया है तो उसे निष्क्रिय खाता घोषित कर दिया जाता है।
चित्रकूट में भी विभिन्न बैंकों में बहुतायत की संख्या में खाताधारकों के खाते निष्क्रिय पाए गए। निक्रिष्य खातों में असली वारिसों की पहचान को केंद्र सरकार वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) ने आपकी पूंजी-आपका अधिकार अभियान की शुरूआत की थी।
जिले में भी अक्तूबर माह में अभियान चलाकर एलडीएम के पर्यवेक्षण में विकास भवन में कैंप आयोजित हुए। अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) अनुराग शर्मा के अनुसार अभियान में जिले की विभिन्न बैंकों में 42 हजार खाताधारकों के खाते निक्रिष्य मिले। इन खातों में करीब 15 करोड़ रुपये लावारिस पड़ी है।
इतनी ही धनराशि म्युचुअल फंड, जनरल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन फंड, बीमा में भी है। पर इसे लेने को कोई बैंक नहीं आया है। 10 वर्ष से इन खातों में लेनदेन बंद है। ऐसे में इन खातों के असली वारिसों की तलाश जारी है। कर्मचारियों को ग्राहकों के पते पर भी भेजा जा रहा है। अधिकतर लोग संबंधित पतों पर नहीं मिल रहे। इससे लावारिस धनराशि असली उत्तराधिकारी तक पहुंचाने में दिक्कत आ रही है।
31 दिसंबर तक चलेगा दावों के निपटान का अभियान
एलडीएम ने बताया कि इस राशि के दावों के निपटान के लिए आरबीआई के निर्देश पर 31 दिसंबर तक यह अभियान चलेगा। बैंक/अन्य वित्तीय संस्थान अपने स्तर से भी प्राप्त सूची के आधार पर अनक्लेम्ड राशि के वारिसों की तलाश कर रहे हैं। परिवार की बुनियादी जानकारी दर्ज कर विभिन्न बैंकों में लावारिस धनराशि तलाश सकते हैं। कोई मिलान होता है, तो जरूरी दस्तावेज संग संबंधित बैंक की शाखा में दावा कर सकते हैं।
बैंकों खातों में जमा है 38 करोड़ की लावारिस संपत्ति
बांदा। 23 विभिन्न बैंक शाखाओं में सवा लाख से अधिक खातों में 38.63 करोड़ डंप है। बैंक आपकी पूंजी, आपका अधिकार जागरूकता शिविर आयोजित कर रहा है। ताकि लावारिस संपत्ति के खातेदार अथवा असली दावेदार इसे प्राप्त करने के लिए कागजी खानापूर्ति कर सकें अन्यथा यह लावारिस संपत्ति सरकार के अधीन हो जाएगी।
वर्जन
बैंकों में तमाम ऐसे खाते है जिनमें वर्षों से लेनदेन नहीं हुआ है और उनमें पैसा जमा है। कई लॉकर भी है जिन्हें वर्षों से न खोला गया है और न ही उनका किराया जमा हुआ है। जिले में 115420 खातों में 38.63 लाख की संपत्ति जमा है। जिनका कोई वारिस नहीं है। सरकार ने ऐसी संपत्तियों के खाता धारक व वारिसों को एक मौका दिया है कि वह संपत्ति के लिए केवाईसी कराकर दावा कर सकते हैं।-रविशंकर, एलडीएम, अग्रणी बैंक प्रबंधन
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- बैंकों में लावारिस पड़ी रकम डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में जमा
संवाद न्यूज एजेंसी
चित्रकूट (बांदा)। जिले में विभिन्न बैंकों के खातों में करीब 15 करोड़ से ज्यादा रकम लावारिस पड़ी है। इतनी ही रकम म्युचुअल फंड, जनरल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन फंड व बीमा कंपनियों में भी हैं लेकिन रकम लेने के लिए कोई नहीं आया। यह रकम बैंकों ने आरबीआई के डीईए (डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस) फंड में जमा करा दी।
