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Jhansi News: निराश्रित बच्चों की सुध लेने से कतरा रहे समाजसेवी

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Sun, 30 Nov 2025 01:04 AM IST
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Social workers are reluctant to take care of destitute children.
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संवाद न्यूज एजेंसी
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झांसी। निराश्रित बच्चों की मदद का दम भरने वाले समाजसेवियों का उत्साह ऐसा ठंडा पड़ा कि किसी ने आठ साल में बेसहारा बच्चों की सहारा देने की जिम्मेदारी नहीं ली। बाल कल्याण समिति ने इस अवधि में इस तरह के 20 बच्चों को बाल गृह भेजा। इनमें 14 लड़कियां और 6 लड़के हैं, जिन्हें देखभाल की जरूरत है। फिर भी किशोर न्याय अधिनियम के तहत अब तक किसी भी संस्था या समाजसेवी का आवेदन न आना उनकी उदासीनता को दर्शाता है। इससे इन बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक सुरक्षा पर असर पड़ रहा है।
किशोर न्याय अधिनियम 2016 के तहत निराश्रित बच्चों की देखरेख के लिए व्यवस्था की गई है। प्रावधान यह है कि जो बच्चे 6 साल से ऊपर और 18 साल से कम उम्र के होते हैं। उनकी देखरेख के लिए कोई भी संस्था या व्यक्ति ले सकता है। चयन के लिए बाल कल्याण समिति काउंसलिंग करती है। इससे पहले आवेदन की प्रक्रिया होती है, लेकिन चिंता की बात यह है कि बाल कल्याण समिति के पास अब तक किसी भी बच्चे के पालन-पोषण के लिए आवेदन नहीं आया। ये बच्चे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या अन्य स्थानों पर निराश्रित हाल में मिले थे। जो लोग निसंतान हैं या संतान होने के बाद भी ऐसे बच्चों का पालन-पोषण करने के इच्छुक हैं। उनके लिए अवसर है कि वे इन बच्चों को अपने घर पर रखकर उनकी पढ़ाई-लिखाई कराएं। बाल अधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि निराश्रित बच्चों के विकास के लिए केवल भोजन और छत ही नहीं, बल्कि नियमित मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग जरूरी है। यदि समाजसेवी सक्रिय भूमिका निभाएं, तो बेसहारा बच्चों के जीवन में आशा की नई किरण जगाई जा सकती है।
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छह साल से ऊपर के बच्चों को लिया जाता है देखभाल के लिए
अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि जो लोग 35 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं। वे छह साल से ऊपर के बच्चों को फोस्टर केयर के तहत पालन पोषण के लिए ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरूरी है। उनके पास रहने के लिए अच्छा घर हो। बच्चों को खिलाने-पिलाने की व्यवस्था हो। इसमें फोस्टर केयर की भी व्यवस्था है, जिसमें किसी निराश्रित, परित्यक्त या संरक्षण की जरूरत वाले बच्चे की अस्थायी देखभाल कोई परिवार या संस्था कर सकती है।
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पिछले आठ वर्षों में बाल कल्याण समिति के सामने कई बच्चे आए हैं। अभी छह साल से ज्यादा के 20 बच्चे हैं लेकिन फोस्टर केयर पर लेने के लिए किसी ने रुचि नहीं दिखाई।
- राजीव शर्मा, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
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