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Gonda News: साप्ताहिक मॉक टेस्ट से हो रही बोर्ड परीक्षा की तैयारी
संवाद न्यूज एजेंसी, गोंडा
Updated Sun, 07 Dec 2025 11:30 PM IST
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गोंडा। यूपी बोर्ड परीक्षा में अब कुछ ही महीने शेष हैं, ऐसे में जिले के विद्यालयों में परीक्षा तैयारी को लेकर नई रणनीति लागू की गई है। अधिकांश स्कूलों में साप्ताहिक मॉक टेस्ट की शुरुआत की गई है। जिससे नियमित अभ्यास से विद्यार्थियों की पकड़ न केवल मजबूत होगी, बल्कि परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन, प्रश्न चयन व लिखने की गति में भी सुधार आएगा।
जिले के 512 इंटर कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब 94 हजार विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं। अब विद्यालयों ने पढ़ाई व तैयारी का पैटर्न बदला है। केवल पाठ्य पुस्तक पढ़ाने के बजाय छात्रों से अधिक से अधिक मॉडल पेपर व प्रैक्टिस सेट सॉल्व कराए जा रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को वास्तविक परीक्षा जैसा माहौल मिल रहा है। मॉक टेस्ट में पूछे जा रहे प्रश्न यूपी बोर्ड के नवीनतम पैटर्न पर आधारित हैं, ताकि विद्यार्थी प्रारूप से भली-भांति परिचित हो सकें। जीआईसी के प्रवक्ता ऋषि शुक्ल ने बताया कि मॉक टेस्ट से छात्रों की कमजोरियों का तुरंत पता चल जाता है। प्रत्येक टेस्ट के बाद विषयवार विश्लेषण किया जा रहा है, जिसमें यह देखा जाता है कि किस विषय में कितने विद्यार्थी कमजोर हैं और किन अध्यायों पर अधिक फोकस की जरूरत है। इसके आधार पर अतिरिक्त कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं। परीक्षार्थी भी नई व्यवस्था से खुश हैं। इंटरमीडिएट के छात्र रमेश शुक्ल ने बताया कि लगातार अभ्यास से अब परीक्षा का भय कम हो रहा है, प्रश्नों को हल करने का तरीका भी समझ में आने लगा है। हाईस्कूल के छात्र संजीव गुप्ता ने बताया कि नियमित मॉक टेस्ट से तैयारी अधिक व्यवस्थित और लक्ष्य आधारित हो गई है।
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जिले के 512 इंटर कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब 94 हजार विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं। अब विद्यालयों ने पढ़ाई व तैयारी का पैटर्न बदला है। केवल पाठ्य पुस्तक पढ़ाने के बजाय छात्रों से अधिक से अधिक मॉडल पेपर व प्रैक्टिस सेट सॉल्व कराए जा रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को वास्तविक परीक्षा जैसा माहौल मिल रहा है। मॉक टेस्ट में पूछे जा रहे प्रश्न यूपी बोर्ड के नवीनतम पैटर्न पर आधारित हैं, ताकि विद्यार्थी प्रारूप से भली-भांति परिचित हो सकें। जीआईसी के प्रवक्ता ऋषि शुक्ल ने बताया कि मॉक टेस्ट से छात्रों की कमजोरियों का तुरंत पता चल जाता है। प्रत्येक टेस्ट के बाद विषयवार विश्लेषण किया जा रहा है, जिसमें यह देखा जाता है कि किस विषय में कितने विद्यार्थी कमजोर हैं और किन अध्यायों पर अधिक फोकस की जरूरत है। इसके आधार पर अतिरिक्त कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं। परीक्षार्थी भी नई व्यवस्था से खुश हैं। इंटरमीडिएट के छात्र रमेश शुक्ल ने बताया कि लगातार अभ्यास से अब परीक्षा का भय कम हो रहा है, प्रश्नों को हल करने का तरीका भी समझ में आने लगा है। हाईस्कूल के छात्र संजीव गुप्ता ने बताया कि नियमित मॉक टेस्ट से तैयारी अधिक व्यवस्थित और लक्ष्य आधारित हो गई है।
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