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Etah News: देसी से मोह भंग, हिमाचली मटर ने बिखेरी खुशबू

संवाद न्यूज एजेंसी, एटा Updated Sat, 13 Dec 2025 11:55 PM IST
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Disillusioned with desi, Himachali peas spread fragrance
मिरहची क्षेत्र में लहलहाती हिमाचली मटर की फसल। संवाद - फोटो : अमर उजाला
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मिरहची। देसी मटर की धाक जमाने वाले मारहरा ब्लॉक क्षेत्र के किसानों का रुझान बदल गया है। इससे उनका मोह भंग हो गया है और इस बार खेतों में हिमाचली मटर ने खुशबू बिखेर दी है। अधिक पैदावार की चलते किसानों ने इसका रुख किया है। दूर-दूर की मंडियों में इसे भेजा जा रहा है।
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दो साल पहले तक किसानों ने पारंपरिक रूप से देसी मटर की खेती की लेकिन इसमें अच्छी पैदावार नहीं मिली। घाटे का दंश झेल किसानों ने इससे तौबा कर ली। चार-पांच किसानों ने पिछले साल हिमाचली मटर का बीज लाकर बुवाई की। इसका नतीजा बेहतर मिला और मटर लद गई। इस बार 100 से अधिक किसानों ने करीब 300 बीघा रकबे में हिमाचली मटर की फसल की है।
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किसान आलेश, कमलेश, ताराचंद ने बताया कि पिछले साल हम लोगों ने अपने निजी क्षेत्र मोहनपुरा मंडी, कासगंज आदि निजी स्थानों से मटर का बीज खरीदा लेकिन पैदावार मनमाफिक नहीं मिली। ऐसे में यहां के बीज से भरोसा ही उठ गया। हिमाचली बीज से खेतों में फसल लहलहा रही है। कई खेतों में इसको तोड़ने का काम भी चल रहा है।



21 दानों की लंबी फली से भरपूर पैदावार
देसी मटर की फली में जहां चार-पांच दाने ही होते हैं। वहीं हिमाचली मटर की फली करीब 21 दानों की होती है। इससे किसानों को भरपूर पैदावार मिल रही है।

हिमाचल की मटर की यह हैं प्रजातियां
किसान प्रेमराज, प्रमोद कुमार, भीमसेन ने बताया कि हिमाचली मटर की पालम प्रिया, बोनविला, किन्नोरी, सोलन, हिमाचल अर्ली आदि प्रजातिया हैं जो बेहतर उत्पादन देती हैं। इन प्रजातियों की फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है



प्रति बीघा इतना अंतर
किसान नेम सिंह ने बताया देसी मटर का बीज 10 हजार तो हिमाचली का बीज 12-13 हजार रुपये क्विंटल मिलता है। देसी मटर एक बीघा खेत में करीब पांच-छह क्विंटल प्राप्त हाेती है तो हिमाचली मटर 12 से 15 क्विंटल मिल जाती है। इस तरह किसानों का काफी मुनाफा होता है। इन दिनों जयपुर, भरतपुर की मंडियों में 40-45 रुपये क्विंटल की दर से मटर भेजी जा रही है।





मटर की फसल के लिए एटा की जलवायु काफी अच्छी है। हिमाचली मटर से तमाम किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी पैदावार तुलनात्मक रूप से अधिक होती है।
- सुघड़ सिंह, जिला उद्यान अधिकारी
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