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Hathras News: टीकाकरण से छूटे तीन हजार बच्चों की तलाश हुई तेज
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टीकाकरण अभियान में छूटे तीन हजार बच्चों को अब तक सभी टीके नहीं लग पाए हैं। इनका टीकाकरण स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है। इसके लिए अब टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जो इनकी तलाश करेगा। साथ ही घुमंतू परिवारों पर भी टास्क फोर्स का फोकस रहेगा। शुक्रवार को प्रदेश स्तरीय रिव्यू मीटिंग में भी इन बच्चों की तलाश पर जोर दिया गया है। इससे जिले की रैकिंग भी प्रभावित हो रही है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से टीकाकरण अभियान पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए संस्थागत प्रसव वाले नवजात बच्चों को लक्षित किया जाता है। संस्थागत प्रसव के दौरान पहले 24 घंटे वाली खुराक तो दे दी जाती हैं, लेकिन घरों पर पहुंचकर ये लोग बच्चों को बाकी टीके नहीं लगवाते। इसलिए एक महीने बाद लगने वाले टीके पेंटा-वन पर जोर दिया जा रहा है, जिससे बच्चे टीकाकरण की मुख्य धारा से जुड़ सके।
सितंबर 2025 तक जनपद में ऐसे 21,950 नवजात बच्चे लक्षित किए गए थे। अभियान चलाकर इनमें से 19,027 बच्चों को पेंटा-वन का टीका दिया गया। अब कुल 2923 ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा है। अब इन शेष बच्चों की तलाश की जा रही है। इनके लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन कर शत-प्रतिशत टीकाकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। ये ऐसे बच्चे हैं, जो अभियान के दौरान मिले नहीं थे। संस्थागत प्रसवों की सूची के जरिये इनकी तलाश की जाएगी।
पेंटा-वन के बाद नहीं लगवाते टीके
स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें केवल पेंटा-वन टीकाकरण तक सीमित नहीं है। पेंटा-वन टीके के बाद भी टीम को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल पेंटा-वन से बच्चों को बुखार व इंजेक्शन की जगह पर सूजन आ जाती है। यही वजह है कि लोग दूसरे महीने पर दूसरा टीका नहीं लगवाते। आशा, आंगनबाड़ी व अन्य हेल्थ वर्कर की मदद से अभिभावकों को इसके लिए समझाया जाता है। जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा है, उन्हें जीरो डोजर कहा जाता है।
डीआईओ डाॅ. एमआई आलम ने बताया कि यह बुखार व सूजन सकारात्मक है तथा यह बताता है कि टीका सही काम कर रहा है। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
घुमंतू परिवारों पर फोकस
टीकाकरण अभियान की टास्क फोर्स घुमंतू परिवारों को भी चिह्नित करेगी। बारिश के बाद ईंट-भट्टे पर लेबर आना शुरु हो जाती है। ऐसे स्थानों पर जाकर परिवार सूचीबद्ध किए जाएंगे तथा इनके बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। इसके अलावा निर्माणाधीन भवनों पर जाकर भी मजदूर परिवारों के बच्चों को टीके लगेंगे।
इनका कहना है
टीकाकरण से वंचित बच्चों को खोजने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। शत-प्रतिशत बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता पैदा करने के लिए हर टीका जरूरी है। इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। टास्क फोर्स के जरिए इस अभियान तेजी दी जाएगी।
डाॅ. एमआई आलएम, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी।
सितंबर 2025 तक टीकाकरण की स्थिति
ब्लॉक
लक्षित बच्चे पेंटा-वन जीरो डोजर
हसायन 2809 2628 181
हाथरस 2529 1624 905
महो 2445 2091 354
मुरसान 2755 2297 458
सादाबाद शहरी 571 385 186
सादाबाद ग्रामीण 2916 2592 324
सहपऊ 1908 1714 194
सासनी 3150 3190 (-40)
सिकंदराराऊ शहरी 642 822 (-180)
सिकंदराराऊ ग्रामीण 225 1684 541
-- -
कुल योग
21949 19027 2923
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पांच बीमारियों से बचाता है पेंटावलेंट
