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Hardoi News: सर्दियों के शुरू होते ही फाइबर रुई की रजाई की बढ़ी मांग
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फोटो 19 : दुकान पर रजाई बनाते कारीगर और तैयार रखी रजाईयां। संवाद
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हरदोई। सर्दियों के शुरू होते ही रुई वाले रजाई, गद्दे और तकिया की मांग बढ़ गई है। लोगों ने खुद से रजाई और गद्दा बनवाने के साथ ही बाजार में उपलब्ध रजाई और गद्दों की खरीदारी शुरू कर दी है। इस समय फाइबर रुई की रजाई की अधिक मांग है। यह रजाई हल्की होने के कारण लोग इसे अधिक पसंद कर रहे हैं।
सर्दियों के शुरू होते ही अब देशी कपास वाली रुई के साथ ही सिंथेटिक रुई और फाइबर रुई के उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो गए हैं। वहीं, रुई और रजाई-गद्दा व तकिया के कारोबारियों ने अभी से स्टॉक जुटाना शुरू कर दिया है। स्टॉक जुटाने के साथ ही बाजार में बिक्री से कारोबारी उत्साहित हैं। लोग कपास रुई और सिंथेटिक रुई के स्थान पर फाइबर रुई की रजाई को अधिक पसंद कर रहे हैं। यह सर्दियों से बचाव में भी आम रजाई की अपेक्षा गरम होती है।
रजाई, गद्दा और तकिया आदि के कारोबारी दिनेश चंद्र पाल, रवि गुप्ता और सुनील कुमार पाल ने बताया कि सर्दियों के आते ही कारोबार को गति मिल जाती है। बताया कि बाजार में 120 रुपये, 140 रुपये और 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से रुई उपलब्ध है। लोग अपने हिसाब से रुई का वजन तय करते हैं उसी अनुसार रजाई, गद्दा आदि का मूल्य तय होता है।
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सिंथेटिक रुई सस्ती होने से गद्दा और तकिया में अधिक होती प्रयोग
कारोबारी सुनील कुमार पाल ने बताया कि सिंथेटिक रुई से लोग रजाई कम ही बनवाते हैं जबकि सिंथेटिक रुई से गद्दा और तकिया अधिक बनवाते हैं। सिंथेटिक रुई और उससे बनी रजाई, गद्दा और तकिया अन्य की अपेक्षा सस्ती रहती है। बताया कि सिंथेटिक रुई 120 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बाजार में उपलब्ध है जिससे सिंथेटिक रुई के गद्दा करीब 750-800 रुपये में मिल जाता है।
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सर्दियों के शुरू होते ही अब देशी कपास वाली रुई के साथ ही सिंथेटिक रुई और फाइबर रुई के उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो गए हैं। वहीं, रुई और रजाई-गद्दा व तकिया के कारोबारियों ने अभी से स्टॉक जुटाना शुरू कर दिया है। स्टॉक जुटाने के साथ ही बाजार में बिक्री से कारोबारी उत्साहित हैं। लोग कपास रुई और सिंथेटिक रुई के स्थान पर फाइबर रुई की रजाई को अधिक पसंद कर रहे हैं। यह सर्दियों से बचाव में भी आम रजाई की अपेक्षा गरम होती है।
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रजाई, गद्दा और तकिया आदि के कारोबारी दिनेश चंद्र पाल, रवि गुप्ता और सुनील कुमार पाल ने बताया कि सर्दियों के आते ही कारोबार को गति मिल जाती है। बताया कि बाजार में 120 रुपये, 140 रुपये और 150 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से रुई उपलब्ध है। लोग अपने हिसाब से रुई का वजन तय करते हैं उसी अनुसार रजाई, गद्दा आदि का मूल्य तय होता है।
सिंथेटिक रुई सस्ती होने से गद्दा और तकिया में अधिक होती प्रयोग
कारोबारी सुनील कुमार पाल ने बताया कि सिंथेटिक रुई से लोग रजाई कम ही बनवाते हैं जबकि सिंथेटिक रुई से गद्दा और तकिया अधिक बनवाते हैं। सिंथेटिक रुई और उससे बनी रजाई, गद्दा और तकिया अन्य की अपेक्षा सस्ती रहती है। बताया कि सिंथेटिक रुई 120 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बाजार में उपलब्ध है जिससे सिंथेटिक रुई के गद्दा करीब 750-800 रुपये में मिल जाता है।