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Firozabad News: इंडियन बैंक घोटाले में कैशियर को आजीवन, अन्य पांच को 10-10 साल की कैद
संवाद न्यूज एजेंसी, फिरोजाबाद
Updated Fri, 19 Dec 2025 11:53 PM IST
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जसराना के इंडियन बैंक घोटाले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी कैशियर सहित अन्य आरोपी। फाइ
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फिरोजाबाद। बहुचर्चित इंडियन बैंक (जसराना शाखा) घोटाले में शुक्रवार को एडीजे-2 सर्वेश कुमार पांडेय की अदालत ने करोड़ों रुपये के गबन और जनता के विश्वास को छलने के मामले में तत्कालीन कैशियर जयप्रकाश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं इस सिंडिकेट में शामिल अन्य 5 दोषियों को 10-10 साल की कड़ी कैद की सजा दी गई है। न्यायालय ने जयप्रकाश सिंह पर 5.50 लाख रुपये का और अन्य 5 दोषियों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस महाघोटाले का खुलासा 19 मार्च 2025 को हुआ था। जब कई ग्राहकों ने बैंक में पैसा जमा होने के बावजूद खातों में राशि न दिखने की शिकायत की, तब बैंक प्रशासन भी हैरान रह गया था। बैंक के अंचल प्रमुख (जोनल मैनेजर) तरुण कुमार विश्नोई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जसराना थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच में सामने आया कि यह 100 से अधिक ग्राहकों के साथ की गई 2.40 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी धोखाधड़ी थी। पुलिस ने पहले चरण में बैंक कैशियर जयप्रकाश सिंह निवासी शक्तिनगर टूंडला सहित प्रवीन कुमार और इसके होमगार्ड पिता कुंवरपाल निवासी ग्राम भेंडी, जसराना, आकाश मिश्रा निवासी मोहल्ला कोठीपुरा, जसराना, वीर बहादुर निवासी शिवनगर, कचहरी रोड, मैनपुरी और सुखदेव सिंह निवासी बालाजीपुरम, हाईवे, मथुरा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अदालत ने ट्रायल में इस मामले को सामान्य चोरी या हेराफेरी नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध माना। कोर्ट ने माना कि दोषियों ने एक सुनियोजित गिरोह की तरह काम किया, जहां बैंक की मुहर और स्टेशनरी का इस्तेमाल कर जाली रसीदें बनाई गईं। कैशियर जयप्रकाश ने अपने पद की गरिमा को ताक पर रखकर ग्राहकों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया। साक्ष्यों व गवाही के आधार पर कोर्ट ने कैशियर जयप्रकाश को आजीवन कारावास व 5.50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही अन्य पांचों दोषियों को 10-10 साल की कैद और 5-5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
मैनेजर सहित 4 अन्य पर लटकी तलवार
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि भले ही कैशियर और उसके साथियों को सजा मिल गई है, लेकिन इस घोटाले की आग अभी ठंडी नहीं हुई है। मामले में शाखा प्रबंधक (मैनेजर) राघवेंद्र सिंह, उसके साथी रवीश यादव, सोमिल, नीलेश के खिलाफ पुलिस की विवेचना (जांच) अभी भी प्रचलित है। विवेचक एवं थानाध्यक्ष जसराना राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि पुलिस इनके खिलाफ भी साक्ष्य जुटा चुकी है और जल्द ही न्यायालय में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाएगी। जयप्रकाश सिंह, प्रवीन कुमार, कुंवरपाल, आकाश मिश्रा, वीर बहादुर, सुखदेव सिंह के खिलाफ पुलिस ने जब चार्जशीट दाखिल की थी, उस वक्त तक यह मामला 91 ग्राहकों के खाते से 1.86 करोड़ रुपये हड़पने के मामले का था। इसके बाद की जो जांच प्रबंधक (मैनेजर) राघवेंद्र सिंह, उसके साथी रवीश यादव, सोमिल, नीलेश के खिलाफ प्रचलित है। उसमें अभी तक 2.40 करोड़ रुपये से अधिक के गबन का मामला प्रकाश में आ चुका है।
