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Jalaun News: किसानों के खेतों में बन रहा था रास्ता, प्रशासन ने रोकी कार्रवाई
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कालपी। हीरापुर घाट मार्ग निर्माण को लेकर किसानों और खनन पट्टा धारकों के बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। राजस्व विभाग की जांच में यह साफ हो गया कि घाट संचालक सरकारी भूमि पर नहीं, बल्कि किसानों के खेतों से जबरन रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे। अब प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि रास्ता बनाने के लिए उन्हें किसानों की अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी।
महेवा ब्लॉक के यमुना पट्टी क्षेत्र में लगभग 100 हेक्टेयर भूमि पर सात खनन पट्टे आवंटित हैं। इनमें से फिलहाल रवि पजबानी और वैभव गुप्ता के 15-15 हेक्टेयर पट्टों को ही खनन की अनुमति मिली है। पट्टा धारकों ने पट्टे तक मार्ग बनाने का कार्य शुरू कर दिया था, लेकिन हीरापुर के किसानों ने खेतों से जबरन रास्ता बनाए जाने का विरोध तेज कर दिया। समाधान दिवस में भी शिकायत मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार सिंह ने जांच टीम गठित की थी। बुधवार को आई रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि जिस स्थान से पट्टा धारक रास्ता बना रहे थे, वह भूमि किसानों के नाम आवंटित पट्टे की है।
किसानों की भूमि से जबरन रास्ता नहीं बनाया जा सकता। पट्टा धारकों को बातचीत कर ही समाधान निकालना होगा। प्रशासन की रिपोर्ट सामने आते ही खनन कारोबारियों में हड़कंप मच गया है और अब उन्हें किसानों से समझौता करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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महेवा ब्लॉक के यमुना पट्टी क्षेत्र में लगभग 100 हेक्टेयर भूमि पर सात खनन पट्टे आवंटित हैं। इनमें से फिलहाल रवि पजबानी और वैभव गुप्ता के 15-15 हेक्टेयर पट्टों को ही खनन की अनुमति मिली है। पट्टा धारकों ने पट्टे तक मार्ग बनाने का कार्य शुरू कर दिया था, लेकिन हीरापुर के किसानों ने खेतों से जबरन रास्ता बनाए जाने का विरोध तेज कर दिया। समाधान दिवस में भी शिकायत मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार सिंह ने जांच टीम गठित की थी। बुधवार को आई रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि जिस स्थान से पट्टा धारक रास्ता बना रहे थे, वह भूमि किसानों के नाम आवंटित पट्टे की है।
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किसानों की भूमि से जबरन रास्ता नहीं बनाया जा सकता। पट्टा धारकों को बातचीत कर ही समाधान निकालना होगा। प्रशासन की रिपोर्ट सामने आते ही खनन कारोबारियों में हड़कंप मच गया है और अब उन्हें किसानों से समझौता करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।