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Chitrakoot News: महंत सत्यप्रकाश दास पर लगे दुराचार के आरोपों की फिर से होगी जांच

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Fri, 21 Nov 2025 12:39 AM IST
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The allegations of misconduct against Mahant Satyaprakash Das will be re-investigated.
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चित्रकूट। धमकी देकर विवाहिता महिला का शारीरिक शोषण करने मामले में महंत के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट की विवेचना में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेन्द्र प्रसाद भारती ने निरस्त कर दिया है। साथ ही कर्वी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को मामले की आगे की विवेचना कराने के निर्देश दिए हैं।
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सतना मप्र जिले के एक मोहल्ले की रहने वाली महिला ने बताया कि उसके पति रामघाट के पास स्थित एक आश्रम में चित्रकूट के महंत सत्यप्रकाश दास के साथ रहते थे। इसके चलते महंत के विरूद्ध पहाड़ी थाना में हत्या के प्रयास के एक मामले में उसके पति को भी सह अभियुक्त बनाया गया था। वर्ष 2016 में उसके पति महंत सत्यप्रकाश दास के साथ जेल में थे। इसके चलते मुकदमे की पैरवी के लिए वह चित्रकूट आती थी और यज्ञवेदी निर्वाणी अखाड़ा में रुकती थी। जहां महंत के भाई जय प्रकाश ने उसे एक कमरा दिला दिया था। कमरा दिलाने के बाद पति के जेल में रहने के कारण जय प्रकाश ने डरा धमकाकर उससे शारीरिक संबंध बनाया। मना करने व विरोध करने पर पति को जेल में बंद रखने और जान से मरवाने की धमकी देता था।
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इस दौरान जय प्रकाश अपने भाई महंत सत्यप्रकाश दास और अपने रिश्तेदार अरविन्द मिश्रा के साथ लगातार उसका शारीरिक शोषण करते रहे और इसकी जानकारी किसी को देने पर जान से मारने की धमकी भी देते रहे। 18 जून 2024 को तीनों आरोपियों ने यज्ञवेदी निर्वाणी अखाड़ा के कमरे से उसके पति को बाहर भेज दिया और रात में तीनों लोगों ने बिना उसकी इच्छा के जबरन शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया। विरोध करने पर मारपीट की। इस दौरान महंत ने कहा कि उनके मन मुताबिक काम न करने पर वह उसके पति व बच्चों को गायब करवा देंगे। इसके दूसरे दिन 19 जून को उसने अपने पति को पूरी घटना की जानकारी दी और उनके साथ सीतापुर चौकी जाकर शिकायती प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
पीड़िता ने बताया कि इसके बाद उसने उच्चाधिकारियों को भी अपने साथ हुए शोषण की जानकारी दी, पर सुनवाई नहीं की गई। साथ ही आरोपियों द्वारा धमकी दी गई। न्यायालय के आदेश पर कर्वी कोतवाली में जय प्रकाश पाठक, महंत सत्यप्रकाश दास व अरविन्द मिश्र के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किया गया था। जिसकी विवेचना में पुलिस ने आरोपियों के बयान लेने के बाद इस मामले में एफआर लगा दी थी, जबकि पीड़िता अपने बयान पर कायम थी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेन्द्र प्रसाद भारती ने विवेचक द्वारा की गई विवेचना को पूरी तरह दोषपूर्ण और पक्षपातपूर्ण करार देते हुए एफआर को निरस्त करने के आदेश दिए है। साथ ही मामले की दोबारा विवेचना करने के निर्देश कर्वी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक को दिए हैं।
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