कोर्ट ने कहा - जनता का भरोसा तोड़ने वालों पर कोई नरमी नहीं
- सजा पाने के बाद दोषी कोर्ट में ही फफक-फफक कर रोने लगे, भेजे गए पुलिस अभिरक्षा में जेल
संवाद न्यूज एजेंसी
फिरोजाबाद। एडीजे-2 कोर्ट में जयप्रकाश सहित अन्य पांच आरोपियों पर दोष सिद्ध होने के बाद बचाव पक्ष ने होमगार्ड कुंवरपाल की 60 वर्ष से अधिक उम्र होने का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया था। मगर, कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि बैंकिंग प्रणाली में भ्रष्टाचार और जनता के साथ धोखाधड़ी करने वालों के लिए यह फैसला एक मिसाल बनेगा। वित्तीय संस्थानों में जनता का भरोसा तोड़ने वालों के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
इस मुकदमे में कोर्ट के फैसले पर उन 100 से अधिक बैंक ग्राहकों की निगाह थी, जिनकी गाढ़ी कमाई को इन दोषियों ने अपने लाभ के लिए ठग लिया। कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद दोषी फफक-फफक कर रोने लगे। अदालत से सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद सभी दोषियों को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेजा गया। इधर, ग्राहक इन दोषियों पर हमला न कर दें, इस लिहाज से कोर्ट में भारी सुरक्षा इंतजाम भी किए गए थे।
इस प्रकार किया था गबन
यह मामला मार्च 2025 में तब प्रकाश में आया जब इंडियन बैंक के जोनल हेड तरुण कुमार विश्नोई को बैंक में हेरफेर की शिकायतें मिलीं। जांच में सामने आया कि बैंक के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे थे। बैंक के कैशियर और उनके साथी ग्राहकों से पैसा जमा करने के लिए लेते थे, उन्हें बकायदा बैंक की मुहर लगी जमा पर्ची भी देते थे, लेकिन वह पैसा उनके खातों में जमा करने के बजाय अपने निजी साथियों और करीबियों के खातों में ट्रांसफर कर देते थे। गिरोह ने बैंक मैनेजर की आईडी और पासवर्ड के साथ-साथ उनके अंगूठे का क्लोन भी बना रखा था, जिससे बैंक मैनेजर की अनुपस्थिति में भी अवैध ट्रांजेक्शन किए जाते थे।
ठगे गए ग्रामीण और किसान
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि गिरोह ने अधिकतर उन ग्रामीणों को निशाना बनाया जो बैंक के भरोसे अपना पैसा जमा करने आते थे। ग्राहक अमित गुप्ता, नवीन कुमार आदि ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने लाखों रुपये जमा किए, रसीद भी मिली, लेकिन बाद में पता चला कि उनके खाते खाली हैं। आरोपियों ने इन पैसों को ठेकेदारों के खातों में भेजकर ब्याज और मोटा मुनाफा कमाया।
शाखा प्रबंधक का दोस्त है सुखदेव, कानपुर में साथ की थी पढ़ाई
धोखाधड़ी कर ग्राहकों की रकम हड़पने के मामले में सजा पाने वाला सुखदेव मुख्य आरोपी शाखा प्रबंधक राघवेंद्र का करीबी दोस्त रहा है। दोनों ने कानपुर में कई साल तक एकसाथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी। राघवेंद्र को बैंक में नौकरी मिल गई थी। लेकिन सुखदेव को नहीं मिली थी। शाखा प्रबंधक ग्राहकों की रकम हड़पने के बाद सुखदेव के भी खाते में भेजता था। इसके बाद मिलने वाले लाभ में हिस्सा देता था। मथुरा का होने के बावजूद भी राघवेंद्र ने उसका जसराना में खाता खुलवाया था। इसी प्रकार अन्य आरोपी आकाश मिश्रा, सोमिल, नीलेश, वीरबहादुर के खाते में रकम जमा कराई जाती थी। इनमें से कुछ लोग बैंक में रहकर खाता धारकों से नकदी लेकर फर्जी मोहर लगाकर पर्ची दे दिया करते थे।
