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40 लाख दलितों पर डोरे डालने की भाजपा की तैयारी
टीम डिजिटल/ अमर उजाला, कानपुर
Updated Sun, 16 Oct 2016 05:10 PM IST
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह
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धम्म चेतना यात्रा और बौद्घ संतों के सम्मान के बहाने भाजपा ने कानपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र की 52 विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले 40 लाख से अधिक दलितों पर निशाना साधा है। पार्टी ने तय किया है कि बसपा की दलितों को भ्रमित करने वाली रणनीति का खुलासा किया जाएगा। इसके पीछे भाजपा का गणित यह है कि बसपा में अभी तक जितने दलितों को पद और लाभ दिए गए, उसमें से 80 प्रतिशत एक विशेष जाति वाले दलित हैं। दूसरी जाति के दलितों को बसपा में नाम मात्र का ही लाभ मिला है। भाजपा इसी को हथियार के रूप में अपनाने जा रही है। 24 को बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से ही दलित वाले इस फैक्टर पर काम शुरू हो जाएगा।
भाजपा ने बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति के तहत यह पता लगाया है कि मायावती जिस संपूर्ण दलित की बात करती है, आखिर उसका सच क्या है। जिसमें यह बात निकलकर आई है कि एक विशेष जाति के अलावा बाकी जातियों को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है। इससे दूसरी दलित जातियों में बसपा को लेकर कुछ असमंजस है। भाजपा इसी असमंजस का लाभ लेने की फिराक में है। लाभ न मिलने वाली जातियों में बाल्मीकि, सोनकर, चक, कठेरिया, धानुक, सरोज, कोरी, रजक, कनौजिया, दिवाकर, धनगर जैसी करीब एक दर्जन जातियां शामिल हैं।
कानपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र में इन जातियों की बहुतायत है। भाजपा को लगता है कि यदि बसपा से इन जातियों का मोह भंग करने में वह सफल रही तो प्रदेश में सरकार बनाना जरा भी मुश्किल नहीं होगा। सपा में मचे परिवारवाद की कलह को देखते हुए भाजपा अब बसपा को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानकर चल रही है। यही वजह है कि वह तेजी से बसपा के वोट बैंक को तितर बितर करने में जुट गई है।
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कानपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र में इन जातियों की बहुतायत है। भाजपा को लगता है कि यदि बसपा से इन जातियों का मोह भंग करने में वह सफल रही तो प्रदेश में सरकार बनाना जरा भी मुश्किल नहीं होगा। सपा में मचे परिवारवाद की कलह को देखते हुए भाजपा अब बसपा को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानकर चल रही है। यही वजह है कि वह तेजी से बसपा के वोट बैंक को तितर बितर करने में जुट गई है।