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सत्ता का संग्राम: मुलायम की सियासी जमीन पर अखिलेश की अग्निपरीक्षा, राजनीतिक शिखर से हाशिये पर पहुंच गई पार्टी

नीलेश शर्मा, फिरोजाबाद Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Wed, 20 Mar 2024 07:34 PM IST
सार

वर्तमान में समाजवादी पार्टी राजनीतिक शिखर से हाशिये पर पहुंच गई है। अब इस चुनाव में संजीवनी की दरकार है। यह सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। 

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Akhilesh litmus test is on Mulayam political ground This time in Lok Sabha elections
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। नेताजी मुलायम सिंह यादव अब नहीं हैं, समाजवादी पार्टी पहली बार आम चुनाव 2024 नेताजी के बिना लड़ रही है। नेताजी के उत्तराधिकारी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते ये चुनाव अखिलेश यादव के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। अखिलेश के सामने पार्टी के बेहतर प्रदर्शन और सपा के रसूख को कायम रखने की चुनौती है।
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देश और प्रदेश की राजनीति में रसूख रखने वाले मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था। मुलायम की लोकप्रियता और राजनीतिक दांव-पेच से सपा ने राजनीति के शिखर को छुआ। विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन ने मुलायम और अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के दम पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव रक्षामंत्री बने।
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मौजूदा समय में हो रहे आम चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव नहीं हैं। ऐसे में पार्टी की जिम्मेदारी उनके बेटे अखिलेश यादव के कंधों पर है। 14वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में 36 सीटें जितने वाली सपा वर्तमान में हाशिये पर है, ऐसे में पार्टी को संजीवनी की जरूरत है। 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलने वाली सीटें अखिलेश यादव की लोकप्रियता और सपा के जनाधार का प्रमाण होंगी।

सपा का रिपोर्ट कार्ड

लोकसभा चुनाव जीतीं सीटें
1996  16
1998 19
1999   26
2004   36
2009    23
2014   5
2019   5

परिवार की साख बचाने की जिम्मेदारी

सैफई परिवार को देश का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार माना जाता है। मुलायम सिंह यादव ने भाई, बेटे, बहू, भतीजे और पौत्र को संसद पहुंचाया। बेटे अखिलेश यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। 2024 के आम चुनाव में मुलायम सिंह यादव नहीं हैं, लेकिन बहू डिंपल यादव मैनपुरी से, भाई शिवपाल सिंह यादव बदायूं से, भतीजे अक्षय यादव फिरोजाबाद व धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी समर में कूदे हैं। ऐसे में इन सभी को विजयश्री दिलाकर सैफई परिवार की साख बचाने की जिम्मेदारी भी अखिलेश यादव के कंधों पर ही है।
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