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Farrukhabad News: अनुदान की राह ताक रहीं महिलाएं, सीवीओ दफ्तर में दबी फाइलें
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फर्रुखाबाद। रोजगार की चाहत में मुख्यमंत्री गोसंवर्धन योजना में अपनी पूंजी फंसाने वाली महिलाएं अनुदान की राह ताक रही हैं। इनकी फाइलें अभी तक मुख्य पशु चिकित्साधिकारी दफ्तर में दबी हैं। खरीदी गईं गायों ने दूध देना भी बंद कर दिया है। अब अनुदान के इंतजार में वह गाय बेचने से भी घबरा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने दुग्ध विकास संघ और मुख्य पशु चिकित्सा विभाग के सहयोग से मुख्यमंत्री गोसंवर्धन योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 28 पशु पालकों को लाभ देने का लक्ष्य दिया था। इसमें 14 महिलाएं और 14 पुरुषों को लाभान्वित करना था। योजना में मंशा थी कि ग्रामीण महिलाओं को गोपालन योजना से जोड़कर उन्हें रोजगार दिलाया जाए। दो लाख रुपये की इस योजना में दो गायों को खरीदा जाना था। इसमें शर्त थी कि गाय गिर, साहीवाल अथवा अन्य अच्छी देसी नस्ल की ही होनी चाहिए। इसमें शासन की तरफ से 80 हजार रुपये अनुदान दिया जाना है। करीब 100 लोगों ने आवेदन किया था। लाटरी से लक्ष्य के अनुरूप 28 आवेदकों का चयन किया गया जिसमें 14 महिला लाभार्थी भी शामिल थीं।
योजना के एक साल बीतने के बाद भी पशुपालन विभाग ने लाभार्थियों को अनुदान का लाभ नहीं दिलवाया। हालात ऐसे हैं कि अभी तक एक भी पत्रावली अनुदान के लिए जिलाधिकारी के पास नहीं भेजी गई जबकि खरीदी गई गायों ने दूध देना भी बंद कर दिया। ऐसे में महिला लाभार्थी असमंजस में हैं। उन्हें आशंका है कि यदि गायों को बेच दिया तो अनुदान भी निरस्त हो सकता है। ऐसे में गायों को बिना दूध दिए ही खिलाने को मजबूर हैं।
आठ पत्रावलियां भेजीं, अन्य में मिली कमियां: सीवीओ
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. धीरज कुमार ने बताया कि बिना पूरी जांच किए अनुदान के लिए पत्रावलियां नहीं भेजी जा सकतीं। अभी तक जांच में किसी ने एक गाय खरीदी तो किसी के यहां पूरी व्यवस्थाएं नहीं मिलीं। अन्य कमियां भी पाई गई हैं। फिलहाल आठ लाभार्थियों की पत्रावलियां अनुदान की संस्तुति के लिए डीएम के पास भेजी गई हैं। इन लाभार्थियों को लाभ मिल जाएगा।
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मुख्यमंत्री ने दुग्ध विकास संघ और मुख्य पशु चिकित्सा विभाग के सहयोग से मुख्यमंत्री गोसंवर्धन योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 28 पशु पालकों को लाभ देने का लक्ष्य दिया था। इसमें 14 महिलाएं और 14 पुरुषों को लाभान्वित करना था। योजना में मंशा थी कि ग्रामीण महिलाओं को गोपालन योजना से जोड़कर उन्हें रोजगार दिलाया जाए। दो लाख रुपये की इस योजना में दो गायों को खरीदा जाना था। इसमें शर्त थी कि गाय गिर, साहीवाल अथवा अन्य अच्छी देसी नस्ल की ही होनी चाहिए। इसमें शासन की तरफ से 80 हजार रुपये अनुदान दिया जाना है। करीब 100 लोगों ने आवेदन किया था। लाटरी से लक्ष्य के अनुरूप 28 आवेदकों का चयन किया गया जिसमें 14 महिला लाभार्थी भी शामिल थीं।
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योजना के एक साल बीतने के बाद भी पशुपालन विभाग ने लाभार्थियों को अनुदान का लाभ नहीं दिलवाया। हालात ऐसे हैं कि अभी तक एक भी पत्रावली अनुदान के लिए जिलाधिकारी के पास नहीं भेजी गई जबकि खरीदी गई गायों ने दूध देना भी बंद कर दिया। ऐसे में महिला लाभार्थी असमंजस में हैं। उन्हें आशंका है कि यदि गायों को बेच दिया तो अनुदान भी निरस्त हो सकता है। ऐसे में गायों को बिना दूध दिए ही खिलाने को मजबूर हैं।
आठ पत्रावलियां भेजीं, अन्य में मिली कमियां: सीवीओ
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. धीरज कुमार ने बताया कि बिना पूरी जांच किए अनुदान के लिए पत्रावलियां नहीं भेजी जा सकतीं। अभी तक जांच में किसी ने एक गाय खरीदी तो किसी के यहां पूरी व्यवस्थाएं नहीं मिलीं। अन्य कमियां भी पाई गई हैं। फिलहाल आठ लाभार्थियों की पत्रावलियां अनुदान की संस्तुति के लिए डीएम के पास भेजी गई हैं। इन लाभार्थियों को लाभ मिल जाएगा।