{"_id":"69498dcd03558d40b40bc3f6","slug":"migratory-birds-are-now-less-visible-in-mahadeva-tal-deoria-news-c-208-1-sgkp1013-170677-2025-12-22","type":"story","status":"publish","title_hn":"Deoria News: महादेवा ताल में अब कम दिखते हैं प्रवासी पक्षी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Deoria News: महादेवा ताल में अब कम दिखते हैं प्रवासी पक्षी
संवाद न्यूज एजेंसी, देवरिया
Updated Mon, 22 Dec 2025 11:58 PM IST
विज्ञापन
बरहज के गड़ेर स्थित महादेव ताल संवाद
विज्ञापन
गड़ेर। महादेवा ताल में प्रवासी पक्षी अब कम ही दिखते हैं। हालांकि ताल का नाम राष्ट्रीय आर्द्र सूची में दर्ज होने से इसके विकास की उम्मीद जगी थी, लेकिन योजना के ठंडे बस्ते में चले जाने से ताल आज भी उपेक्षित है।
गड़ेर गांव के पश्चिम करीब 70-75 एकड़ में महादेवा ताल का विस्तार है। करीब चार-पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम अमित किशोर की देखरेख में ताल के सुंदरीकरण का कार्य शुरू कराया गया था।
जिससे लोगों में यहां पर्यटन स्थल बनने की उम्मीद जगी थी। विभाग की ओर से कुछ कार्य भी कराया गया था।
बताया जा रहा है कि ताल के किनारे पेड़-पौधे, बैठने के लिए बेंच, दूधिया प्रकाश, पर्यटकों के विहार के लिए नौका आदि का इंतजाम किया जाना था, लेकिन योजना धरी की धरी रह गई। साफ-सफाई और समुचित प्रबंध न होने से इस ताल का पानी भी प्रदूषित हो गया है।
गांव के राजेंद्र वर्मा, सुकई वर्मा, अशोक यादव, रामचन्द्र पांडेय आदि का कहना है कि यहां जाड़े में साइबेरियन पक्षी आते थे, लेकिन पानी के प्रदूषित होने से पक्षियाें की संख्या बहुत कम हो गई है।
Trending Videos
गड़ेर गांव के पश्चिम करीब 70-75 एकड़ में महादेवा ताल का विस्तार है। करीब चार-पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम अमित किशोर की देखरेख में ताल के सुंदरीकरण का कार्य शुरू कराया गया था।
विज्ञापन
विज्ञापन
जिससे लोगों में यहां पर्यटन स्थल बनने की उम्मीद जगी थी। विभाग की ओर से कुछ कार्य भी कराया गया था।
बताया जा रहा है कि ताल के किनारे पेड़-पौधे, बैठने के लिए बेंच, दूधिया प्रकाश, पर्यटकों के विहार के लिए नौका आदि का इंतजाम किया जाना था, लेकिन योजना धरी की धरी रह गई। साफ-सफाई और समुचित प्रबंध न होने से इस ताल का पानी भी प्रदूषित हो गया है।
गांव के राजेंद्र वर्मा, सुकई वर्मा, अशोक यादव, रामचन्द्र पांडेय आदि का कहना है कि यहां जाड़े में साइबेरियन पक्षी आते थे, लेकिन पानी के प्रदूषित होने से पक्षियाें की संख्या बहुत कम हो गई है।
