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घाटमपुर: परास में कोरोना व बुखार से 25 से ज्यादा मौतें, 200 से ज्यादा लोग बीमार, कई परिवारों ने गांव छोड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, घाटमपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 05 May 2021 09:40 PM IST
सार
गांव में सैनिटाइजेशन व जांच के नाम पर खानापूरी हो रही है। कोरोना काल में भी सरकारी अस्पताल में एक साल से ताला लटका है। निगरानी समितियां सिर्फ कागजों में सक्रिय हैं।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर घाटमपुर ब्लॉक के सबसे बड़े गांव परास में कोरोना संक्रमण और बुखार से 15 दिन के भीतर करीब दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। दो सौ से ज्यादा लोग बीमार हैं। इनमें से कई हैलट और शहर के अन्य अस्पतालों में भर्ती हैं। बीमार लोगों में अधिकतर कोरोना संक्रमित हैं।
डर के मारे कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है। गांव में सैनिटाइजेशन व जांच के नाम पर खानापूरी हो रही है। कोरोना काल में भी सरकारी अस्पताल में एक साल से ताला लटका है। निगरानी समितियां सिर्फ कागजों में सक्रिय हैं। समूचा गांव मरघट बनकर रह गया है।
करीब 15 दिन पहले गांव के रामशंकर चौरसिया (55), राम प्रसाद (50), राजकुमार गुप्ता (58), काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35) व रजन बाबू (55) को पहले बुखार आया। फिर सांस लेने में दिक्कत होने के बाद एक-एक करके हफ्ते भर के भीतर इनकी मौत हो गई।
सभी में कोरोना जैसे लक्षण थे, मगर जांच किसी की नहीं हुई। इनमें कई लोग जो अच्छे अस्पतालों में पहुंच गए, वे बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। गांव में लगातार हो रही मौतों और घर-घर में बुखार, जुकाम-खांसी के मरीज होने से ग्रामीण दहशत में हैं। परिवार में गमी होने के बाद भी एक-दूसरे के दरवाजे जाने से कतरा रहे हैं।
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डर के मारे कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है। गांव में सैनिटाइजेशन व जांच के नाम पर खानापूरी हो रही है। कोरोना काल में भी सरकारी अस्पताल में एक साल से ताला लटका है। निगरानी समितियां सिर्फ कागजों में सक्रिय हैं। समूचा गांव मरघट बनकर रह गया है।
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करीब 15 दिन पहले गांव के रामशंकर चौरसिया (55), राम प्रसाद (50), राजकुमार गुप्ता (58), काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35) व रजन बाबू (55) को पहले बुखार आया। फिर सांस लेने में दिक्कत होने के बाद एक-एक करके हफ्ते भर के भीतर इनकी मौत हो गई।
सभी में कोरोना जैसे लक्षण थे, मगर जांच किसी की नहीं हुई। इनमें कई लोग जो अच्छे अस्पतालों में पहुंच गए, वे बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। गांव में लगातार हो रही मौतों और घर-घर में बुखार, जुकाम-खांसी के मरीज होने से ग्रामीण दहशत में हैं। परिवार में गमी होने के बाद भी एक-दूसरे के दरवाजे जाने से कतरा रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि हालात गंभीर होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर कैंप लगाकर खानापूरी कर रहा है। ग्रामीण पंकज तिवारी, संदीप शुक्ला ने बताया कि गांव के ही रहने वाले सतेंद्र गुप्ता (50) को बुखार खांसी की शिकायत थी। घर पर ही इलाज चल रहा था।
तीसरे दिन सांस लेने में दिक्कत होने लगी। परिजन जब तक कुछ समझ पाते, उनकी मौत हो गई। आठ दिन के भीतर उनके भाई राजकुमार गुप्ता (55) की भी बीमारी से मौत हो गई। उनमें भी यही लक्षण थे। इसी तरह बैजनाथ सविता (70), बउवन तिवारी (40), श्याम नारायण (57), कुलदीप तिवारी (35), उर्मिला तिवारी (40), ज्ञान प्रकाश (40), प्रेम नारायण (50) समेत करीब दो सैकड़ा ग्रामीण बीमार हैं।
50 से ज्यादा ग्रामीणों ने घर छोड़ा
दहशत के चलते ग्रामीण सुघर, भोला, सुनील तिवारी के अलावा करीब आधा सैकड़ा ग्रामीण अपने परिजनों के साथ रिश्तेदारी व अन्य सुरक्षित जगहों के लिए पलायन कर चुके हैं। कई लोग बुजुर्ग व बच्चों को रिश्तेदारों के पास छोड़ आए हैं।
कोरोना से हुई थी कैग ऑडिटर की मौत
