{"_id":"6931cd083f7e7d0a8a0cc7d1","slug":"sncu-six-warmers-and-phototherapy-machines-will-be-increased-children-will-not-be-referred-farrukhabad-news-c-12-knp1001-1349512-2025-12-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"एसएनसीयू : छह वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन बढ़ेंगी, बच्चे नहीं होंगे रेफर","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
एसएनसीयू : छह वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन बढ़ेंगी, बच्चे नहीं होंगे रेफर
विज्ञापन
विज्ञापन
फर्रुखाबाद। लोहिया महिला अस्पताल की नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में 12 बेबी वॉर्मर लगे हैं। स्थान की कमी के कारण आए दिन बच्चों को रेफर करना मजबूरी है। ऐसे में अब छह वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन बढ़ाने की तैयारी है। मार्च तक और अधिक बच्चों को इलाज मिलना संभव हो जाएगा।
अस्पताल के एसएनसीयू में 12 बेबी वॉर्मर, छह फोटोथेरेपी मशीन की व्यवस्था है। यूनिट में 18 से अधिक बच्चों का इलाज नहीं हो सकता। कई बार आपात स्थिति में एक बार में 40 बच्चों को भी भर्ती करना पड़ा। एक नवजात की क्षमता वाले वॉर्मर पर तीन-तीन बच्चों काे लिटाया गया। स्थान के अभाव में आए दिन विवाद होना आम बात है। ऐसे में सीएमएस के स्तर से बेड बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए छह वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन खरीदने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इन वॉर्मर को फिलहाल मौजूद कमरों में ही लगाने की बात कही जा रही है। इन मशीनों को मार्च 2026 तक चालू करने पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। वॉर्मर बढ़ने के बाद सबसे अधिक फायदा उन गरीब परिवारों को होगा जिन्हें स्थान के अभाव में निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च कर इलाज कराना पड़ता था।
एसएनसीयू प्रभारी बालरोग विशेषज्ञ डॉ. शिवाशीष उपाध्याय ने बताया कि एक वॉर्मर की क्षमता एक बच्चे को रखने लायक ही होती है। जब एक से अधिक बच्चे रखे जाते हैं तो स्टाफ की मेहनत दोगुनी हो जाती है। हर पल नवजात शिशुओं पर नजर रखनी पड़ती है। उन्होंने 40 शिशु एक बार में भर्ती किए हैं। यूनिट की क्षमता बढ़ाने का नियम 12 से सीधा 18 बेड का है। उसी के हिसाब से प्रस्ताव बनाया गया है। बृहस्पतिवार को 18 शिशु भर्ती मिले।
झांसी मेडिकल काॅलेज के एसएनसीयू में दो साल पहले अग्निकांड के बाद से सक्रिय हुए अफसरों ने अब आपातकालीन गेट तैयार करवा दिया है। आपातकाल में यूनिट के लोग खुली छत से होकर आराम से नीचे उतर सकते हैं। इससे खासी राहत मिलेगी।
शिशुओं के इलाज को लेकर आए दिन दिक्कतें होती हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर से बेड की क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव बना लिया है। मार्च तक बेड की संख्या बढ़ाने का प्रयास है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। स्थान के अभाव के चलते अधिक बेड नहीं बढ़ाए जा सकते।
-डॉ. धीर सिंह, सीएमएस, लोहिया महिला अस्पताल
यह होती है फोटोथेरेपी (प्रकाश चिकित्सा) मशीन
इस मशीन के जरिए बच्चों के पीलिया, त्वचा संबंधी बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस उपचार पद्धति में पराबैंगनी या नीली रोशनी का उपयोग किया जाता है। बेबी वॉमर मशीन समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले नवजात शिशुओं का तापमान बनाए रखने के लिए इस मशीन का इस्तेमाल होता है।
Trending Videos
अस्पताल के एसएनसीयू में 12 बेबी वॉर्मर, छह फोटोथेरेपी मशीन की व्यवस्था है। यूनिट में 18 से अधिक बच्चों का इलाज नहीं हो सकता। कई बार आपात स्थिति में एक बार में 40 बच्चों को भी भर्ती करना पड़ा। एक नवजात की क्षमता वाले वॉर्मर पर तीन-तीन बच्चों काे लिटाया गया। स्थान के अभाव में आए दिन विवाद होना आम बात है। ऐसे में सीएमएस के स्तर से बेड बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए छह वॉर्मर और फोटोथेरेपी मशीन खरीदने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इन वॉर्मर को फिलहाल मौजूद कमरों में ही लगाने की बात कही जा रही है। इन मशीनों को मार्च 2026 तक चालू करने पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। वॉर्मर बढ़ने के बाद सबसे अधिक फायदा उन गरीब परिवारों को होगा जिन्हें स्थान के अभाव में निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च कर इलाज कराना पड़ता था।
विज्ञापन
विज्ञापन
एसएनसीयू प्रभारी बालरोग विशेषज्ञ डॉ. शिवाशीष उपाध्याय ने बताया कि एक वॉर्मर की क्षमता एक बच्चे को रखने लायक ही होती है। जब एक से अधिक बच्चे रखे जाते हैं तो स्टाफ की मेहनत दोगुनी हो जाती है। हर पल नवजात शिशुओं पर नजर रखनी पड़ती है। उन्होंने 40 शिशु एक बार में भर्ती किए हैं। यूनिट की क्षमता बढ़ाने का नियम 12 से सीधा 18 बेड का है। उसी के हिसाब से प्रस्ताव बनाया गया है। बृहस्पतिवार को 18 शिशु भर्ती मिले।
झांसी मेडिकल काॅलेज के एसएनसीयू में दो साल पहले अग्निकांड के बाद से सक्रिय हुए अफसरों ने अब आपातकालीन गेट तैयार करवा दिया है। आपातकाल में यूनिट के लोग खुली छत से होकर आराम से नीचे उतर सकते हैं। इससे खासी राहत मिलेगी।
शिशुओं के इलाज को लेकर आए दिन दिक्कतें होती हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर से बेड की क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव बना लिया है। मार्च तक बेड की संख्या बढ़ाने का प्रयास है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। स्थान के अभाव के चलते अधिक बेड नहीं बढ़ाए जा सकते।
-डॉ. धीर सिंह, सीएमएस, लोहिया महिला अस्पताल
यह होती है फोटोथेरेपी (प्रकाश चिकित्सा) मशीन
इस मशीन के जरिए बच्चों के पीलिया, त्वचा संबंधी बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस उपचार पद्धति में पराबैंगनी या नीली रोशनी का उपयोग किया जाता है। बेबी वॉमर मशीन समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले नवजात शिशुओं का तापमान बनाए रखने के लिए इस मशीन का इस्तेमाल होता है।