रकम वापसी के लिए बैंकों के लावारिस खाताधारकों की पहचान हो रही है। पर ज्यादातर खाताधारक ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। इसके पीछे जिम्मेदारों का मानना है कि या तो खाताधारक की मृत्यु हो गई, या फिर वो रोजगार, नौकरी के चलते किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट हो गए हैं। अथवा वो रकम जमा करने के बाद भूल गए हैं।
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आधुनिक युग में बैंकिंग सुविधाएं हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गई हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने आर्थिक कार्यों, धन संग्रह और वित्तीय योजनाओं के लिए बैंकिंग सेवाओं की आवश्यकता होती है। इसके लिए लोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए बैंकों में खाता खोलते हैं। पर आरबीआई का नियम यह है कि अगर किसी भी ग्राहक द्वारा खाता में लगातार दो वर्ष या उससे अधिक अवधि तक कोई वित्तीय लेन-देन नहीं किया गया है तो उसे निष्क्रिय खाता घोषित कर दिया जाता है।
चित्रकूट में भी विभिन्न बैंकों में बहुतायत की संख्या में खाताधारकों के खाते निष्क्रिय पाए गए। निक्रिष्य खातों में असली वारिसों की पहचान को केंद्र सरकार वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) ने आपकी पूंजी-आपका अधिकार अभियान की शुरूआत की थी।
जिले में भी अक्तूबर माह में अभियान चलाकर एलडीएम के पर्यवेक्षण में विकास भवन में कैंप आयोजित हुए। अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) अनुराग शर्मा के अनुसार अभियान में जिले की विभिन्न बैंकों में 42 हजार खाताधारकों के खाते निक्रिष्य मिले। इन खातों में करीब 15 करोड़ रुपये लावारिस पड़ी है।
इतनी ही धनराशि म्युचुअल फंड, जनरल इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन फंड, बीमा में भी है। पर इसे लेने को कोई बैंक नहीं आया है। 10 वर्ष से इन खातों में लेनदेन बंद है। ऐसे में इन खातों के असली वारिसों की तलाश जारी है। कर्मचारियों को ग्राहकों के पते पर भी भेजा जा रहा है। अधिकतर लोग संबंधित पतों पर नहीं मिल रहे। इससे लावारिस धनराशि असली उत्तराधिकारी तक पहुंचाने में दिक्कत आ रही है।
31 दिसंबर तक चलेगा दावों के निपटान का अभियान
एलडीएम ने बताया कि इस राशि के दावों के निपटान के लिए आरबीआई के निर्देश पर 31 दिसंबर तक यह अभियान चलेगा। बैंक/अन्य वित्तीय संस्थान अपने स्तर से भी प्राप्त सूची के आधार पर अनक्लेम्ड राशि के वारिसों की तलाश कर रहे हैं। परिवार की बुनियादी जानकारी दर्ज कर विभिन्न बैंकों में लावारिस धनराशि तलाश सकते हैं। कोई मिलान होता है, तो जरूरी दस्तावेज संग संबंधित बैंक की शाखा में दावा कर सकते हैं।
बैंकों खातों में जमा है 38 करोड़ की लावारिस संपत्ति
बांदा। 23 विभिन्न बैंक शाखाओं में सवा लाख से अधिक खातों में 38.63 करोड़ डंप है। बैंक आपकी पूंजी, आपका अधिकार जागरूकता शिविर आयोजित कर रहा है। ताकि लावारिस संपत्ति के खातेदार अथवा असली दावेदार इसे प्राप्त करने के लिए कागजी खानापूर्ति कर सकें अन्यथा यह लावारिस संपत्ति सरकार के अधीन हो जाएगी।
वर्जन
बैंकों में तमाम ऐसे खाते है जिनमें वर्षों से लेनदेन नहीं हुआ है और उनमें पैसा जमा है। कई लॉकर भी है जिन्हें वर्षों से न खोला गया है और न ही उनका किराया जमा हुआ है। जिले में 115420 खातों में 38.63 लाख की संपत्ति जमा है। जिनका कोई वारिस नहीं है। सरकार ने ऐसी संपत्तियों के खाता धारक व वारिसों को एक मौका दिया है कि वह संपत्ति के लिए केवाईसी कराकर दावा कर सकते हैं।-रविशंकर, एलडीएम, अग्रणी बैंक प्रबंधन