कुछ दिन पहले गांव के ही रहने वाले कैग ऑडिटर राहुल तिवारी की मौत के बाद से लोगों में दहशत और बढ़ गई है। राहुल की मौत के बाद बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग ने कैप लगाकर कोरोना जांच की थी। एक ही परिवार के आठ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद जांच टीम नहीं आई तो कई अन्य ग्रामीणों ने शहर जाकर जांच कराई। उनमें कोरोना की पुष्टि हुई। तबसे दर्जनों लोग घरों में आइसोलेट हैं। ग्रामीणों ने एसडीएम अरुण कुमार से गांव में कैंप लगाकर एंटीजन टेस्ट कराए जाने की मांग की है।
तीसरे दिन सांस लेने में दिक्कत होने लगी। परिजन जब तक कुछ समझ पाते, उनकी मौत हो गई। आठ दिन के भीतर उनके भाई राजकुमार गुप्ता (55) की भी बीमारी से मौत हो गई। उनमें भी यही लक्षण थे। इसी तरह बैजनाथ सविता (70), बउवन तिवारी (40), श्याम नारायण (57), कुलदीप तिवारी (35), उर्मिला तिवारी (40), ज्ञान प्रकाश (40), प्रेम नारायण (50) समेत करीब दो सैकड़ा ग्रामीण बीमार हैं।
50 से ज्यादा ग्रामीणों ने घर छोड़ा
दहशत के चलते ग्रामीण सुघर, भोला, सुनील तिवारी के अलावा करीब आधा सैकड़ा ग्रामीण अपने परिजनों के साथ रिश्तेदारी व अन्य सुरक्षित जगहों के लिए पलायन कर चुके हैं। कई लोग बुजुर्ग व बच्चों को रिश्तेदारों के पास छोड़ आए हैं।
कोरोना से हुई थी कैग ऑडिटर की मौत
कुछ दिन पहले गांव के ही रहने वाले कैग ऑडिटर राहुल तिवारी की मौत के बाद से लोगों में दहशत और बढ़ गई है। राहुल की मौत के बाद बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग ने कैप लगाकर कोरोना जांच की थी। एक ही परिवार के आठ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद जांच टीम नहीं आई तो कई अन्य ग्रामीणों ने शहर जाकर जांच कराई। उनमें कोरोना की पुष्टि हुई। तबसे दर्जनों लोग घरों में आइसोलेट हैं। ग्रामीणों ने एसडीएम अरुण कुमार से गांव में कैंप लगाकर एंटीजन टेस्ट कराए जाने की मांग की है।
दो डॉक्टर भी संक्रमित, एक की हालत गंभीर
परास गांव में निजी प्रैक्टिस करने वाले दो डॉक्टर भी संक्रमण की चपेट में आ गए। डॉ. शैलेश सिंह का मधुराज में इलाज चला, जबकि डॉ. संतोष अवस्थी हैलट में भर्ती हैं। इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। इसी तरह गांव के अन्य लोग शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। बुधवार की सुबह डॉ. संतोष अवस्थी के पिता श्रीकांत अवस्थी का भी गांव में ही निधन हो गया। वे भी काफी समय से बीमार चल रहे थे।
अब तक इनकी जा चुकी है जान
राहुल तिवारी (30), श्रीकांत अवस्थी (82), अरविंद अवस्थी (55), रामशंकर चौरसिया (55), राम प्रसाद (50), राजकुमार गुप्ता (58), काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35) रजन बाबू कुशवाहा (55), घसीटे (65), भूरा (40), राम अवतार कुरील (60), गंगा प्रसाद, हरिश्चंद्र कुशवाहा (55), कौशल किशोर श्रीवास्तव (65), राजकिशोर मिश्रा (65), चंपा रानी कुरील, हरिशंकर माली (65), सरला तिवारी (55), मिर्ची लाल प्रजापति (70), रामआसरे वर्मा की पत्नी (65), दनकू कुरील (55) ( नोट- मृतकों की संख्या और भी है, मगर उनके नामों की पुष्टि नहीं हो सकी)।
परास गांव में निजी प्रैक्टिस करने वाले दो डॉक्टर भी संक्रमण की चपेट में आ गए। डॉ. शैलेश सिंह का मधुराज में इलाज चला, जबकि डॉ. संतोष अवस्थी हैलट में भर्ती हैं। इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। इसी तरह गांव के अन्य लोग शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। बुधवार की सुबह डॉ. संतोष अवस्थी के पिता श्रीकांत अवस्थी का भी गांव में ही निधन हो गया। वे भी काफी समय से बीमार चल रहे थे।
अब तक इनकी जा चुकी है जान
राहुल तिवारी (30), श्रीकांत अवस्थी (82), अरविंद अवस्थी (55), रामशंकर चौरसिया (55), राम प्रसाद (50), राजकुमार गुप्ता (58), काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35) रजन बाबू कुशवाहा (55), घसीटे (65), भूरा (40), राम अवतार कुरील (60), गंगा प्रसाद, हरिश्चंद्र कुशवाहा (55), कौशल किशोर श्रीवास्तव (65), राजकिशोर मिश्रा (65), चंपा रानी कुरील, हरिशंकर माली (65), सरला तिवारी (55), मिर्ची लाल प्रजापति (70), रामआसरे वर्मा की पत्नी (65), दनकू कुरील (55) ( नोट- मृतकों की संख्या और भी है, मगर उनके नामों की पुष्टि नहीं हो सकी)।