पेंटावलेंट टीका पांच बीमारियों से शिशु की रक्षा करता है, जिसमें डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, हेपेटाइटिस-बी और होमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप बी है। इसलिए इसे पेंटा कहा जाता है। इसकी तीन खुराक दी जाती हैं। डाॅ. एमआई आलम ने बताया कि छह सप्ताह पर पेंटा-वन, 10 सप्ताह पर पेंटा-टू तथा 14 सप्ताह पूरे होने पर बच्चों को पेंटा थ्री का टीका दिया जाता है।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से टीकाकरण अभियान पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए संस्थागत प्रसव वाले नवजात बच्चों को लक्षित किया जाता है। संस्थागत प्रसव के दौरान पहले 24 घंटे वाली खुराक तो दे दी जाती हैं, लेकिन घरों पर पहुंचकर ये लोग बच्चों को बाकी टीके नहीं लगवाते। इसलिए एक महीने बाद लगने वाले टीके पेंटा-वन पर जोर दिया जा रहा है, जिससे बच्चे टीकाकरण की मुख्य धारा से जुड़ सके।
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सितंबर 2025 तक जनपद में ऐसे 21,950 नवजात बच्चे लक्षित किए गए थे। अभियान चलाकर इनमें से 19,027 बच्चों को पेंटा-वन का टीका दिया गया। अब कुल 2923 ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा है। अब इन शेष बच्चों की तलाश की जा रही है। इनके लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन कर शत-प्रतिशत टीकाकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। ये ऐसे बच्चे हैं, जो अभियान के दौरान मिले नहीं थे। संस्थागत प्रसवों की सूची के जरिये इनकी तलाश की जाएगी।
पेंटा-वन के बाद नहीं लगवाते टीके
स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें केवल पेंटा-वन टीकाकरण तक सीमित नहीं है। पेंटा-वन टीके के बाद भी टीम को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल पेंटा-वन से बच्चों को बुखार व इंजेक्शन की जगह पर सूजन आ जाती है। यही वजह है कि लोग दूसरे महीने पर दूसरा टीका नहीं लगवाते। आशा, आंगनबाड़ी व अन्य हेल्थ वर्कर की मदद से अभिभावकों को इसके लिए समझाया जाता है। जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा है, उन्हें जीरो डोजर कहा जाता है।
डीआईओ डाॅ. एमआई आलम ने बताया कि यह बुखार व सूजन सकारात्मक है तथा यह बताता है कि टीका सही काम कर रहा है। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
घुमंतू परिवारों पर फोकस
टीकाकरण अभियान की टास्क फोर्स घुमंतू परिवारों को भी चिह्नित करेगी। बारिश के बाद ईंट-भट्टे पर लेबर आना शुरु हो जाती है। ऐसे स्थानों पर जाकर परिवार सूचीबद्ध किए जाएंगे तथा इनके बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। इसके अलावा निर्माणाधीन भवनों पर जाकर भी मजदूर परिवारों के बच्चों को टीके लगेंगे।
इनका कहना है
टीकाकरण से वंचित बच्चों को खोजने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। शत-प्रतिशत बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता पैदा करने के लिए हर टीका जरूरी है। इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। टास्क फोर्स के जरिए इस अभियान तेजी दी जाएगी।
डाॅ. एमआई आलएम, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी।
सितंबर 2025 तक टीकाकरण की स्थिति
ब्लॉक
लक्षित बच्चे पेंटा-वन जीरो डोजर
हसायन 2809 2628 181
हाथरस 2529 1624 905
महो 2445 2091 354
मुरसान 2755 2297 458
सादाबाद शहरी 571 385 186
सादाबाद ग्रामीण 2916 2592 324
सहपऊ 1908 1714 194
सासनी 3150 3190 (-40)
सिकंदराराऊ शहरी 642 822 (-180)
सिकंदराराऊ ग्रामीण 225 1684 541
कुल योग
21949 19027 2923
पांच बीमारियों से बचाता है पेंटावलेंट
पेंटावलेंट टीका पांच बीमारियों से शिशु की रक्षा करता है, जिसमें डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी, हेपेटाइटिस-बी और होमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप बी है। इसलिए इसे पेंटा कहा जाता है। इसकी तीन खुराक दी जाती हैं। डाॅ. एमआई आलम ने बताया कि छह सप्ताह पर पेंटा-वन, 10 सप्ताह पर पेंटा-टू तथा 14 सप्ताह पूरे होने पर बच्चों को पेंटा थ्री का टीका दिया जाता है।