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Jhansi: डीजे की दहाड़, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान, शहर में देर रात तक बजने से अस्पताल पहुंच रहे मरीज
संवाद न्यूज एजेंसी, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Wed, 26 Nov 2025 03:13 PM IST
सार
सहालग के सीजन में डीजे का आतंक वृद्ध और हृदय रोगियों को भारी पड़ रहा है। कानफोडू आवाज उन्हें अस्पताल पहुंचा रही है। बावजूद इसके जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। केवल कागजी दौड़े दौड़ाए जा रहे हैं।
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डीजे की तेज आवाज खतरनाक
- फोटो : Amarujala.com
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विस्तार
सहालग के सीजन में डीजे का आतंक वृद्ध और हृदय रोगियों को भारी पड़ रहा है। कानफोडू आवाज उन्हें अस्पताल पहुंचा रही है। बावजूद इसके जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। केवल कागजी दौड़े दौड़ाए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि रात 10 बजे के बाद डीजे न बजाए जाएं, लेकिन देर रात तक सड़कों पर इनकी तेज आवाज और धमक जारी है। शादी विवाह के दौरान इनके आसपास से गुजरने वाले राहगीर परेशान हो जाते हैं। बरात में भीड़भाड़ के कारण वे तेजी से निकल भी नहीं पाते। डीजे के आतंक से कान में सीटी बजने की समस्या वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है।
यह है ध्वनि का मानक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के मुताबिक आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके डीजे संचालक औसत साउंड स्तर 90 से 120 डेसिबल तक पहुंचा रहे हैं। इससे न सिर्फ बुजुर्ग और बच्चों को परेशानी हो रही है, बल्कि अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास भी शांतिभंग होती है।
डीजे की लेजर लाइट भी पहुंचा रही आंखों को नुकसान
तेज आवाज के साथ डीजे वाले रंग-बिरंगी चमक के साथ लेजर लाइट भी चमका रहे हैं। इससे आंखों को नुकसान हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लेजर लाइट की किरणें आंखों की पुतली पर एक छोटे और तीव्र बिंदु पर केंद्रित होती हैं, इससे जलन या अंधेपन की समस्या हो सकती है।
महानगर में 200 डीजे
महानगर में 200 से अधिक डीजे संचालित हैं, इनमें कुछ के पास दुकानें हैं, बाकी अपने घरों से ही कारोबार कर रहे हैं। डीजे की बुकिंग सेटअप के मुताबिक होती है। बड़े सेटअप में गमले, लेजर लाइटें, बग्घी और फ्लोर आदि मांगा जाता है, जबकि छोटे में केवल डीजे ही रहता है। डीजे संचालक एक कार्यक्रम के 10 से लेकर 30 हजार रुपये तक वसूलते हैं।
बुजुर्ग व हृदय रोगियों के लिए घातक है तेज आवाज
तेज आवाज में डीजे बजने से न सिर्फ बुजुर्ग व मानसिक रोगी परेशान होते हैं बल्कि हृदय रोगियों के लिए यह जानलेवा हो सकता है। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि डीजे के तेज आवाज के दौरान संगीत (ड्रम) की धुन परेशान करने वाली होती है। इससे मनोरोगियों को नींद नहीं आती, जिससे उनकी बेचैनी, परेशानी, तनाव आदि बढ़ जाता है। बुजुर्ग और हृदय रोगियों में हार्मोन तेजी से बदलने से दिल की गति (धड़कन) अनियंत्रित हो जाती है। जब नींद नहीं आती है तो घबराहट, बेचैनी आदि की दिक्कत होने लगती है। ट्रोपोनिन हार्मोन की वजह से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
डीजे बजाने को लेकर बैठक में गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी जाती है। डीजे बजाने के मानक तय हैं। यदि कोई संचालक इसका उल्लंघन करता है तो कार्रवाई के लिए नोडल सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया है।- इमरान अली, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
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सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि रात 10 बजे के बाद डीजे न बजाए जाएं, लेकिन देर रात तक सड़कों पर इनकी तेज आवाज और धमक जारी है। शादी विवाह के दौरान इनके आसपास से गुजरने वाले राहगीर परेशान हो जाते हैं। बरात में भीड़भाड़ के कारण वे तेजी से निकल भी नहीं पाते। डीजे के आतंक से कान में सीटी बजने की समस्या वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है।
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यह है ध्वनि का मानक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के मुताबिक आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके डीजे संचालक औसत साउंड स्तर 90 से 120 डेसिबल तक पहुंचा रहे हैं। इससे न सिर्फ बुजुर्ग और बच्चों को परेशानी हो रही है, बल्कि अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास भी शांतिभंग होती है।
डीजे की लेजर लाइट भी पहुंचा रही आंखों को नुकसान
तेज आवाज के साथ डीजे वाले रंग-बिरंगी चमक के साथ लेजर लाइट भी चमका रहे हैं। इससे आंखों को नुकसान हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लेजर लाइट की किरणें आंखों की पुतली पर एक छोटे और तीव्र बिंदु पर केंद्रित होती हैं, इससे जलन या अंधेपन की समस्या हो सकती है।
महानगर में 200 डीजे
महानगर में 200 से अधिक डीजे संचालित हैं, इनमें कुछ के पास दुकानें हैं, बाकी अपने घरों से ही कारोबार कर रहे हैं। डीजे की बुकिंग सेटअप के मुताबिक होती है। बड़े सेटअप में गमले, लेजर लाइटें, बग्घी और फ्लोर आदि मांगा जाता है, जबकि छोटे में केवल डीजे ही रहता है। डीजे संचालक एक कार्यक्रम के 10 से लेकर 30 हजार रुपये तक वसूलते हैं।
बुजुर्ग व हृदय रोगियों के लिए घातक है तेज आवाज
तेज आवाज में डीजे बजने से न सिर्फ बुजुर्ग व मानसिक रोगी परेशान होते हैं बल्कि हृदय रोगियों के लिए यह जानलेवा हो सकता है। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि डीजे के तेज आवाज के दौरान संगीत (ड्रम) की धुन परेशान करने वाली होती है। इससे मनोरोगियों को नींद नहीं आती, जिससे उनकी बेचैनी, परेशानी, तनाव आदि बढ़ जाता है। बुजुर्ग और हृदय रोगियों में हार्मोन तेजी से बदलने से दिल की गति (धड़कन) अनियंत्रित हो जाती है। जब नींद नहीं आती है तो घबराहट, बेचैनी आदि की दिक्कत होने लगती है। ट्रोपोनिन हार्मोन की वजह से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
डीजे बजाने को लेकर बैठक में गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी जाती है। डीजे बजाने के मानक तय हैं। यदि कोई संचालक इसका उल्लंघन करता है तो कार्रवाई के लिए नोडल सिटी मजिस्ट्रेट बनाया गया है।- इमरान अली, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।