होमगार्ड कुंवरपाल के बेटे प्रवीन ने की थी पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी
सजा पाने वाले कुंवरपाल और उसके प्रवीन के विषय में पुलिस ने उस वक्त खुलासा किया था कि कुंवरपाल का पुत्र प्रवीन पीडब्ल्यूडी में ठेकेदार था। वह पूरी रकम को ठेकेदारी के काम लगा देता था। इसके अलावा आरोपियों ने इसी रकम में से जेसीबी भी खरीदी थी। मैनेजर ठगी गई रकम का हिस्सेदारी के साथ ही ब्याज भी वसूलता था।
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इस महाघोटाले का खुलासा 19 मार्च 2025 को हुआ था। जब कई ग्राहकों ने बैंक में पैसा जमा होने के बावजूद खातों में राशि न दिखने की शिकायत की, तब बैंक प्रशासन भी हैरान रह गया था। बैंक के अंचल प्रमुख (जोनल मैनेजर) तरुण कुमार विश्नोई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जसराना थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच में सामने आया कि यह 100 से अधिक ग्राहकों के साथ की गई 2.40 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी धोखाधड़ी थी। पुलिस ने पहले चरण में बैंक कैशियर जयप्रकाश सिंह निवासी शक्तिनगर टूंडला सहित प्रवीन कुमार और इसके होमगार्ड पिता कुंवरपाल निवासी ग्राम भेंडी, जसराना, आकाश मिश्रा निवासी मोहल्ला कोठीपुरा, जसराना, वीर बहादुर निवासी शिवनगर, कचहरी रोड, मैनपुरी और सुखदेव सिंह निवासी बालाजीपुरम, हाईवे, मथुरा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अदालत ने ट्रायल में इस मामले को सामान्य चोरी या हेराफेरी नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध माना। कोर्ट ने माना कि दोषियों ने एक सुनियोजित गिरोह की तरह काम किया, जहां बैंक की मुहर और स्टेशनरी का इस्तेमाल कर जाली रसीदें बनाई गईं। कैशियर जयप्रकाश ने अपने पद की गरिमा को ताक पर रखकर ग्राहकों की गाढ़ी कमाई को हड़प लिया। साक्ष्यों व गवाही के आधार पर कोर्ट ने कैशियर जयप्रकाश को आजीवन कारावास व 5.50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही अन्य पांचों दोषियों को 10-10 साल की कैद और 5-5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
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मैनेजर सहित 4 अन्य पर लटकी तलवार
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि भले ही कैशियर और उसके साथियों को सजा मिल गई है, लेकिन इस घोटाले की आग अभी ठंडी नहीं हुई है। मामले में शाखा प्रबंधक (मैनेजर) राघवेंद्र सिंह, उसके साथी रवीश यादव, सोमिल, नीलेश के खिलाफ पुलिस की विवेचना (जांच) अभी भी प्रचलित है। विवेचक एवं थानाध्यक्ष जसराना राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि पुलिस इनके खिलाफ भी साक्ष्य जुटा चुकी है और जल्द ही न्यायालय में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाएगी। जयप्रकाश सिंह, प्रवीन कुमार, कुंवरपाल, आकाश मिश्रा, वीर बहादुर, सुखदेव सिंह के खिलाफ पुलिस ने जब चार्जशीट दाखिल की थी, उस वक्त तक यह मामला 91 ग्राहकों के खाते से 1.86 करोड़ रुपये हड़पने के मामले का था। इसके बाद की जो जांच प्रबंधक (मैनेजर) राघवेंद्र सिंह, उसके साथी रवीश यादव, सोमिल, नीलेश के खिलाफ प्रचलित है। उसमें अभी तक 2.40 करोड़ रुपये से अधिक के गबन का मामला प्रकाश में आ चुका है।
कोर्ट ने कहा - जनता का भरोसा तोड़ने वालों पर कोई नरमी नहीं
- सजा पाने के बाद दोषी कोर्ट में ही फफक-फफक कर रोने लगे, भेजे गए पुलिस अभिरक्षा में जेल
संवाद न्यूज एजेंसी
