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Farrukhabad News: चीनी से ज्यादा मुनाफा दे रही प्राकृतिक मिठास
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कायमगंज। करोड़ों की लागत से संचालित चीनी मिल की तुलना में गांवों में चल रहे कोल्हू पर बनने वाला गुड़ किसानों और संचालकों के लिए कहीं अधिक मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। एक ओर चीनी मिल घाटे में चल रही है तो वहीं कुटीर उद्योग के रूप में संचालित कोल्हू बेहतर आमदनी दे रहे हैं। क्षेत्र के कई गांवों में लगे करीब 34 कोल्हू, चीनी मिल से ज्यादा गन्ने की पेराई कर रहे हैं।
कायमगंज क्षेत्र में इस वर्ष 4120 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की बोआई हुई है। इससे करीब 30.90 लाख क्विंटल उत्पादन का अनुमान है। पिछले सत्र में चीनी मिल ने 11.50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, जबकि इस वर्ष 16 लाख क्विंटल पेराई का लक्ष्य रखा गया है। अब तक मिल में छह लाख क्विंटल से अधिक गन्ने की पेराई हो चुकी है। वहीं कोल्हू संचालक लगभग 4.50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि मिल में सट्टा-पर्ची की प्रक्रिया और देरी से भुगतान के झंझट से बचने के लिए वे कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर होते हैं। कई किसान खेत खाली करने की जल्दी में भी कोल्हू का रुख करते हैं। मिल में गन्ने का भाव 400 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि कोल्हू पर किसान 350 से 360 रुपये प्रति क्विंटल में गन्ना बेच रहे हैं।
चीनी मिल में एक क्विंटल गन्ने से औसतन साढ़े नौ किलो चीनी तैयार होती है। 400 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद के मुकाबले थोक बाजार में इतनी चीनी की कीमत लगभग 380 रुपये बैठती है। इससे मिल को प्रति क्विंटल करीब 20 रुपये का घाटा होता है। अन्य खर्च जोड़ने पर घाटा और बढ़ जाता है। घाटे की भरपाई के लिए स्थापित आसवनी इकाई भी पिछले वर्ष से बंद पड़ी है।
इसके विपरीत गांव ममापुर निवासी कोल्हू संचालक विक्रांत गंगवार बताते हैं कि एक क्विंटल गन्ने से लगभग 13 किलो गुड़ तैयार होता है, जो बाजार में करीब 45 रुपये किलो बिकता है। इस तरह 360 रुपये में खरीदे गए गन्ने से लगभग 585 रुपये का गुड़ तैयार हो जाता है। पड़ोसी जनपद मैनपुरी, एटा और कुरावली की मंडियों में गुड़ की अच्छी मांग है।
कोल्हू संचालकों के अनुसार एक कोल्हू पर प्रतिदिन करीब 90 क्विंटल गन्ने की पेराई हो जाती है। सभी खर्च निकालने के बाद भी गुड़ का कारोबार लाभकारी बना हुआ है। पहले गांवों में क्रशर पर चीनी बनती थी लेकिन दाम गिरने के बाद यह कारोबार बंद हो गया और कोल्हू की संख्या बढ़ती चली गई।
गांव कुईंया धीर निवासी हिमांशु गंगवार ने ऑर्गेनिक गन्ने का उत्पादन कर कोल्हू लगाया है। वे गोबर गैस से इंजन चलाकर गुड़ तैयार करते हैं और पैकिंग कर बाजार में बेचते हैं। उनका सामान्य गुड़ 100 रुपये किलो तक बिक रहा है। मूंगफली वाला ऑर्गेनिक गुड़ 140 रुपये, सोंठ वाला 125 रुपये, अलसी वाला 130 रुपये, छोटे क्यूब और गुड़ पाउडर 130 रुपये किलो बिकता है। हिमांशु का कहना है कि चीनी के मुकाबले गुड़ का कारोबार कहीं अधिक लाभदायक है।
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कायमगंज क्षेत्र में इस वर्ष 4120 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की बोआई हुई है। इससे करीब 30.90 लाख क्विंटल उत्पादन का अनुमान है। पिछले सत्र में चीनी मिल ने 11.50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, जबकि इस वर्ष 16 लाख क्विंटल पेराई का लक्ष्य रखा गया है। अब तक मिल में छह लाख क्विंटल से अधिक गन्ने की पेराई हो चुकी है। वहीं कोल्हू संचालक लगभग 4.50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि मिल में सट्टा-पर्ची की प्रक्रिया और देरी से भुगतान के झंझट से बचने के लिए वे कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर होते हैं। कई किसान खेत खाली करने की जल्दी में भी कोल्हू का रुख करते हैं। मिल में गन्ने का भाव 400 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि कोल्हू पर किसान 350 से 360 रुपये प्रति क्विंटल में गन्ना बेच रहे हैं।
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चीनी मिल में एक क्विंटल गन्ने से औसतन साढ़े नौ किलो चीनी तैयार होती है। 400 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद के मुकाबले थोक बाजार में इतनी चीनी की कीमत लगभग 380 रुपये बैठती है। इससे मिल को प्रति क्विंटल करीब 20 रुपये का घाटा होता है। अन्य खर्च जोड़ने पर घाटा और बढ़ जाता है। घाटे की भरपाई के लिए स्थापित आसवनी इकाई भी पिछले वर्ष से बंद पड़ी है।
इसके विपरीत गांव ममापुर निवासी कोल्हू संचालक विक्रांत गंगवार बताते हैं कि एक क्विंटल गन्ने से लगभग 13 किलो गुड़ तैयार होता है, जो बाजार में करीब 45 रुपये किलो बिकता है। इस तरह 360 रुपये में खरीदे गए गन्ने से लगभग 585 रुपये का गुड़ तैयार हो जाता है। पड़ोसी जनपद मैनपुरी, एटा और कुरावली की मंडियों में गुड़ की अच्छी मांग है।
कोल्हू संचालकों के अनुसार एक कोल्हू पर प्रतिदिन करीब 90 क्विंटल गन्ने की पेराई हो जाती है। सभी खर्च निकालने के बाद भी गुड़ का कारोबार लाभकारी बना हुआ है। पहले गांवों में क्रशर पर चीनी बनती थी लेकिन दाम गिरने के बाद यह कारोबार बंद हो गया और कोल्हू की संख्या बढ़ती चली गई।
गांव कुईंया धीर निवासी हिमांशु गंगवार ने ऑर्गेनिक गन्ने का उत्पादन कर कोल्हू लगाया है। वे गोबर गैस से इंजन चलाकर गुड़ तैयार करते हैं और पैकिंग कर बाजार में बेचते हैं। उनका सामान्य गुड़ 100 रुपये किलो तक बिक रहा है। मूंगफली वाला ऑर्गेनिक गुड़ 140 रुपये, सोंठ वाला 125 रुपये, अलसी वाला 130 रुपये, छोटे क्यूब और गुड़ पाउडर 130 रुपये किलो बिकता है। हिमांशु का कहना है कि चीनी के मुकाबले गुड़ का कारोबार कहीं अधिक लाभदायक है।
