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Kanpur: बस में फंसे जयप्रकाश ने बेटी को कॉल कर बोला था, बचा लो..., शव के अवशेष घर पहुंचे तो मचा कोहराम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Mon, 29 Dec 2025 12:09 PM IST
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घर के बहार लगी भीड़
- फोटो : अमर उजाला
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यमुना एक्सप्रेस वे पर 16 दिसंबर को शताब्दी बस में जलकर जान गंवाने वाले काकादेव के नवीननगर निवासी जयप्रकाश वर्मा (75) के शव के अवशेष रविवार शाम घर पहुंचे तो परिवार में कोहराम मच गया। बेटी के अनुसार हादसे के बाद पिता ने उन्हें कॉल कर बचाने की गुहार लगाई थी फिर कॉल कट हो गई थी।
जयप्रकाश ने अपनी बेटी मनीषा को हादसे के बाद आखिरी बार सुबह 4:25 बजे फोन किया था। फोन करके बताया कि बस का एक्सीडेंट हो गया है वह अंदर बुरी तरह फंस गए हैं। बेटी से बचाने की गुहार लगाई लेकिन तभी कॉल कट गई। इससे परिवार घबरा गया। जानकारी मिलते ही मनीषा मथुरा पहुंचीं। उन्होंने जिला अस्पताल में घायलों की लिस्ट देखी और जिला मजिस्ट्रेट से भी संपर्क किया लेकिन उनके पिता का नाम कहीं नहीं मिला। बाद में पुलिस ने परिवार को बताया कि टक्कर के बाद आग लगने से कई यात्री जिंदा जल गए जिनके अवशेष मिले हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन अवशेषों को डीएनए के लिए भेजा गया। इसकी पुष्टि के बाद शव के अवशेष रविवार शाम घर लाए गए तो सभी ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। अंतिम संस्कार भैरव घाट पर हुआ। परिवार में चार बेटियां व एक बेटा है। वह एक पेंट कंपनी में काम भी करते थे। वह शताब्दी बस से काम के सिलसिले से मथुरा निकले थे।
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जयप्रकाश ने अपनी बेटी मनीषा को हादसे के बाद आखिरी बार सुबह 4:25 बजे फोन किया था। फोन करके बताया कि बस का एक्सीडेंट हो गया है वह अंदर बुरी तरह फंस गए हैं। बेटी से बचाने की गुहार लगाई लेकिन तभी कॉल कट गई। इससे परिवार घबरा गया। जानकारी मिलते ही मनीषा मथुरा पहुंचीं। उन्होंने जिला अस्पताल में घायलों की लिस्ट देखी और जिला मजिस्ट्रेट से भी संपर्क किया लेकिन उनके पिता का नाम कहीं नहीं मिला। बाद में पुलिस ने परिवार को बताया कि टक्कर के बाद आग लगने से कई यात्री जिंदा जल गए जिनके अवशेष मिले हैं।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि इन अवशेषों को डीएनए के लिए भेजा गया। इसकी पुष्टि के बाद शव के अवशेष रविवार शाम घर लाए गए तो सभी ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। अंतिम संस्कार भैरव घाट पर हुआ। परिवार में चार बेटियां व एक बेटा है। वह एक पेंट कंपनी में काम भी करते थे। वह शताब्दी बस से काम के सिलसिले से मथुरा निकले थे।