फिरोजाबाद। एडीजे-2 कोर्ट में जयप्रकाश सहित अन्य पांच आरोपियों पर दोष सिद्ध होने के बाद बचाव पक्ष ने होमगार्ड कुंवरपाल की 60 वर्ष से अधिक उम्र होने का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया था। मगर, कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि बैंकिंग प्रणाली में भ्रष्टाचार और जनता के साथ धोखाधड़ी करने वालों के लिए यह फैसला एक मिसाल बनेगा। वित्तीय संस्थानों में जनता का भरोसा तोड़ने वालों के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
इस मुकदमे में कोर्ट के फैसले पर उन 100 से अधिक बैंक ग्राहकों की निगाह थी, जिनकी गाढ़ी कमाई को इन दोषियों ने अपने लाभ के लिए ठग लिया। कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद दोषी फफक-फफक कर रोने लगे। अदालत से सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद सभी दोषियों को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेजा गया। इधर, ग्राहक इन दोषियों पर हमला न कर दें, इस लिहाज से कोर्ट में भारी सुरक्षा इंतजाम भी किए गए थे।
इस प्रकार किया था गबन
यह मामला मार्च 2025 में तब प्रकाश में आया जब इंडियन बैंक के जोनल हेड तरुण कुमार विश्नोई को बैंक में हेरफेर की शिकायतें मिलीं। जांच में सामने आया कि बैंक के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे थे। बैंक के कैशियर और उनके साथी ग्राहकों से पैसा जमा करने के लिए लेते थे, उन्हें बकायदा बैंक की मुहर लगी जमा पर्ची भी देते थे, लेकिन वह पैसा उनके खातों में जमा करने के बजाय अपने निजी साथियों और करीबियों के खातों में ट्रांसफर कर देते थे। गिरोह ने बैंक मैनेजर की आईडी और पासवर्ड के साथ-साथ उनके अंगूठे का क्लोन भी बना रखा था, जिससे बैंक मैनेजर की अनुपस्थिति में भी अवैध ट्रांजेक्शन किए जाते थे।
ठगे गए ग्रामीण और किसान
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि गिरोह ने अधिकतर उन ग्रामीणों को निशाना बनाया जो बैंक के भरोसे अपना पैसा जमा करने आते थे। ग्राहक अमित गुप्ता, नवीन कुमार आदि ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने लाखों रुपये जमा किए, रसीद भी मिली, लेकिन बाद में पता चला कि उनके खाते खाली हैं। आरोपियों ने इन पैसों को ठेकेदारों के खातों में भेजकर ब्याज और मोटा मुनाफा कमाया।
शाखा प्रबंधक का दोस्त है सुखदेव, कानपुर में साथ की थी पढ़ाई
धोखाधड़ी कर ग्राहकों की रकम हड़पने के मामले में सजा पाने वाला सुखदेव मुख्य आरोपी शाखा प्रबंधक राघवेंद्र का करीबी दोस्त रहा है। दोनों ने कानपुर में कई साल तक एकसाथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी। राघवेंद्र को बैंक में नौकरी मिल गई थी। लेकिन सुखदेव को नहीं मिली थी। शाखा प्रबंधक ग्राहकों की रकम हड़पने के बाद सुखदेव के भी खाते में भेजता था। इसके बाद मिलने वाले लाभ में हिस्सा देता था। मथुरा का होने के बावजूद भी राघवेंद्र ने उसका जसराना में खाता खुलवाया था। इसी प्रकार अन्य आरोपी आकाश मिश्रा, सोमिल, नीलेश, वीरबहादुर के खाते में रकम जमा कराई जाती थी। इनमें से कुछ लोग बैंक में रहकर खाता धारकों से नकदी लेकर फर्जी मोहर लगाकर पर्ची दे दिया करते थे।
होमगार्ड कुंवरपाल के बेटे प्रवीन ने की थी पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी
सजा पाने वाले कुंवरपाल और उसके प्रवीन के विषय में पुलिस ने उस वक्त खुलासा किया था कि कुंवरपाल का पुत्र प्रवीन पीडब्ल्यूडी में ठेकेदार था। वह पूरी रकम को ठेकेदारी के काम लगा देता था। इसके अलावा आरोपियों ने इसी रकम में से जेसीबी भी खरीदी थी। मैनेजर ठगी गई रकम का हिस्सेदारी के साथ ही ब्याज भी वसूलता था।
