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Hathras News: नगर पालिका के फर्जी एफडीआर प्रकरण में अब खंगाली जा रही जेई की संपत्ति

Aligarh Bureau अलीगढ़ ब्यूरो
Updated Mon, 24 Nov 2025 02:06 AM IST
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JE's property is now being investigated in the fake FDR case of the municipality.
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नगर पालिका परिषद हाथरस के फर्जी एफडीआर प्रकरण की जांच तेज हो गई है। पुलिस ने आरोपी जलकल अनुभाग के जेई हर्षवर्धन के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराएं बढ़ा दीं हैं। जांच सीओ सिटी योगेंद्र कृष्ण नारायण के सुपुर्द कर दी गई है। सीओ ने अब नगर पालिका से आरोपी जेई की संपत्ति का पूरा ब्योरा मांगा है, ताकि भ्रष्टाचार की तह तक पहुंचा जा सके।
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बता दें कि 41 फर्जी एफडीआर लगाकर नगर पालिका से पांच करोड़ के ठेके लिए गए थे। जिसमें आरोपी जेई और ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आई थी। डीएम के आदेश पर इसकी प्रशासनिक जांच होने के बाद नगर पालिका के ईओ ने जेई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसकी जांच अब आगे बढ़ रही है।
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नगर पालिका के टेंडरों में फर्जी एफडीआर लगाए जाने का पर्दाफाश अमर उजाला ने अपने 12 मार्च 2025 के अंक में प्रमुखता से किया था। इसके बाद इस प्रकरण में डीएम ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर व वरिष्ठ कोषाधिकारी शामिल थे। 21 मई 2025 को जांच कमेटी ने अपनी जांच आख्या डीएम को दी, जिसमें अवर अभियंता (जेई) जलकल अनुभाग हर्षवर्धन को दोषी पाया गया।
जांच कमेटी ने भी माना कि जेई ने ठेकेदारों के साथ मिलकर उन्हें लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से टेंडरों में फर्जी एफडीआर लगवाईं। यही नहीं बिना ईओ की अनुमति लिए इन्हें अवमुक्त भी करा दिया। जांच कमेटी ने यह भी पाया था कि वर्ष 2023-24 में लगे हैंडपंप की माप पुस्तिका बदली गई। दूसरी माप पुस्तिका तैयार कर जेई ने ठेकेदार को 5.30 लाख रुपये का अधिक भुगतान करा दिया था। जांच कमेटी ने तत्काल निलंबन तथा रिपोर्ट दर्ज कराने की संस्तुति की थी। इसके बाद नगर पालिका के ईओ रोहित सिंह ने 31 मई को कोतवाली हाथरस गेट में जेई हर्षवर्धन के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इस प्रकरण में विवेचना कोतवाली हाथरस गेट के एसएचओ क्राइम आदित्य शंकर तिवारी कर रहे थे। विवेचना के दौरान तथ्य सही पाए जाने पर पुलिस ने भ्रष्टाचार की धाराएं बढ़ाईं हैं। इसके बाद अब यह जांच सीओ सिटी को दे दी गई है। विवेचक अब आरोपी जेई की संपत्ति तलाशने में जुट गए हैं। साथ ही जेई के कनेक्शन भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि बेनामी संपत्ति का भी पता चल सके। सीओ सिटी के अनुसार आरोपी इस मामले में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ला चुका है।







भ्रष्टाचार का आरोप, फिर भी मिल गया चार्ज

पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी जेई को कलेक्ट्रेट से अटैच कर दिया गया था। स्टे लाने के बाद वह फिर नगर पालिका लौट आया। अब तक आरोपी जेई पर नगर पालिका परिषद के जलकल अनुभाग का चार्ज नहीं था। भ्रष्टाचार में आरोपी होने के बाद भी पिछले सप्ताह उसे फिर से जलकल अनुभाग का चार्ज दे दिया गया है।



41 फर्जी एफडीआर लगाईं, पांच करोड़ के ठेके लिए

नगर पालिका के टेंडर घोटाले में 41 फर्जी एफडीआर लगाकर पांच करोड़ के ठेके लिए गए थे। इनमें ठेकेदारों की भी मिलीभगत थी। जांच कमेटी ने साफ किया था कि जेई ने खुद फर्जी एफडीआर टेंडर की पत्रावलियों में शामिल कीं थीं। सीओ सिटी स्तर से चल रही जांच में ये फर्म संचालक भी लपेटे में आ सकते हैं।




इस प्रकरण में दर्ज रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की धाराएं बढ़ाईं गईं हैं। यह प्रकरण बड़ा है, इसलिए हर पहलू से जांच की जा रही है। इसी क्रम में आरोपी जेई की संपत्ति का ब्योरा मांगा गया है। विस्तृत जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की संभावना है।

योगेंद्र कृष्ण नारायण, सीओ सिटी।
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