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Chitrakoot News: मराठा स्थापत्य कला की अनूठी निशानी खोता गणेशबाग
संवाद न्यूज एजेंसी, चित्रकूट
Updated Fri, 21 Nov 2025 12:43 AM IST
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चित्रकूट। धार्मिक एवं पौराणिक तीर्थ नगरी आध्यात्मिक विरासत समेटे है। इसकी ख्याति देश-विदेश तक है। यह धरती भगवान श्रीराम की तपोस्थली भी है। यहां पर कई अनमोल धरोहरें हैं, जो वक्त के साथ गुमनामी की ओर बढ़ रही हैं। इन्हीं में एक है शहर का गणेश बाग। यह स्थल मराठा स्थापत्य कला की अनूठी निशानी है, जिसे लोग मिनी खजुराहो के नाम से भी जानते हैं। इसे देखने को पर्यटक आते हैं। मंदिरों की शिल्पकला व बावली को देख आश्चर्यचकित रह जाते हैं। अनदेखी से यह बहुमूल्य धरोहर खंडहर में तब्दील हो रही है।
19वीं सदी में मराठा शासक विनायक राव पेशवा ने गणेश बाग को बनवाया था। वह महान योद्धा राजा बाजीराव के वंशज थे। जानकारों की के अनुसार यह स्थल पहले धार्मिक उपासना का केंद्र था साथ ही इसे जनता के विश्राम और राजपरिवार के मनोरंजन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया था। शासक पहले यहां अपने मेहमानों को ठहराकर उनका इस रमणीय स्थल पर स्वागत भी करते थे। इस मंदिर में एक लघु गर्भगृह व संयुक्त आयताकार मंडप निर्मित है।
यहां पर तालाब भी है और पास ही में बावली बनी है, जहां पर आज भी पानी भरा है। मंदिर की नक्काशी में गणेश जी की अनेक मुद्राएं उकेरी गई हैं, जिनमें महाराष्ट्र की पारंपरिक शिल्पकला की गूंज सुनाई देती है। इन मूर्तियों में श्रद्धा और कला का अद्भुत सामंजस्य है। समाजसेवी आलोक द्विवेदी बताते है कि राजा विनायक राव पेशवा यहां पर अपना दरबार लगाते थे। भजन कीर्तन का भी आयोजन होता था। ऐसा उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है।
व्यापारी नेता शानू गुप्ता कहना कि यह स्थान खजुराहो स्थल से कम नहीं है। इसे मिनी खजुराहो के नाम से जाना जाता है। यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। पर्यटक पूनम दीक्षित, सरिता देवी ने बताया कि पुराने समय में जो निर्माण कराया गया है। जब कभी विकास हो तो कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
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दीवार और चबूतरे टूटे
चित्रकूट। गणेश बाग में बनी दीवार कई स्थानों पर टूट गई हैं। बावली का भी यही हाल है। बावली का पानी भी गंदा हो गया है। मंदिर परिसर में बने चबूतरे का भी यही हाल है। चारदीवारी भी कई स्थानों पर टूट गई है। उसके स्थान में कटीले तार लगा दिए गए हैं।
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पिछले साल 20 लाख की लागत से गणेश बाग का सौंदर्यीकरण कराया गया है। टूटी जाली बदली गई है। जलहारी बदली गई है। दरवाजे लगाए गए है। साथ ही अन्य कार्य भी कराए गए हैं। गणेशबाग की देखभाल के लिए सात कर्मचारियों की तैनाती हैं।
- तारक सिंह, वरिष्ठ संरक्षक सहायक पुरातत्व विभाग
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19वीं सदी में मराठा शासक विनायक राव पेशवा ने गणेश बाग को बनवाया था। वह महान योद्धा राजा बाजीराव के वंशज थे। जानकारों की के अनुसार यह स्थल पहले धार्मिक उपासना का केंद्र था साथ ही इसे जनता के विश्राम और राजपरिवार के मनोरंजन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया था। शासक पहले यहां अपने मेहमानों को ठहराकर उनका इस रमणीय स्थल पर स्वागत भी करते थे। इस मंदिर में एक लघु गर्भगृह व संयुक्त आयताकार मंडप निर्मित है।
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यहां पर तालाब भी है और पास ही में बावली बनी है, जहां पर आज भी पानी भरा है। मंदिर की नक्काशी में गणेश जी की अनेक मुद्राएं उकेरी गई हैं, जिनमें महाराष्ट्र की पारंपरिक शिल्पकला की गूंज सुनाई देती है। इन मूर्तियों में श्रद्धा और कला का अद्भुत सामंजस्य है। समाजसेवी आलोक द्विवेदी बताते है कि राजा विनायक राव पेशवा यहां पर अपना दरबार लगाते थे। भजन कीर्तन का भी आयोजन होता था। ऐसा उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है।
व्यापारी नेता शानू गुप्ता कहना कि यह स्थान खजुराहो स्थल से कम नहीं है। इसे मिनी खजुराहो के नाम से जाना जाता है। यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। पर्यटक पूनम दीक्षित, सरिता देवी ने बताया कि पुराने समय में जो निर्माण कराया गया है। जब कभी विकास हो तो कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
दीवार और चबूतरे टूटे
चित्रकूट। गणेश बाग में बनी दीवार कई स्थानों पर टूट गई हैं। बावली का भी यही हाल है। बावली का पानी भी गंदा हो गया है। मंदिर परिसर में बने चबूतरे का भी यही हाल है। चारदीवारी भी कई स्थानों पर टूट गई है। उसके स्थान में कटीले तार लगा दिए गए हैं।
पिछले साल 20 लाख की लागत से गणेश बाग का सौंदर्यीकरण कराया गया है। टूटी जाली बदली गई है। जलहारी बदली गई है। दरवाजे लगाए गए है। साथ ही अन्य कार्य भी कराए गए हैं। गणेशबाग की देखभाल के लिए सात कर्मचारियों की तैनाती हैं।
- तारक सिंह, वरिष्ठ संरक्षक सहायक पुरातत्व विभाग