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वीआईपी कॉलोनी बदहाल: वसुंधरा एन्क्लेव के हालात हैं मलिन बस्तियों से ज्यादा खराब, गंदगी, नहीं उठ रहा कूड़ा

अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस Published by: चमन शर्मा Updated Sat, 22 Nov 2025 12:32 PM IST
सार

वसुंधरा एन्क्लेव में अमृत योजना के तहत पेयजल की पाइपलाइन डाली जा चुकी है। कुछ घरों में कनेक्शन भी दे दिए गए हैं, लेकिन इन पाइपों में पानी नहीं आता।

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Conditions in Vasundhara Enclave, Hathras
पार्क में जमा सीवर का गंदा पानी व जलाया जाता कूड़ा - फोटो : संवाद
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विस्तार
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वसुंधरा एन्क्लेव हाथरस शहर की पॉश और वीआईपी कॉलोनी है, लेकिन इन दिनों यहां गंदगी और अव्यवस्था है। कॉलोनी में नगर पालिका अध्यक्ष, पूर्व सांसद, कई प्रशासनिक तथा न्यायिक अधिकारियों के आवास होने के बावजूद सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। कई-कई दिन तक कूड़ा उठान नहीं होता, जिससे बदबू फैल रही है।

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कॉलोनी में घूमने वाले कुत्ते और बंदर कूड़े को जगह-जगह फैला रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि कूड़ा उठान न होने के चलते रोजाना इसको जलाया जाता हैं, जिससे धुआं घरों तक पहुंचता है। इससे बुजुर्गों और बच्चों को श्वांस संबंधी दिक्कतें होती हैं। खाली प्लॉटों को स्थानीय लोगों ने कूड़ा डलाव घर बना दिया है, जिससे वहां गंदगी है। कुछ पार्कों में सीवर का पानी भरा है, जिससे मच्छरों का प्रकोप है। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। कॉलोनी सोसाइटी के पदाधिकारी बताते हैं कि नगर पालिका को कई बार पत्र देकर सफाई व्यवस्था सुधारने की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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नगर पालिका चेयरमैन खुद यहां रहती हैं। इसके बाद भी बेहद गंदगी है। हम लोग वर्षों से प्रयास कर रहे हैं कि साफ सफाई रहे, लेकिन नगर पालिका वाले सुनवाई नहीं कर रहे हैं।-मुकेश कुमार जैन, स्थानीय निवासी।

सबसे बड़ी दिक्कत कूड़ा डलाव घर की है, कभी किसी काॅलोनी मेें डलाव घर सुना है, लेकिन यहां पर है। जिसके सामने पार्क है, जहां गंदगी से लोग परेशान रहते हैं।-नवजोत शर्मा, स्थानीय निवासी।
सही कहें तो यह नाम के लिए पॉश कॉलोनी है, क्योंकि यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं है। नगर पालिका टैक्स वसूलती है, लेकिन कूड़ा उठवाने के लिए भी 100 रुपये देने पड़ते हैं।-पवन गोयल, स्थानीय निवासी।
यहां सफाई कर्मी नहीं आते हैं, पार्क गंदगी से अटे हैं। समझ नहीं आता कि कैसे यहां जमीन के दाम बढ़े हैं। नगर पालिका के अफसर यहां रहते हैं, उसके बाद भी बहुत परेशानी है।-मनोज शर्मा, स्थानीय निवासी।
स्थिति इतनी खराब है कि निजी सफाई कर्मी 500 रुपये लेते हैं, तब घर के बाहर झाड़ू लगती है। रास्तों में गंदगी है, सीवर का पानी सड़कों पर है। कोई भी सुनने वाला नहीं है।-सुनील कुमार गौतम, स्थानीय निवासी।
इस काॅलोनी में शुरू से ही लापरवाही बरती जा रही है। नक्शे के अनुसार काॅलोनी नहीं बसाई गई है। स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। सफाई, सीवर सब भगवान भरोसे है, बुरा हाल है।-योगेंद्र शर्मा, स्थानीय निवासी।
सोसायटी अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। पहले डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन होता था तो दिक्कत नहीं थी। अब इसकी व्यवस्था नहीं है। कूड़ा नहीं उठ रहा। ईओ नगर पालिका को पत्र दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।-अरुण जैन, सचिव कॉलोनी सोसायटी।
शहर में हर जगह सफाई कार्य कराया जा रहा है। कूड़ा भी नियमित उठाया जाता है, यदि कहीं दिक्कत है तो वहां टीम भेजकर सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी।-रोहित सिंह, ईओ नगर पालिका हाथरस।

जल व गृहकर देने के बाद भी हालत खराब

सोसायटी के सदस्यों का कहना है कि जब वीआईपी कॉलोनी की हालत यह है, तो बाकी शहर की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। यहां के लोगों में यह भी रोष है कि बीते आठ वर्षों से वह नगर पालिका को नियमित रूप से गृह और जलकर दे रहे हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें केवल उपेक्षा ही मिल रही है।

काॅलोनी सोसायटी उठा रही जिम्मेदारी
काॅलोनी निवासी नगर पालिका को जल व गृहकर देते हैं, लेकिन सुविधाएं न मिलने के कारण सोसायटी ने कुछ जिम्मेदारियां ले रखीं हैं। इसमें सुरक्षा व्यवस्था, पेड़ों की छंटाई, कटाई, स्ट्रीट लाइट, सीवर लाइन, पार्क की देखभाल शामिल हैं। इसके लिए प्रति घर 300 से 500 रुपये की प्रतिमाह शुल्क लिया जाता है।

नहीं मिल रहा अमृत योजना का पानी
वसुंधरा एन्क्लेव में अमृत योजना के तहत पेयजल की पाइपलाइन डाली जा चुकी है। कुछ घरों में कनेक्शन भी दे दिए गए हैं, लेकिन इन पाइपों में पानी नहीं आता। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कभी-कभी पानी की बहुत दिक्कत होती है।

स्वीकृत नक्शे से भिन्न है निर्माण

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि काॅलोनी के निर्माण के दौरान सरकारी महकमों ने भी ध्यान नहीं दिया। विनियमित क्षेत्र से काॅलोनी का जो नक्शा पास किया गया है, उसके अनुरूप बसावट नहीं है। अगर नक्शे के अनुरूप काम होता तो स्थिति बेहतर हो सकती थी।

समस्याएं

  • कुत्ते और बंदर पूरे क्षेत्र में फैलाते हैं कूड़ा
  • रोजाना जगह-जगह जलाया जाता है कूड़ा
  • मच्छरजनित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा
  • प्लॉट बने कूड़ा घर, पार्कों में भरा सीवर का पान
  • नगर पालिका आठ वर्षों से कर रही गृह व जलकर वसूली
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